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One Nation One Election Bill:संसद के शीतकालीन सत्र के 17वें दिन मंगलवार(17 दिसंबर) देश के संसदीय इतिहास में बेहद खास होने वाला है। सरकार आज 'एक देश-एक चुनाव' से जुड़े दो अहम बिल पेश करेगी। PM मोदी राज्यसभा में संविधान पर चर्चा में शामिल हो सकते हैं।

One Nation One Election Bill: संसद के शीतकालीन सत्र के 17वें दिन मंगलवार(17 दिसंबर) देश के संसदीय इतिहास में बेहद खास होने वाला है। सरकार आज 'एक देश-एक चुनाव' से जुड़े दो अहम बिल पेश करेगी। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 129वें संविधान संशोधन बिल को तैयार किया है। अर्जुन राम मेघवाल ही इस विधेयक को लोकसभा के पटल पर रखेंगे।

तीन अनुच्छेदों में किया जाएगा संशोधन
इन दो विधेयकों के जरिए संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ा जाएगा और तीन अनुच्छेदों में संशोधन किया जाएगा। इसके साथ ही केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़े कानूनों में भी बदलाव के प्रावधान भी इसमें शामिल किए जाएंगे। इन विधेयकों को हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिली हैञ 

संविधान संशोधन से जुड़े प्रावधान
129वें संविधान संशोधन के जरिए अनुच्छेद 82(A) जोड़ा जाएगा। यह लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का आधार बनेगा। साथ ही अनुच्छेद 83, 172 और 327 में बदलाव किया जाएगा। इसमें लोकसभा और विधानसभाओं का कार्यकाल और समय से पहले चुनाव कराने के नियम तय होंगे। यदि किसी विधानसभा को भंग किया जाता है, तो केवल बचा हुआ कार्यकाल ही पूरा करने के लिए चुनाव होंगे। यह कदम देशभर में चुनावी खर्च और समय बचाने की दिशा में अहम हो सकता है।  

राज्यसभा में PM मोदी का जवाब संभव
संविधान पर विशेष चर्चा राज्यसभा में आज भी जारी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चर्चा के दौरान शाम को अपना जवाब दे सकते हैं। इससे पहले, उन्होंने लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने कांग्रेस पर संविधान के प्रावधानों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। राज्यसभा में बीते दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच तीखी बहस भी चर्चा में रही। आज PM मोदी का जवाब इस बहस को नई दिशा दे सकता है।

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'एक देश-एक चुनाव' की परंपरा क्यों टूटी?
आज़ादी के बाद 1952 से लेकर 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ होते थे। लेकिन 1968-69 में कई विधानसभाएं समय से पहले भंग हो गईं। इसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई, जिससे यह परंपरा टूट गई। अब सरकार इस व्यवस्था को फिर से लागू करना चाहती है। रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने मार्च 2024 में अपनी रिपोर्ट में यह सुझाव दिया था। इस कदम से लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक सरल और पारदर्शी बनाने का दावा किया जा रहा है।

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कोविंद कमेटी ने की हैं कई सिफारिशें 
कोविंद समिति ने 'एक देश-एक चुनाव' के लिए कई सिफारिशें की हैं। इसमें सभी विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाने और सिंगल वोटर लिस्ट तैयार करने की बात कही गई है। इसके अलावा, चुनाव आयोग को लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एडवांस प्लानिंग करने का सुझाव दिया गया है। हालांकि, इस प्रक्रिया को लागू करने में कई संवैधानिक और राजनीतिक चुनौतियां भी हैं। क्या देश इस बदलाव के लिए तैयार है, यह आने वाला समय बताएगा। 

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