NITI Aayog Meeting: नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल (जीसी) की बैठक शनिवार को राष्ट्रपति भवन के कल्चरल सेंटर में आयोजित की गई है। विपक्ष की सरकार वाले करीब 6 मुख्यमंत्रियों ने इस मीटिंग का बहिष्कार किया है। सभी राज्यों ने बजट में गैर-भाजपा शासित राज्यों की अनदेखी और भेदभाव का आरोप लगाया है। हालांकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मीटिंग में शामिल हुईं, लेकिन वह नाराज होकर मीटिंग बीच में छोड़कर निकल गईं। उन्होंने बाहर आकर "भेदभाव" और "बोलने से रोकने" का आरोप लगाया। उधर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ममता बनर्जी के आरोपों को झूठा बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया।

चंद्रबाबू को बोलने के लिए 20 मिनट दिए: CM ममता
ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति भवन के साउथ एवेन्यू-साइड गेट के बाहर पत्रकारों से कहा- ''मेरा माइक पांच मिनट के बाद बंद कर दिया गया, जबकि अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को 15 से 20 मिनट का समय दिया गया। मैं बैठक का बहिष्कार करते हुए बाहर आ गई हूं। चंद्रबाबू नायडू को बोलने के लिए 20 मिनट दिए गए, असम, गोवा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने 10-12 मिनट तक बोला। मुझे सिर्फ पांच मिनट के बाद बोलने से रोक दिया गया। यह गलत है। मैं विपक्ष से अकेले आई थी, लेकिन उन्होंने मुझे 5 मिनट में रोक दिया। यह मेरा अपमान है। मैं अब ऐसी किसी बैठक में शामिल नहीं होऊंगी। कोई सरकार इस तरह काम नहीं करती है और जब कोई सरकार सत्ता में होती है, तो उसे सभी का ख्याल रखना होता है।''

वित्त मंत्री सीतारमण ने ममता के आरोप नकारे
निर्मला सीतारमण ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा- सीएम ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में शामिल हुईं। हम सभी ने उन्हें सुना। हर सीएम को बोलने के लिए टाइम अलॉट किया गया था और उसे स्क्रीन पर शो किया जा रहा था, यह स्क्रीन सभी टेबल के सामने लगी हुई थी। लेकिन बैठक से निकलकर उन्होंने मीडिया में कहा कि उनका माइक बंद कर दिया गया। यह पूरी तरह से झूठ है। हर सीएम को बोलने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। इसके बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दावा दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्हें इसके पीछे सच बोलना चाहिए न कि फिर से झूठ पर आधारित कहानी गढ़नी चाहिए।

ममता बनर्जी का आरोप "भ्रामक" है:  PIB Fact Check 
दूसरी ओर, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत PIB फैक्ट चेक (पीआईबी फैक्ट चेक) ने दावा किया कि ममता बनर्जी का आरोप "भ्रामक" है। PIB Fact Check ने X पोस्ट में लिखा- “यह दावा किया जा रहा है कि नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल के सीएम का माइक्रोफोन बंद कर दिया गया। ये दावा #भ्रामक है। घड़ी ने केवल यह दिखाया कि उनके बोलने का समय खत्म हो गया है। यहां तक ​​कि इसे बताने के लिए घंटी तक नहीं बजाई गई।'' बता दें कि अल्फाबेट के अनुसार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बारी लंच के बाद आने वाली थी, लेकिन बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें 7वें स्पीकर के रूप में शामिल किया गया, क्योंकि उन्हें जल्दी लौटना था।

NDA के सहयोगी नीतीश कुमार भी रहे गैर-हाजिर 
बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन कई अन्य इंडिया ब्लॉक नेताओं के साथ बैठक का बहिष्कार कर रहे हैं। उन्होंने X पोस्ट में लिखा- पिछले हफ्ते संसद में पेश केंद्रीय बजट का तमिलनाडु के प्रति "भेदभावपूर्ण रवैया" था। बिहार के मुख्यमंत्री और एनडीए सहयोगी नीतीश कुमार भी बैठक में मौजूद नहीं थे। हालांकि, इसे लेकर कोई कारण अब तक सामने नहीं आया है।

नीति आयोग की बैठक में नहीं गए ये मुख्यमंत्री
उल्लेखनीय है कि विपक्षी इंडिया ब्लॉक के कई मुख्यमंत्री बैठक में शामिल नहीं हुए। इनमें तमिलनाडु के एम.के. स्टालिन (डीएमके), केरल के पिनाराई विजयन (सीपीआई-एम), पंजाब के भगवंत मान (आप) और तीनों कांग्रेस मुख्यमंत्री – कर्नाटक के सिद्धारमैया, हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के रेवंत रेड्डी शामिल थे। उन्होंने बैठक का बहिष्कार करने का कारण "बजट में भेदभाव" बताया है। हालांकि, पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी (टीएमसी) और झारखंड के हेमंत सोरेन (जेएमएम) ने अपनी उपस्थिति की पुष्टि की थी।

क्या है नीति आयोग की बैठक का एजेंडा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल (जीसी) बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। इस मीटिंग का एजेंडा "विकसित भारत@2047" है, जिसका उद्देश्य 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने पर चर्चा करना है। मीटिंग में "विकसित भारत @2047" के विज़न डॉक्यूमेंट के एप्रोच पेपर पर विचार-विमर्श किया जा रहा है, ताकि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहभागिता और सहयोग को बढ़ावा मिल सके और ग्रामीण व शहरी जनता की जीवन गुणवत्ता में सुधार हो सके। सरकार के शीर्ष थिंक टैंक के गठन के बाद से यह नौवीं बैठक आयोजित की गई है। जो मई के आम चुनावों और जीसी के पुनर्गठन के बाद पहली बैठक है, जिसमें भाजपा के एनडीए सहयोगियों के केंद्रीय मंत्रियों को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।