लद्दाख में शिवाजी की मूर्ति पर विवाद: स्थानीय पार्षद कॉनचोक स्टैंजिन ने उठाए सवाल, जानें क्या है मामला

Pangong Lake Shivaji Statue
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Pangong Lake Shivaji Statue: लद्दाख में पैंगॉन्ग झील के पास शिवाजी की मूर्ति लगाने पर विवाद शुरू हो गया है।
Pangong Lake Shivaji Statue: लद्दाख के पैंगोंग झील पर शिवाजी की मूर्ति का अनावरण विवादों में घिर गए हैं। स्थानीय नेताओं इसे लेकर सवाल उठाए हैं। जानें क्या है पूरा मामला।

Pangong Lake Shivaji Statue:लद्दाख के पैंगोंग झील क्षेत्र में भारतीय सेना ने 26 दिसंबर 2024 को छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य मूर्ति का अनावरण किया। यह मूर्ति क्षेत्रीय सुरक्षा और भारत की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। हालांकि, इसका अनावरण होते ही विवाद खड़ा हो गया। स्थानीय पार्षद कॉनचोक स्टैंजिन ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मूर्ति लगाने से पहले स्थानीय लोगों से बातचीत नहीं की गई और यह लद्दाख की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संवेदनशीलता के अनुकूल नहीं है।

लद्दाख में सेना की रणनीतिक मजबूती
पैंगोंग झील भारत और चीन के बीच लंबे समय से तनाव का केंद्र रही है। 2021 में डिसएंगेजमेंट के बावजूद यह क्षेत्र संवेदनशील बना हुआ है। शिवाजी की मूर्ति केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि यह एलएसी पर भारतीय सेना की नई रणनीति का हिस्सा है। सेना यहां सड़कों, पुलों और स्थायी बंकरों का निर्माण कर रही है ताकि किसी भी चुनौती का मजबूती से सामना किया जा सके। यह मूर्ति भारत की सांस्कृतिक शक्ति और क्षेत्रीय संप्रभुता को दर्शाती है।

चुशूल के पार्षद ने मूर्ति पर जताई नाराजगी
चुशूल के पार्षद कॉनचोक स्टैंजिन ने इस मूर्ति पर नाराजगी जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि इसे स्थानीय बातचीत के बिना स्थापित किया गया। उन्होंने कहा कि यह मूर्ति लद्दाख के अनूठे पर्यावरण और वन्यजीवों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसी परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो समुदाय और प्रकृति का सम्मान करती हों। इस टिप्पणी के बाद स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़ गई है।

एलएसी पर सेना मजबूत कर रही अपनी मौजूदगी
यह मूर्ति ऐसे समय पर स्थापित की गई है जब भारतीय सेना एलएसी पर अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रही है। हाल के डिसएंगेजमेंट समझौतों के बावजूद देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में सतर्कता बनी हुई है। सेना ने लद्दाख में बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास किया है, जिसमें सड़कें, पुल और स्थायी बंकर शामिल हैं। मूर्ति की स्थापना भारत की रणनीतिक और सांस्कृतिक ताकत को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है।

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