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Cashless treatment Facility: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार (8 जनवरी) को बड़ा ऐलान किया है। बताया कि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अब 7 दिन तक कैशलेस इलाज मिलेगा। मार्च से यह सुविधा पूरे देश में लागू होगी।

Cashless treatment Facility: सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को डेढ़ लाख तक कैशलेस इलाज मिलेगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए नई स्कीम शुरू की है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह योजना अभी 6 राज्यों में चल रही है। मार्च 2025 तक पूरे देश में लागू की जाएगी। ताकि, इलाज के अभाव में किसी व्यक्ति की मौत न हो। 

NHA के सहयोग से लागू होगी योजना 
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार (8 जनवरी) को योजना की जानकारी दी। बताया कि इस योजना के तहत दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अधिकतम 7 दिन 1.5 लाख तक का कैशलेस इलाज मिलेगा। इसके बाद परिजनों को रुपए जमा कराने होंगे। यह योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) के सहयोग से लागू की जाएगी। 

कैशलेस इलाज के फायदे 
केंद्रीय मंत्री गड़करी के इस प्लान की विशेषज्ञों ने तारीफ की है। बताया कि सड़क हादसे में ज्यादातर मौतें समय पर इलाज न मिल पाने के कारण होती हैं। लोग घायलों को अस्पताल नहीं पहुंचाते कि कहीं बिल भी उन्हें ही चुकाना पड़ जाए। सरकार की यह योजना लागू होने के बाद से त्वरित उपचार तो मिलेगा ही, घायलों को अस्पताल पहुंचाने भी से लोग नहीं झिझकेंगे। 

दूर होगी परिवार की वित्तीय चिंता 
केंद्रीय मंत्री गड़करी ने बताया कि कई बार सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्ति इलाज खर्च उठा पाने में असमर्थ होते हैं। इससे उनकी स्थिति बिगड़ जाती है। कई बार तो जान भी चली जाती है। नई योजना का उद्देश्य ऐसे लोगों के त्वरित इलाज की व्यवस्था करना और उनकी वित्तीय चिंताओं को दूर करना है। 

मोटर वाहन एक्ट में होगा बदलाव 
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क सुरक्षा को प्रभावी बनाने पर जोर दिया है। बताया कि मोटर वाहन में संशोधन कर कुछ नए नियम और प्रावधान जोड़े जा रहे हैं। ताकिदुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके। इस संसोधित कानून को अगले सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। 

हर साल डेढ़ लाख से ज्यादा मौतें
भारत में हर साल डेढ़ लाख से अधिक लोग हादसों में जान गंवा देते हैं। वर्ष 2024 में 1.8 लाख मौतें हुई हैं। 2023 में यह आंकड़ा 1.7 लाख थी। यानी सालभर में 10 हजार मौतें बढ़ गईं। हादसों में करीब 30 हजार मौतें हेलमेट के अभाव में हुई हैं। 66 प्रतिशत की उम्र 18 से 34 साल के बीच थी। ज्यादातर हादसे स्कूल-कॉलेज के पास हुए हैं।  

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