Fact Check Unit: प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के अंतर्गत फैक्ट चेक यूनिट का गठन करने पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रोक लगाई। मोदी सरकार ने एक दिन पहले बुधवार को ही आईटी नियमों के तहत फैक्ट चेक यूनिट को अधिसूचित (नोटिफाई) किया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह यूनिट अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है। यह फैक्ट चेक यूनिट (Fact Check Unit) केंद्र सरकार के बारे में सोशल मीडिया में वायरल हो रही फर्जी सूचनाओं और पोस्ट की पहचान करने के साथ उसे प्रतिबंधित करने के लिए बनाई जानी थी।
याचिकाकर्ताओं को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत नहीं
पिछले साल केंद्र ने कोर्ट में कहा था कि वह आईटी नियमों पर अंतिम फैसला आने तक फैक्ट चेक यूनिट को नोटिफाई नहीं करेगा। लेकिन खंडित फैसले के बाद सरकार ने कहा कि मौखिक आश्वासन केवल तीसरे जज द्वारा मामले की सुनवाई तक ही बढ़ाया जा सकता है। याचिकाकर्ता स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन्स ने फेक्ट चेक यूनिट को अधिसूचित करने पर रोक लगाने की मांग की है। इन्होंने संशोधित आईटी नियम को असंवैधानिक, मनमाना और मूल अधिकारों का हनन करार दिया है।
याचिकाकर्ता बोले- यह नियम असंवैधानिक
अब बॉम्बे हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने पर याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिस पर चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के 11 मार्च को दिए आदेश को रद्द कर दिया। फिलहाल, पीआईबी की फैक्ट चेक यूनिट पर रोक रहेगी।
कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की 3 दलीलें?
1) देश में सभी ऑनलाइन यूजर्स के लिए स्वतंत्र फैक्ट चेक यूनिट होनी चाहिए, जबकि केंद्र सरकार इसे सिर्फ अपने लिए लाई है, जो मनमाना है।
2) फैक्ट चेक यूनिट क्या गलत है या क्या सही, ये साबित करने के लिए केंद्र के फैसले पर निर्भर नहीं हो सकता है।
3) अगले महीने लोकसभा चुनाव होने हैं। केंद्र के लिए फैक्ट चेक यूनिट एक हथियार बन सकती है, जो मतदाताओं के लिए सिलेक्टिव कंटेट तय करेगी।
आईटी नियमों में क्या बदलाव हुआ था?
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मिनिस्ट्री (Meity) ने बुधवार (20 मार्च) को ही सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत फैक्ट चेक यूनिट को नोटिफाई किया था। सरकार ने अप्रैल 2023 में सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में कुछ संशोधन किए थे, जिसके तहत फैक्ट चेक यूनिट वायरल हो रहे फर्जी/फेक या सरकार के कार्यों से जुड़े भ्रामक तथ्यों की पहचान करेगी और उन्हें ऐसे कंटेंट को हटाने के संबंध में सोशल मीडिया मीडिएटर्स को भेजेगी। फिर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से यह कंटेंट हटाना पड़ेगा।