National Testing Agency: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) का गठन इसलिए किया गया था ताकि प्रवेश परीक्षाओं को दोषमुक्त और पारदर्शी बनाया जा सके, लेकिन इसके मॉडल में बार-बार गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। हाल ही में NEET-UG 2024 पेपर लीक और CSIR-UGC-NET परीक्षा की स्थगन के बाद सरकार ने NTA के महानिदेशक सुबोध सिंह को हटा दिया और उनके स्थान पर प्रदीप सिंह खरोला को नया DG नियुक्त किया गया है।आइए, जानते हैं कब-कब NTA विवादों में रहा।
कब हुई थी NTA की स्थापना
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने 2017 में उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रवेश परीक्षाओं के लिए NTA का गठन किया था। 1 मार्च 2018 को इसे औपचारिक रूप से स्थापित किया गया। NTA को NEET, JEE Main, UGC NET जैसी परीक्षाओं का आयोजन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी ताकि परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जा सके। लेकिन, NTA के गठन के बाद से ही यह विवादों और गड़बड़ियों में घिरा रहा है।
जानें NTA कब कब रहा विवादों में
- 2019: JEE Mains के दौरान सर्वर की खराबी के कारण छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
- 2020: NEET UG परीक्षा को कई बार स्थगित करना पड़ा।
- 2021: JEE Mains में गलत प्रश्नों को लेकर हंगामा हुआ और NEET परीक्षा में राजस्थान के भांकरोटा में सॉल्वर गैंग द्वारा गड़बड़ी का मामला सामने आया।
- 2022: कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट में गड़बड़ी की शिकायतें मिलीं।
नए DG प्रदीप सिंह खरोला के सामने चुनौतियां
प्रदीप सिंह खरोला, जो पहले एयर इंडिया और बेंगलुरु मेट्रो रेल निगम के प्रबंध निदेशक रह चुके हैं, के सामने सबसे बड़ी चुनौती NTA की परीक्षा प्रक्रियाओं में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। हाल के NEET पेपर लीक और UGC-NET परीक्षा में गड़बड़ी के बाद NTA पर लोगों का भरोसा डगमगा गया है।
उच्च स्तरीय कमेटी का गठन
शिक्षा मंत्रालय ने NTA में सुधार के लिए इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी परीक्षा प्रक्रिया, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल और NTA की संरचना में सुधार पर सिफारिशें पेश करेगी और दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेगी।
सरकार का कड़ा कदम
सरकार ने NEET-UG परीक्षा में गड़बड़ियों के मामले की जांच CBI को सौंप दी है और नीट-पीजी प्रवेश परीक्षा को स्थगित कर दिया है। साथ ही, सरकार ने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 भी लागू किया है, ताकि परीक्षाओं में गड़बड़ी को रोका जा सके।
प्रदीप सिंह खरोला के सामने अब यह बड़ी चुनौती है कि वे NTA की खोई हुई साख को वापस कैसे लाते हैं और परीक्षा प्रक्रियाओं को पारदर्शी और निष्पक्ष कैसे बनाते हैं। छात्रों और जनता के भरोसे को बहाल करना उनकी प्राथमिकता होगी