Resolution against Vice President: कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया ब्लॉक ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विपक्षी सांसदों ने जगदीप धनखड़ को पद से हटाने का प्रस्ताव पेश करने का मन बनाया है। विपक्ष ने राज्यसभा में अध्यक्ष के रूप में उनके "पक्षपाती" व्यवहार के कारण यह कदम उठाने का फैसला किया है। धनखड़ देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर यानी उप राष्ट्रपति हैं। इसके साथ ही धनखड़ राज्यसभा के अध्यक्ष भी हैं। राज्यसभा में धनखड़ और समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन के बीच कई बार बहस हो चुकी है।
87 विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर के साथ पेश होगा प्रस्ताव
कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया ब्लॉक ने कहा है कि धनखड़ का बर्ताव राज्यसभा में लगातार पक्षपातपूर्ण रहा है। विपक्ष का कहना है कि धनखड़ ने अपने पद का दुरुपयोग कर विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश की है। इस बीच, विपक्ष ने 87 सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ प्रस्ताव पेश करने की तैयारी की है। इस प्रस्ताव में धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद से हटाने का सुझाव दिया गया है।
"संविधान के अनुच्छेद 67(b) के तहत क्या होती है प्रक्रिया
संविधान के अनुच्छेद 67(b) के अनुसार, उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए कम से कम 14 दिन पहले प्रस्ताव का नोटिस देना अनिवार्य है। प्रस्ताव राज्यसभा में सभी सदस्यों की बहुमत से पारित होना चाहिए और फिर लोकसभा द्वारा भी इसे स्वीकृति मिलनी चाहिए। हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की संभावना कम है। हालांकि, यह विपक्ष की तरफ से एक संदेश देने की रणनीति है। इस बीच, विपक्ष ने केंद्र सरकार को इस प्रस्ताव के बारे में अनौपचारिक रूप से सूचित भी कर दिया है।
मानसून सत्र के बाद क्या होगा विपक्ष का अगला कदम
संसद का मानसून सत्र, जो 22 जुलाई को शुरू हुआ था। संसद सत्र खत्म हो चुका है। सत्र के समाप्ति के बावजूद विपक्ष अपनी रणनीति पर कायम है और धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने की योजना बना रहा है। सत्र के समापन से पहले ही, विपक्ष ने उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने की अपनी मंशा साफ तौर पर जाहिर कर दी थी। विपक्ष का मानना है किभले ही प्रस्ताव को मंजूरी मिले या ना मिले यह एक अहम राजनीतिक संदेश होगा।
विपक्ष दिखाने की कोशिश कर रहा है अपनी ताकत
इस प्रस्ताव के माध्यम से विपक्ष संविधान के अनुच्छेद 67(b) का इस्तेमाल कर रहा है। इस अनुच्छेद में उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए जरूरी प्रक्रियाओं का विवरण मौजूद है। विपक्ष का कहना है कि वह इस अनुच्छेद का सही और वैध उपयोग कर रहा है ताकि उपराष्ट्रपति के "पक्षपाती" व्यवहार पर सवाल उठाया जा सके। विपक्षी सांसदों का कहना है कि इस प्रक्रिया के जरिए विपक्ष यह दिखाना चाहता है कि देश के संविधान और लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं।
विपक्ष इसे बनाना चाहता है एक बड़ा मुद्दा
धनखड़ के खिलाफ इस प्रस्ताव का राजनीतिक महत्व भी है। विपक्ष इस मुद्दे को जनता के बीच उठाकर उसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाना चाहता है। विपक्ष का मानना है कि उपराष्ट्रपति का "पक्षपाती" व्यवहार न सिर्फ संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है, बल्कि यह लोकतंत्र के लिए भी खतरा है। इस प्रस्ताव के जरिए विपक्ष यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वह संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की रक्षा के लिए तैयार है।