Patanjali misleading advertisements Case: पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में मंगलवार, 14 मई को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण अदालत में व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने अवमानना के मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। बाबा रामदेव और बालकृष्ण को व्यक्तिगत पेशी से छूट गई है। इसके साथ अदालत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष को कड़ी फटकार लगाते हुए उनके माफीनामे को ठुकरा दिया। 

बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद से पूछा कि जिन दवाओं के लाइसेंस सस्पेंड किए गए हैं, उनको दुकान पर बेचने से रोकने और बाजार से वापस लेने को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं? कोर्ट ने पतंजलि से इस पर हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय भी दिया। 

बेंच ने पूछा- आपके क्लाइंट को पड़ा था हार्ट अटैक
सुनवाई के दौरान जस्टिस अमानुल्लाह ने बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि आपके क्लाइंट (आचार्य बालकृष्ण) को कुछ साल पहले AIIMS जाना पड़ा था, एक हार्ट अटैक के चलते। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बहुत सारे एलोपैथिक डॉक्टर्स आयुर्वेद पर भरोसा करते हैं। इस पर जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि बाबा रामदेव पर लोगों की आस्था है। उन्हें जनता को कम नहीं आंकना चाहिए। जनता जागरूक है, अगर उनके पास विकल्प हैं तो वे सोच-समझकर विकल्प चुनते हैं।

बाबा रामदेव का बड़ा योगदान, लेकिन..
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रामदेव ने योग के लिए बहुत कुछ अच्छा किया है तो जस्टिस कोहली ने जवाब दिया कि बाबा रामदेव का योग में बड़ा योगदान है। लेकिन पतंजलि के प्रोडक्ट्स की बात करें तो वह एक अलग मसला है। 

बेंच शीर्ष अदालत पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और उसके संस्थापकों द्वारा कोविड-19 टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ चलाए गए कथित बदनामी अभियान के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर एक मामले पर सुनवाई कर रही थी।

पतंजलि की ओर से पेश वकीलों ने पीठ को बताया कि कंपनी ने उन सभी प्लेटफार्मों को लिखा है जो अभी भी उसके विज्ञापन चला रहे थे और प्रतिबंधित उत्पादों की बिक्री बंद हो गई है।

आईएमए अध्यक्ष के माफीनामे को ठुकराया
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से आईएमए अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने बिना शर्त माफी मांगी। अशोक ने एक इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी की थी। इस इंटरव्यू में वे पतंजलि केस से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे। शीर्ष अदालत ने आईएमए अध्यक्ष की खिंचाई की। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह अशोकन द्वारा बिना शर्त माफी मांगने वाले हलफनामे से सहमत नहीं है।

एक इंटरव्यू में अशोकन ने कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए और प्राइवेट डॉक्टरों की प्रैक्टिस की आलोचना की। पतंजलि ने आईएमए अध्यक्ष के खिलाफ एक आवेदन दायर कर पीठ से अशोकन द्वारा की गई अवांछनीय और अनुचित टिप्पणियों पर न्यायिक नोटिस लेने की मांग की थी।

अशोकन आप वही कर रहे जो पतंजलि ने किया
पीठ ने अशोकन से कहा कि आप बिल्कुल वही कर रहे हैं जो पतंजलि ने किया था। आप आम आदमी नहीं हैं, क्या आप ऐसी चीजों के परिणामों को नहीं जानते? हम स्वतंत्र अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कायम रखने वाले पहले व्यक्ति हैं। लेकिन कई बार आत्मसंयम होना चाहिए। आईएमए अध्यक्ष के रूप में, आपको आत्मसंयम रखना चाहिए था। यही बात है। हमने आपके साक्षात्कारों में ऐसा नहीं देखा।

पीठ ने कहा कि डॉ. अशोकन आप भी इस देश के नागरिक हैं। न्यायाधीशों को जितनी आलोचना का सामना करना पड़ता है, वे प्रतिक्रिया क्यों नहीं देते? क्योंकि व्यक्तिगत रूप से हमारे पास ज्यादा अहंकार नहीं है, हम उदार हैं। हम कार्रवाई करने का अधिकार है, लेकिन हम ऐसा बहुत कम करते हैं। हम कुछ जिम्मेदारी की भावना के साथ अपने विवेक का उपयोग करते हैं।