NDA Cabinet: रविवार को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 41 अन्य सांसद भी शपथ ले सकते हैं। इसमें सहयोगी दलों की भी बड़ी हिस्सेदारी होगी और शपथ लेने वालों में युवा सांसद अधिक हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह, जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह से मुलाकात में मोदी ने इस पर चर्चा की है। मोदी ने कहा कि अनुभवी कैबिनेट मंत्रियों के साथ युवाओं को सहयोगी मंत्री के रूप में जगह देने पर सोचना चाहिए।
लोकसभा चुनाव के नतीजों की झलक मंत्रिमंडल में
लोकसभा चुनाव के नतीजों की झलक मंत्रिमंडल के गठन में भी साफ तौर पर दिखाई देगी। कुछ राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ सकती है और कुछ की घट सकती है। दो प्रमुख राज्य ऐसे हैं जहां से चुनकर आए सांसदों को मोदी 3.0 कैबिनेट में पिछली कैबिनेट की तुलना में हिस्सेदारी कम होगी। ये दोनों राज्य राजस्थान और गुजरात हैं। इसके साथ ही यूपी में भी इस बार सीटें कम आई हैं, ऐसे में केंद्रीय कैबिनेट में यूपी की हिस्सेदारी भी कम होगी। आइए जानते हैं किन राज्यों के मंत्री बढ़ेंगे और किन राज्यों के मंत्री होंगे कम ।
उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी होगी कम
मोदी के दूसरे टर्म में यूपी से सबसे ज्यादा सांसद चुनकर आए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी ने 64 सीटों जीतीं थी। हालांकि, यूपी से इस बार 33 सांसद ही चुनकर आए हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में यूपी से 11 मंत्री थे, लेकिन इस बार यह संख्या घटकर 7 पर आ सकती है। इसमें रालोद के जयंत चौधरी का नाम हो सकता है।
बिहार की हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद
यहां की कुल 39 सीटों में इस बार 12 भाजपा और 12 जदयू को मिली हैं। पिछली कैबिनेट में यहां से बीजेपी के 4 मंत्री थे। इस बार जदयू को एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार मिल सकते हैं। भाजपा के 2 मंत्री हो सकते हैं। इसके साथ ही लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान को केंद्रीय मंत्रीमंडल में जगह मिल सकती है।
आंध्र प्रदेश का कैबिनेट में होगा दबदबा
आंध्र प्रदेश में भाजपा ने 3 और सहयोगी TDP ने 16 सीटें जीती हैं। पिछली बार भाजपा 0 और TDP सिर्फ 3 सीटों पर थी। पिछली कैबिनेट में आंध्र से कोई भी मंत्री नहीं था। इस बार भाजपा एक को मंत्री बना सकती है और TDP को कैबिनेट में 4 बर्थ मिल सकती हैं।
राजस्थान के कैबिनेट मंत्री घटेंगे
पिछली बार सभी 25 सीटें देने वाले राजस्थान में इस बार 14 सीटें ही मिली हैं। इस कारण कैबिनेट में राजस्थान की हिस्सेदारी कम होगी। पहले यहां 4 मंत्री थे, जिनकी संख्या घट सकती है।
ओडिशा को मिल सकता है इनाम
भाजपा ने यहां विधानसभा में नवीन पटनायक सरकार को उखाड़ फेंका और 21 में से 20 लोकसभा सीटें हासिल कीं। इस कारण ओडिशा को मंत्रिमंडल में अच्छे पद और ज्यादा संख्या मिल सकती है। ऐसी भी खबरें हैं कि मौजूदा केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को अगर मोदी 3.0 कैबिनेट में जगह नहीं दी जाती है तो उन्हें ओडिशा का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
मध्य प्रदेश पर नहीं होगा कोई असर
लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया है। यहां कि सभी 29 लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में आई हैं। ऐसे में इसका फायदा मध्य प्रदेश को मिल सकता है। मोदी 3.0 कैबिनेट में मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी पिछले कैबिनेट के बराबर रह सकती है। पिछली सरकार में यहां से 2 मंत्री बनाए गए थे।
गुजरात के सांसद कैबिनेट में होंगे कम
गुजरात की 26 में से 25 सीटें बीजेपी ने जीती हैं। 2019 में यहां से 6 मंत्री थे, जिनमें से दो घटाए जा सकते हैं। इस बार गुजरात से सिर्फ चार सांसदों को ही कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। गठबंधन में शामिल दूसरी पार्टियों के लिए जगह बनाने के लिए गुजरात के कैबिनेट पोस्ट में कटौती की जा सकती है।
हरियाणा-महाराष्ट्र की उम्मीदें कायम
हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी को बीते लोकसभा चुनाव की तरह सीटें नहीं मिली हैं। इसके बावजूद कैबिनेट में दोनों राज्यों के सांसदों को की संख्या पहले की तरह ही रहने की उम्मीद है। इसकी बड़ी वजह यह है कि इन दोनों ही राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हरियाणा में 2 मंत्रियों की संख्या कायम रह सकती है। महाराष्ट्र में 5 मंत्री थे, जिनकी संख्या बनी रह सकती है।
बदल सकते हैं भाजपा अध्यक्ष
कैबिनेट को लेकर चर्चा है कि अगर अमित शाह, शिवराज सिंह और राजनाथ सिंह में से कोई भी कैबिनेट में शामिल नहीं होता है तो उनमें से कोई भाजपा अध्यक्ष बन सकता है। मौजूदा समय में भाजपा अध्यक्ष का पद जेपी नड्डा संभाल रहे हैं। जेपी नड्डा का कार्यकाल पहले बढ़ाया जा चुका है। ऐसे में उनकी जगह पार्टी दूसरे नेता को मौका दे सकती है।
बीजेपी के कोटे से कौन बन सकते हैं मंत्री
भाजपा के कोटे से सर्वानंद सोनोवाल, विप्लव देव, मनोहर लाल खट्टर, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण, अश्विनी वैष्णव, भूपेंद्र यादव, अनिल बलूनी, हेमा मालिनी, गजेंद्र शेखावत, मनसुख मांडविया, सीआर पाटिल, सुरेश गोपी, डी.पुरंदेश्वरी, सरोज पांडे, और संबित पात्रा जैसे नेताओं को मंत्री बनाया जा सकता है।