One Nation One Election Report Submit: एक देश-एक चुनाव को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली हाई लेवल कमेटी ने गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कोविंद कमेटी ने 191 दिनों के अध्यन, परामर्श के बाद 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है। इसमें 2029 में एक साथ चुनाव कराए जाने की सिफारिश की गई है। कमेटी ने इससे पहले राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात की।
अब आगे क्या करना होगा?
रिपोर्ट में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव के लिए एक मतदाता सूची रखने की बात सामने आई है। साथ ही एक चुनाव के लिए संविधान में संशोधन की भी सिफारिश की गई है। यदि सभी दल सहमत हुए तो 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे। मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम विधानसभाओं का कार्यकाल 6 महीने बढ़ाकर जून 2029 तक करना होगा। उसके बाद सभी राज्यों में एकसाथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव हो सकेंगे।
चुनाव खर्च को लेकर भी रिपोर्ट तैयार
रिपोर्ट में एक साथ चुनावों की आर्थिक व्यवहार्यता (Economic Viability) पर 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्राची मिश्रा का एक पेपर भी शामिल है। रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराने के लिए आवश्यक वित्तीय और प्रशासनिक संसाधनों का भी ब्यौरा है।
शुरुआती तीन चुनावों के डेटा का विश्लेषण
रिपोर्ट में 1951-52 और 1967 के बीच के तीन चुनावों के डेटा का इस्तेमाल किया गया है। तर्क दिया गया है कि तब की तरह अब भी एक साथ चुनाव संभव हैं। एक साथ चुनाव का चक्र तब टूट गया, जब कुछ राज्य सरकारें अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही गिर गईं या बर्खास्त कर दी गईं। जिससे नए चुनाव की आवश्यकता पड़ी थी।
2 सितंबर 2023 को हुआ था गठन
कमेटी का गठन 2 सितंबर, 2023 को किया गया था। इसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति कोविंद हैं। कमेटी की पहली बैठक 23 सितंबर 2023 को दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में हुई थी। कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी समेत 8 सदस्य हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के विशेष सदस्य बनाए गए हैं।
समिति में हैं 8 सदस्य
पूर्व राष्ट्रपति | रामनाथ कोविंद, अध्यक्ष |
वकील | हरीश साल्वे, वरिष्ठ अधिवक्ता |
तीन नेता |
अमित शाह, भाजपा अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस गुलाम नबी आजाद, डीपीए पार्टी |
तीन पूर्व अफसर |
एनके सिंह, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष सुभाष कश्यप, लोकसभा के पूर्व महासचिव संजय कोठारी, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त |
कोविंद ने पार्टियों से की थी ये अपील
कोविंद पहले ही संसदीय और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के पक्ष में हैं। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय हित में इस विचार का समर्थन करने की अपील की थी। पिछले साल नवंबर में पूर्व राष्ट्रपति ने कहा था कि केंद्र में सत्ता में रहने वाली किसी भी पार्टी को एक राष्ट्र, एक चुनाव से लाभ होगा और चुनाव खर्च में बचाए गए धन का उपयोग विकास के लिए किया जा सकता है।
भारतीय जनता पार्टी के 2014 और 2019 के घोषणापत्र में पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की वकालत की गई थी, लेकिन इसे लागू करने के लिए संविधान में कम से कम पांच अनुच्छेद और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में बदलाव करना होगा।
कौन-कौन पक्ष में और कौन कर रहा विरोध
20 फरवरी को भाजपा ने पैनल से कहा था कि भारत के चुनावों को नियंत्रित करने वाले कानून में बदलाव आम सहमति से लाया जाना चाहिए और आदर्श आचार संहिता का बार-बार लागू होना शासन को नुकसान पहुंचाता है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। भाजपा के अलावा, जनता दल (यूनाइटेड), शिवसेना और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया- अठावले ने एक साथ चुनाव का समर्थन किया है।
हालांकि कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी इसके विरोध में हैं।