PM Modi resignation new government formation:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दिया है। इस बार भाजपा ने 240 सीटें जीती हैं जबकि एनडीए ने कुल 292 सीटों पर जीत हासिल की है। दूसरी ओर, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने 99 सीटें जीती हैं। वहीं पूरे इंडिया ब्लॉक ने एक साथ मिलकर 233 सीटें जीती हैं।अब सवाल उठता है कि आगे क्या होगा और नई सरकार कैसे बनेगी। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
सरकार बनाने के लिए क्या है मैजिक फिगर?
भारत में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी या गठबंधन को लोकसभा में 272 सीटें चाहिए होती हैं। यह संसद की कुल 543 सीटों का आधा यानी 50% बहुमत है। इससे यह तय होता है कि जो सभी सरकार बनेगी उसे कानून बनाने और सरकार को सुचारू रूप से चलाने के लिए पर्याप्त समर्थन मिलेगा। अगर कोई पार्टी कुल संसदीय सीटों में से 50% सीटों पर जीत हासिल कर लेती है तो वह अकेले सरकार बना सकती है।
कोई भी पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई तो क्या होता है?
यदि कोई भी पार्टी अकेले अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाती है, तो उसे छोटे दलों के साथ गठबंधन करना पड़ता है। गठबंधन दो प्रकार के होते हैं। एक गठबंधन ऐसा होता है जो चुनाव से पहले किया जाता है। वहीं दूसरा गठबंधन ऐसा होता है जो चुनाव के बाद किया जाता है। गठबंधन में शामिल पार्टियां आम तौर पर ज्यादा सीटें हासिल करने वाले सहयोगी दल को अपना समर्थन देती हैं। मौजूदा समय में बीजेपी के साथ यही स्थिति है।
गठबंधन सरकार पर मंडराता रहता है त्रिशंकु संसद का डर
हालांकि, कई बार ऐसा भी होता है कि सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही गठबंधन में शामिल सहयोगी दल अपना समर्थन वापस ले लेती हैं। इस स्थिति को त्रिशंकु संसद (Hung Parliament) कहा जाता है। ऐसी स्थिति में सरकार बनाने की कोशिश में जुटी पार्टी को दूसरी पार्टी से समर्थन हासिल करने के बाद अपना दावा पेश करना होता है। 1999 में सिर्फ एक सीट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई थी। उस समय ओम प्रकाश चौटाला ने वाजपेयी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था।
चुनाव के नतीजे आने के बाद क्या होती है प्रक्रिया?
चुनाव होने के बाद हर जीतने वाले प्रत्याशी को उसके संसदीय क्षेत्र के रिटर्निंग अफसर की ओर से एक सर्टिफिकेट दिया जाता है। कैंडिडेट से इसके बाद एक एकनॉलेजमेंट रिसिप्ट पर साइन करवाया जाता है। इसके बाद इस रिसिप्ट को रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए लोकसभा सचिव को भेजा जाता है। चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार ऐसा करना जरूरी होता है। फॉर्म 22 सर्टिफिकेट के आधार पर लोकसभा में नए सांसदों के शपथ ग्रहण के समय उनके पहचान का वेरिफिकेशन किया जाता है।
राष्ट्रपति किसे भेजेंगी सरकार बनाने का न्यौता?
सभी सांसदों को सर्टिफिकेट मिलने के बाद चुनाव आयोग नव निर्वाचित सांसदों की लिस्ट राष्ट्रपति को सौंपता है। इसके बाद राष्ट्रपति प्रोटोकॉल के हिसाब से सिंगल लारजेस्ट पार्टी यानी कि सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने वाली पार्टी को सरकार बनाने का न्यौता भेजते हैं। हालांकि मौजूदा समय में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में एनडीए अपने सभी सहयोगी दलों का समर्थन हासिल करने और संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद राष्ट्रपति के पास खुद पहुंचेगा। एनडीए की ओर से सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा। इस बार एनडीए के पास 292 सीटें हैं, इस लिहाज से देखें तो वह सरकार बनाने के लिए सक्षम हैं। हालांकि, भाजपा के पास अकेले 240 सीटें हैं, जो बहुमत से कम हैं। यही वजह है को अपने सहयोगी दलों की सहायता की जरूरत पड़ रही है।
पुरानी सरकार को इस्तीफा क्यों देना पड़ा?
लोकतंत्र में चुनाव के बाद नई सरकार का गठन एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। जब चुनाव होते हैं, तब मौजूदा सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है ताकि नई सरकार का गठन हो सके। 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पद से इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दिया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि चुनाव परिणाम के आधार पर नई सरकार का गठन हो सके और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन किया जा सके।
कब होगा पीएम मोदी का शपथ ग्रहण समारोह?
एनडीए ने नरेंद्र मोदी को अपने नेता के रूप में चुना है। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नरेंद्र मोदी को अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगी। नरेंद्र मोदी के 8 जून को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है, तो वह कांग्रेस के पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद देश के पहले (और एकमात्र) नेता होंगे, जो तीन बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। पीएम मोदी का इस्तीफा और नई सरकार के गठन की प्रक्रिया भारतीय लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण
प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह भी उसी दिन होने की संभावना है। इसमें नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी, जो विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालेंगे। इस बार एनडीए के सहयोगी दलों के नेताओं को भी महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए जाने की संभावना है। हालांकि, कैबिनेट पोर्टफोलियो को लेकर अब तक ज्यादा जानकारी सामने नहीं आ सकी है।
नई सरकार की चुनौतियां और प्राथमिकताएं
नई सरकार के सामने कई चुनौतियां होंगी, जिनमें आर्थिक विकास, बेरोजगारी, महंगाई, और सामाजिक सुधार प्रमुख हैं। सरकार को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे और देश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाना होगा। इसके साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत करना और विदेश नीति को मजबूत करना भी सरकार की प्राथमिकता होगी।