Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री मोदी की युवाओं से अपील- ज्यादा से ज्यादा NCC से जुड़िए; दूसरी बार डिजिटल अरेस्ट का किया जिक्र

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात रेडियो कार्यक्रम के 115वें एपिसोड काे संबोधित किया।
Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो शो 'मन की बात' के 116वें एपिसोड को संबोधित किया। यह पीएम मोदी का मासिक रेडियो संबोधन है, जिसमें वह राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर चर्चा करते हैं।

Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम के जरिए देशवासियों के सामने अपने विचार रखे। उन्होंने रेडियो शो के जरिए दूसरी बार डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड का जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि साइबर अपराधियों के लिए बुजुर्ग डिजिटल अरेस्ट का सॉफ्ट टारगेट हैं। आज देशभर में कई युवा लोगों को डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी से बचने के उपाय बता रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान कानून में नहीं है। यह पूरी तरह से फ्रॉड है। साथ ही उन्होंने ज्यादा से ज्यादा युवाओं से NCC से जुड़ने की अपील की। पीएम मोदी ने रविवार (24 नवंबर) को मन की बात के 116वें एपिसोड को संबोधित किया।

जनवरी में होगा 'विकसित भारत यंग लीडरशिप डायलॉग'
पीएम मोदी ने कहा कि भारत बॉर्डर एरिया में रहने वाले ज्यादा से ज्यादा युवाओं को एनसीसी से जोड़ने के लिए अभियान चला रहा है। मुझे भी अपने एनसीसी के दिन याद आते हैं। NCC से विकसित भारत में युवाओं का रोल बेहद अहम है। 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती है। इस बार दिल्ली स्थित भारत मंडपम में 'विकसित भारत यंग लीडरशिप डायलॉग' में जुटेंगे। मैंने पिछले 15 अगस्त को एक लाख युवाओं को राजनीति से जोड़ने की बात कही थी। हम ऐसे युवाओं को राजनीति में आगे लाएंगे, जिनके परिवार में राजनीति का कोई बैकग्राउंड नहीं है।

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डिजिटल अरेस्ट को लेकर दूसरी बार आगाह किया
भोपाल के एक युवा महेश कुमार ने कई बुजुर्गों को मोबाइल फोन चलाना और ऑनलाइन भुगतान करना सिखाया है। इनके जैसे कई युवा आज देशभर में लोगों को डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी से बचने के उपाय बता रहे हैं। मैंने पिछले प्रोग्राम में भी आप सभी को डिजिटल अरेस्ट को लेकर आगाह किया था। फिर से कहता हूं कि डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान भारतीय कानून में नहीं है। यह पूरी तरह से फ्रॉड है।

'गयाना के राष्ट्रपति भारतीय मूल के, उन्हें विरासत पर गर्व'

  • गयाना में एक मिनी भारत बसता है। 80 साल पहले भारतीय लोगों को वहां खेतों में मजदूरी के लिए ले जाया गया था। भारतीय मूल के कई लोग गयाना की राजनीति में अहम पदों पर कार्यरत हैं। गयाना के राष्ट्रपति इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं, वे अपनी ऐतिहासिक विरासत पर गर्व करते हैं। ओमान में गुजरात के कच्छे से जाकर कई परिवार बसे हुए हैं। उन्होंने व्यापार के क्षेत्र में बड़ा औहदा हासिल कर लिया है। ओमान में भारतीय दूतावास आज इन भारतीय परिवारों से जुड़े दस्तावेज संभालने का अभियान चला रहा है।
  • जो देश अपने इतिहास को संजो कर रखता है, उसका भविष्य भी सुरक्षित रहता है। अगर आपके पास ऐतिहासिक विरासत और संस्कृति से जुड़ा कोई आइडिया है तो उसे नेशनल आर्काइव के साथ शेयर करें। मुझे पता चला है कि स्लोवाकिया में भारतीय उपनिषदों को अनुवाद किया गया है।

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'एक पेड़ मां के नाम गयाना समेत कई देशों का पहुंचा'

आपको बताते हुए मुझे खुशी है कि हमने एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत 5 महीने में 100 करोड़ पेड़ लगाने की उपलब्धि हासिल की है। यह अभियान विदेशों तक फैल चुका है। जब में गयाना में था, तो वहां के राष्ट्रपति ने परिवार के साथ एक पेड़ मां के नाम लगाया। मध्य प्रदेश के इंदौर में एक अनोखा रिकॉर्ड बना है। यहां 24 घंटे में 12 लाख पेड़ लगाए गए। जैसलमेर में अनोखा रिकॉर्ड बना। यहां महिलाओं ने एक घंटे में 25 हजार पेड़ लगाए।

'शहरीकरण से गोरैया हमसे दूर चली गई'
साथियों, आपने बचपन में अपने घरों की छत या मुंडेर पर गोरैया को चहकते हुए जरूर देखा होगा। लेकिन आज एक पीढ़ी इस प्यारे पक्षी को सिर्फ मोबाइल और वीडियो में देख पा रही है। बढ़ते शहरीकरण के कारण आज गोरैया हमसे दूर चली गई है। चेन्नई के एक ट्रस्ट ने गोरैया को बचाने के लिए मुहिम शुरू की है। ट्रस्ट स्कूलों में जाकर बच्चों को बताता है कि गोरैया कैसे हमारे इकोसिस्टम को मदद करती है। बच्चों को इस प्यारे पक्षी के लिए घोसले बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। बच्चों को पक्षियों के बारे में जानकारी देना जरूरी है, इससे उनके मन में प्रकृति के प्रति प्रेम विकसित होगा।

'कपड़ों की कतरन से बन रहे फैशन प्रोडक्ट्स'
सरकारी विभागों से पुराने दस्तावेजों को हटाने और डिजिटलीकरण करने की मुहिम चलाई जा रही है। दफ्तर में साफ-सफाई रखने से एक ओनरशिप का भाव आता है। कचरे से कंचन, कुछ बेटियों ने ट्रेलर्स की दुकानों से कपड़ों की कतरन उठाने का काम शुरू किया है। वे इससे उपयोग लायक फैशन प्रोडक्ट्स तैयार करती हैं। कानपुर में एक ग्रुप के लोग मॉर्निंग वॉक पर निकलते हैं और गंगा के घाटों पर प्लास्टिक इकट्ठा कर सफाई करते हैं। अगर आपके आसपास भी स्वच्छता से जुड़ी ऐसी कोई पहल हो रही है तो आप मुझे जरूर लिखिए।

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