Baba Ramdev News: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 23 अप्रैल को पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान योग गुरु बाबा रामदेव से अखबारों में छपवाए गए माफीनामे पर सवाल किए। कोर्ट ने पूछा कि आपकी ओर से कितना बड़ा माफीनामा छपवाया गया है। क्या माफीनामा भी उतना ही बड़ा है जितना बड़ा आपने भ्रामक विज्ञापन दिया था। सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव खुद सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहे। पिछली सुनवाई के दौरान भी कोर्ट ने बाबा रामदेव के कोर्ट रूम में नहीं आने पर नाराजगी जाहिर की थी।
हमें माफीनामे की कटिंग सौंपिए: कोर्ट
कोर्ट ने पूछा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि माफीनामा इतना छोटा छपवाया गया हो कि उसे माइक्रोस्क्रोप लेकर पढ़ना पड़े। हमें अपने विज्ञापन की कटिंग पेश कीजिए। माफीनाम ऐसा नहीं हो कि यह सिर्फ दिखाने के लिए अखबार के पन्नों पर नहीं हो, ऐसा हो कि पढ़ा जा सके। हमें बताइए कि माफीनामे का साइज क्या है। इसका आकार बढ़ाकर हमारे सामने पेश मत कीजिए। हम देखना चाहते हैं कि यह कितना बड़ा है। हमें माफीनामे की कटिंग सौंपिए।
माफीनामा छपवाने की टाइमिंग पर भी पूछे सवाल
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुतुल्लाह की सदस्यता वाली बेंच ने माफीनामा छपवाने की टाइमिंग को लेकर भी सवाल किए। कोर्ट ने बाबा रामदेव की ओर से पेश हुए वकील मुकुल राेहतगी से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से ठीक पहले ही यह सार्वजनिक माफीनामा क्यों छपवाया गया। बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन के मामले में जमकर फटकार लगाई थी। इसके साथ ही पतंजलि आयुर्वेद के प्रोमोटर्स बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के माफीनामे को मानने से इनकार कर दिय था।
देश के 67 अखबारों के छपवाया गया विज्ञापन
मंगलवार को पंतजलि आयुर्वेद की ओर से भ्रामक विज्ञापन छपवाने के लिए माफी मांगते हुए देश के 67 अखबारों में विज्ञापन छपवाए गए। इसमें कहा गया था कि भविष्य में भ्रामक विज्ञापन जारी करने जैसी गलती दोबारा नहीं होगी। पतंजलि आयुर्वेद ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि कंपनी संविधान और अदालत की गरिमा बनाए रखने के प्रति प्रतिबद्ध है। पतंजलि आयुर्वेद की ओर से पेश की गई दलीलाें को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई टाल दी। अब मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी। इस सुनवाई में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से जुड़े मामले के अन्य सात बिंदुओं पर जिरह होगी।
कई अन्य FMCG कंपनियां भी भ्रामक विज्ञापन छपवा रहीं
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि देश की कई अन्य FMCG कंपनियों द्वारा भी भरमाने वाले विज्ञापन प्रकाशित करवाए जा रहे हैं। जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि ऐसे भ्रामक विज्ञापनों से खास तौर पर नवजात शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और बुजुर्ग नागरिकों की सेहत पर असर हो रहा है, क्योंकि यह लोग इन विज्ञापनाें को देखकर प्रोडक्ट खरीद रहे हैं और उसका इस्तेमाल कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यह ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट का दुरुपयोग है। इसे रोकने के लिए सरकार की ओर से कौन से कदम उठाए गए हैं, इसकी जांच करनी होगी और इसलिए इस मामले में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को भी शामिल किया जाना जरूरी है।
माफीनामे में पतंजलि ने क्या कहा है?
पतंजलि आयुर्वेद की ओर से छपवाए गए माफीनामे में कहा गया है कि पतंजलि आयुर्वेद सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का पूरी तरह से सम्मान करता है। हमार वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में कोई भी भ्रामक विज्ञापन नहीं देने की बात कही थी। इसके बाद भी विज्ञापन प्रकाशित कराए और इस मुद्दे को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया, इस गलती के लिए हम ईमानदारी से माफी मांगते हैं। हम प्रतिबद्धता जाहिर करते हैं कि भविष्य में दोबारा इस तरह की गलती नहीं दोहराई जाएगी।
27 फरवरी को विज्ञापनों पर लगाई थी रोक
27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को रक्तचाप, मधुमेह, गठिया, अस्थमा और मोटापे जैसी बीमारियों की दवाओं के विज्ञापन पर रोक लगा दी थी। पतंजलि आयुर्वेद और इसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था। अवमानना नोटिस पतंजलि आयुर्वेद के कथित भ्रामक विज्ञापनों के प्रसार के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा दायर एक याचिका पर जारी की गई थी।