Parliament Security Breach Case: संसद पर हमले की 22वीं बरसी पर बुधवार को एक बार फिर राजधानी दिल्ली और संसद चर्चा में रही। वजह एक महिला और तीन युवक थे। दो संसद के अंदर घुसे और दो बाहर रहे। चारो ने नारेबाजी करते हुए स्मोक केन से पीले रंग का धुआं स्प्रे किया। गुरुवार को आरोपी नीलम आजाद, सागर शर्मा, मनोरंजन डी और अमोल शिंदे को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया।
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से 15 दिन की रिमांड मांगी। दलील दी कि यह एक सुनियोजित साजिश थी और भारत की संसद पर हमला था। आरोपी ने पैम्फलेट ले रखा था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को लापता व्यक्ति घोषित किया गया था और कहा गया था कि जो व्यक्ति उन्हें ढूंढेगा उसे स्विस बैंक से पैसा दिया जाएगा। आरोपियों ने पीएम को घोषित अपराधी की तरह दिखाया। दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने सात दिन के लिए आरोपियों को दिल्ली पुलिस की हिरासत में भेज दिया है। उधर, लोकसभा सचिवालय ने 8 कर्मियों को सस्पेंड कर दिया है।
घटना के बाद संसद की सुरक्षा सख्त
घटना के बाद संसद की सुरक्षा बेहद सख्त कर दी गई है। संसद के अंदर जाने वाले सांसदों की उनके जूते उतरवाकर चेकिंग की गई। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा को मकर द्वार से एंट्री नहीं मिली। संगमा को कार से उतरकर शार्दुल द्वार से होकर संसद के अंदर जाना पड़ा।
आरोपियों का मकसद क्या था?
संसद में घुसपैठ करने वाले सभी आरोपियों का मकसद क्या था? इस समय सबसे बड़ा सवाल यही है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है कि आरोपियों ने पहले ही संसद के बाहर रेकी कर ली थी। सभी आरोपी एक सोशल मीडिया पेज भगत सिंह क्लब से जुड़े थे। संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के लिए छह महीने से तैयारी चल रही थी। लगभग डेढ़ साल पहले सभी आरोपी मैसूर में मिले थे। आरोपी सागर जुलाई में लखनऊ से दिल्ली आया था, लेकिन संसद में एंट्री नहीं कर सका था।
इंडिया गेट पर इकट्ठा हुए थे सभी
10 दिसंबर को सभी अपने-अपने राज्यों से दिल्ली पहुंचे। बुधवार यानी घटना वाले दिन सभी इंडिया गेट के पास इकट्ठा हुए। जहां सभी को कलर स्प्रे दिया गया। पुलिस का यह भी कहना है कि संसद सुरक्षा को तोड़ने का मुख्य साजिशकर्ता कोई और है। जल्द खुलासा होगा। फिलहाल पांच आरोपी हिरासत में है। छठे की तलाश चल रही है।
इन मुद्दों पर सरकार का ध्यान चाहते थे
पूछताछ के दौरान आरोपियों ने पुलिस को बताया कि सुरक्षा घेरा तोड़ने का उद्देश्य विभिन्न मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना था। आरोपियों ने पुलिस को बताया है कि वे बेरोजगारी, किसानों की परेशानी और मणिपुर हिंसा जैसे मुद्दों से परेशान थे। उनका कहना है कि उन्होंने ध्यान आकर्षित करने के लिए रंगीन धुएं का इस्तेमाल किया ताकि कानून निर्माता इन मुद्दों पर चर्चा कर सकें।
एक अधिकारी ने कहा कि सभी आरोपियों की विचारधारा एक जैसी है और इसलिए उन्होंने सरकार को एक संदेश देने का फैसला किया। सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या उन्हें किसी ने या किसी संगठन ने निर्देश दिया था।
कुछ यूं हुआ घटनाक्रम
बुधवार दोपहर करीब एक बजे जब लोकसभा में शून्यकाल सत्र चल रहा था, सागर शर्मा विजिटर गैलरी से बाहर निकलकर सदन में आ याए। उसने पीले रंग का धुआं स्प्रे किया। लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने की कोशिश में एक डेस्क से दूसरे डेस्क पर छलांग लगाने लगा। लेकिन सांसदों ने उसे पकड़ लिया और जमकर पीटा। सागर का साथी मनोरंजन गैलरी में मौजूद था। लोग उसकी तरफ दौड़े तो उसने ध्यान भटकाने के लिए धुएं का डिब्बा खोल लिया।
दो अन्य प्रदर्शनकारियों को संसद के बाहर सड़क पर एयरोसोल कनस्तर से रंगीन धुआं छोड़ते हुए पकड़ा गया।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम किसी संगठन से नहीं जुड़े हैं। हम छात्र हैं और बेरोजगार हैं। हमारे माता-पिता मजदूर और किसान के रूप में काम करते हैं और कुछ छोटे दुकानदार हैं। हमारी आवाज दबाई जा रही है। इसलिए हमने यह प्रयास किया है।
विपक्ष ने सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार को घेरा
फिलहाल विपक्ष में सरकार को संसद की सुरक्षा के मुद्दे पर घेर लिया है। तमाम सवाल उठाए जा रहे हैं। बुधवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को पुरानी संसद पर हुए हमले में शहीद हुए 9 लोगों को श्रद्धांजलि दी थी। सुरक्षा में सेंध के बाद संसद के आसपास के क्षेत्र को पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती के साथ एक किले में बदल दिया गया था। जबकि दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा को जांच का काम सौंपा गया है।