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Pahalgam Terror Attack: पहलगाम हमले के बाद बुधवार (23 अप्रैल) को पीएम मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) बैठक हुई। इसमें पाकिस्तान से सभी रिश्ते खत्म कर 5 सख्त निर्णय लिए गए। जो पाकिस्तान को तबाह कर सकते हैं। पानी के लिए उसे बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है।

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त निर्णय लिया है। भारत ने सिंधु जल समझौता और पाकिस्तान नागरिकों के वीज़ा रद्द करने का निर्णय लिया है। साथ ही अटारी–वाघा बॉर्डर चेकपोस्ट और पाकिस्तान दूतावास बंद करने का ऐलान किया है। पाकिस्तानी नागरिकों को अल्टीमेटम दिया गया है कि 48 घंटे के अंदर वह भारत छोड़ दें। 

विदेश सचिव विक्रम मिस्री के मुताबिक, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) बैठक में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की गई। साथ ही पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई। इस दौरान भारत सरकार ने 5 ऐसे निर्णय लिए, जो पाकिस्तान को आर्थिक रूप से कमजोर कर सकते हैं। 

Pahalgam Terror Attack: मोदी सरकार के 5 बड़े निर्णय 

  1. 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया गया। जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय तरीके से सीमा पार आतंकवाद का समर्थन नहीं छोड़ता। यह कदम पाकिस्तान की कृषि और बिजली उत्पादन को सीधे प्रभावित करेगा, क्योंकि अब भारत पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) के पानी का पूरा उपयोग कर सकेगा।
  2. एकीकृत चेकपोस्ट अटारी को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाएगा। वैध तरीके से सीमा पार कर चुके लोगों को 1 मई 2025 से पहले वापस आने को कहा गया है।  
  3. पाकिस्तानी नागरिकों को SAARC वीजा छूट योजना (SVES) वीजा के तहत भारत यात्रा की अनुमति नहीं मिलेगी। पाकिस्तानी नागरिकों को जारी SVES वीजा रद्द किया गया। SVES वीजा के तहत भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिक को 48 घंटे में भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। 
  4. नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया जाता है। उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय है।
  5. भारत इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से अपने रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को वापस बुलाएगा। संबंधित उच्चायोगों में ये पद निरस्त माने जाएंगे।

क्या है सिंधु जल समझौता?
सिंधु जल समझौता तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी मिलिट्री जनरल अयूब खान के बीच कराची में सितंबर 1960 में हुआ था। 62 साल पहले हुई इस समझौते के तहत पाकिस्तान को करीब 80 फीसदी और भारत को 19.5 फीसदी पानी मिलता है। लेकिन भारत के लिए इस फैसले से पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि, उसकी कृषि क्षेत्र इसी पानी पर निर्भर है।

न्याय के कटघरे में लाए जाएंगे अपराधी 
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, सीसीएस ने समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा कर सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट कर हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने का संकल्प लाया गया है। 

तहव्वुर राणा की तरह होगा प्रत्यार्पण 
तहव्वुर राणा की तरह इन अपराधियों का भी प्रत्यार्पण कराएगी। ऐसे लोगों की भी जानकारी जुटाई जा रहा है, जिन्होंने आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया है। 

दूतावास बंद, वापस बुलाए सलाहकार 
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, नई दिल्ली में स्थित पाकिस्तानी एम्बिसी से जुड़े लोगों को अवांछित घोषित कर एक सप्ताह में भारत छोड़ने को कहा गया है। साथ ही इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग से अपने सलाहकारों को वापस बुलाया गया है। उनके सहायक कर्मचारियों भी वापस बुलाए जाएंगे। 1 मई तक उच्चायोगों की संख्या 55 से घटाकर 30 कर दी जाएगी। 

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