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New Criminal Laws: आज (सोमवार,1 जुलाई) से देश में तीन नए आपराधिक कानून प्रभावी हो गए हैं। जानें इनसे देश की क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में क्या 10 बड़े बदलाव होंगे।

New Criminal Laws: आज (सोमवार, 1 जुलाई ) से देश में तीन नए आपराधिक कानून प्रभावी हो गए हैं। यह सभी कानून ब्रिटिश जमाने के क्रिमिनल लॉ की जगह लेंगे। इससे देश की क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में अहम बदलाव होंगे। आइए, जानते हैं इन तीन कानूनों के बदलने के बाद कौन कौन से 10 बड़े बदलाव होंगे और क्रिमिनल केस के निपटारे में क्या बदलाव होंगे। 

ये हैं आज से प्रभावी होने वाले तीन नए कानून
अब भारतीय न्याय संहिता (Bhartiya Nyay Samhita), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bhartiya Nagrik Suraksha Samhita) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Bhartiya Sakshya Adhiniyam) ने पुराने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code), दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की जगह ले ली है।

सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के अंदर आएगा फैसला
नए कानून के तहत, आपराधिक मामलों का फैसला सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर सुनाना जरूरी होगी। पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय करना जरूरी होगी। गवाहों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकारों को गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करनी होंगी, जिससे गवाह बिना किसी डर के अपना बयान दर्ज करा सकें। 

महिलाओं और बच्चों के लिए होंगे विशेष प्रावधान
दुष्कर्म पीड़ितों का स्टेटमेंट अब महिला पुलिस ऑफिसर लेंगी। ऐसा पीड़िता के माता-पिता या रिश्तेदारों की मौजूदगी में करना जरूरी होगी। दुष्कर्म के मामलों में मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के अंदर तैयार करना जरूरी होगा। मौजूदा कानून में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध में नए चैप्टर जोड़ा गया है। इसके तहत अब बच्चों की खरीद बिक्री जैसी गतिविधियों में शामिल होने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।

महिलाओं को झूठे वादे करने के लिए भी होगी सजा
नए कानून में महिलाओं को झूठे वादे कर उनका शारीरिक शोषण करने जैसे मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। अगर शादी का झूठा वादा या झांसा देकर महिला का शोषण किया जाता है तो उसे कड़ी सजा मिलेगी। यह बदलाव इसलिए किया गया है कि महिलाओं की सुरक्षा तय की जा सकेगी और उन्हें इंसाफ दिलाया जा सके।
पीड़ितों को मामले की नियमित जानकारी दी जाएगी
महिलाओं के साथ होने वाले अपराध के मामलों में पीड़िताओं के अधिकार का दायरा बढ़ा दिया गया है। पीड़िताएं अपने मामले में हर 90 दिन के अंतराल पर अपडेट ले सकेंगी। पीड़िताओं को उनके मामले की स्थिति के बारे में नियमित तौर पर अपडेट देना होगा। सभी अस्पतालों को अपराध का शिकार हुई महिलाओं या बच्चों को मुफ्ट में फर्स्ट एड और ट्रिटमेंट करना जरूरी होगी। आम तौर पर ऐसे मामले में या तो अस्पताल इलाज करने से ही मना कर देते हैं या फिर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने के बाद इलाज शुरू करने की बात कहते हैं।
सुनवाई में गैर जरूरी देरी रोकने की कोशिश
आरोपी और पीड़ित दोनों ही मामला दर्ज होने के 14 दिनों के अंदर मामले से जुड़े दस्तावेज हासिल करने के हकदार होंगे। यानी कि अब आरोपी और पीड़ित शिकायत दर्ज होने के दो सप्ताह से भी कम समय में FIR, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, स्टेटमेंट, कबूलनामा और मामले से दूसरे दस्तावेजों की कॉपी हासिल करने के हकदार होंगे। कोर्ट में मामले की सुनवाई ज्यादा से ज्यादा दो बार स्थगित की जा सकेगी, जिससे मामले की सुनवाई में गैर जरूरी देरी नहीं हो।

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दर्ज कराई जा सकेगी FIR
नए कानून के प्रावधानों के मुताबिक, अब किसी भी प्रकार की घटना की शिकायत इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन यानी कि फोन या ईमेल के जरिए भी दर्ज कराई जा सकेगी। इसका आसान सा मतलब यह है कि अब प्राथमिकी यानी कि  FIR दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं होगी। जीरो FIR नियम प्रभावी कर दिया गया है। अब व्यक्ति अपनी शिकायत किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज कर सकते हैं। पुलिस इस आधार पर FIR दर्ज करने से मना नहीं कर सकेगी कि मामला उनके अधिकार क्षेत्र का नहीं है।

गिरफ्तारी व्यक्ति को भी मिलेंगे कुछ अधिकार
 नए कानून के तहत अगर किसी शख्स को अरेस्ट किया जाता है, तो उसे भी कुछ अधिकार मिलेंगे। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को अपने परिवार, दोस्त या अपने पसंद के किसी भी शख्स को खुद की गिरफ्तारी की सूचना देने का अधिकार होगा। इससे उसे तुरंत मदद मिल सकेगी। इसके साथ ही अरेस्ट किए जाने वाले किसी भी शख्स के बारे में सभी डिटेल पुलिस्ट स्टेशन, डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि अरेस्ट किए गए व्यक्ति के परिवार और दोस्त आसानी से इसे देख सकें।
फोरेंसिक एक्सपर्ट्स की जांच होगी जरूरी
अब गंभीर अपराधों की जांच में भी बदलाव होंगे। नए कानून के तहत फोरेंसिक एक्सपर्ट्स के लिए क्राइम सीन पर जाना जरूरी होगी। फोरेंसिक एक्सपर्ट को अब किसी भी घटना के बाद क्राइम सीन पर जाकर सबूत जुटाना ही होगा। कोर्ट के सामने किसी भी भी आपराधिक मामले में सटीक सबूत पेश किए जा सकें, इस बात को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया गया है। 

नए कानून में लिंग को किया गया है डिफाइन
नए कानून में "लिंग" को बेहतर ढंग से डिफाइन किया गया है। अब इसमें में ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल हैं। महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए, पीड़िता के स्टेटमेंट को यथासंभव महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाना चाहिए। अगर मौजूद ना हो, तो एक पुरुष मजिस्ट्रेट को महिला की उपस्थिति में स्टेटमेंट दर्ज करना चाहिए। दुष्कर्म से संबंधित स्टेटमेंट ऑडियो-वीडियो माध्यम से दर्ज किए जाने चाहिए।

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