One Nation One Election: संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होगा विधेयक, प्रस्ताव को कैबिनेट से मिली मंजूरी

One Nation One Election Approved: केंद्र सरकार ने बुधवार को बड़ा कदम उठाते हुए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' (One Nation, One Election) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसका मकसद देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक ही समय पर कराना है। इस योजना से चुनावों को एक साथ कराने से प्रशासनिक खर्च कम होंगे और बार-बार चुनाव कराने से होने वाली दिक्कतों में भी कमी आएगी।
आगे क्या होगा?
अब इस प्रस्ताव को संसद में लाया जाएगा, जहां पर इस पर बहस होगी। इसके बाद इसे संवैधानिक संशोधन के जरिए लागू करने की कोशिश की जाएगी। अगर यह पास हो जाता है, तो भारत में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, जहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे। इस प्रस्ताव का विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि इससे देश के संघीय ढांचों पर असर होगा। राज्यों की ऑटोनॉमी पर असर होगा।
कैसे हुआ यह फैसला?
इस प्रस्ताव को मंजूरी देने से पहले, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई थी। इस समिति ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की संभावनाओं पर रिपोर्ट तैयार की और इसे सरकार को सौंपा। इसके बाद कैबिनेट ने इस रिपोर्ट पर विचार किया और इसे मंजूरी दे दी। इसके साथ ही लॉ कमीशन ने भी वन नेशन वन इलेक्शन पर प्रस्ताव तैयार किया था। इस योजना को लेकर देश के आम लोगों से भी राय मांगी गई थी।
क्या है 'एक राष्ट्र, एक चुनाव'?
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का मतलब है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों। इससे बार-बार चुनावों की प्रक्रिया से बचा जा सकेगा, और देश की सरकारें और जनता चुनावी माहौल से कुछ राहत पा सकेंगी। फिलहाल, भारत में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, जिससे बार-बार सरकारी कामकाज पर असर पड़ता है।
पीएम मोदी कर रहे हैं इस योजना का समर्थन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस विचार का समर्थन किया था। पीएम मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कहा था कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति पर असर पड़ता है। पीएम मोदी ने कहा था कि अगर देश भर में चुनाव एक साथ होते हैं, तो सरकारी योजनाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जा सकेगा। इससे देश के विकास की गति तेज होगी।
जानें, प्रस्ताव के क्या हैं फायदे
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' से चुनावी खर्चों में कमी आएगी। बार-बार चुनाव कराने की वजह से सरकारी संसाधन और समय खर्च होते हैं। इसके अलावा, चुनावी आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य रुक जाते हैं। अगर सभी चुनाव एक साथ होते हैं, तो ऐसी दिक्कतों से बचा जा सकेगा। चुनाव आयोग के मुताबिक, मौजूदा समय में अलग अलग चुनाव कराने और ईवीएम मशीनों को मैनेज करने में मोटा खर्च हो रहा है। ऐसे में इस योजना से कम खर्च पर चुनाव कराया जा सकेगा।
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