78th Independence Day: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के सामनो यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर सरकार का रुख साफ कर दिया है। 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गुरुवार (15 अगस्त) को लालकिले की प्राचीर से पीएम मोदी ने अपने 11वें संबोधन में भारत में UCC लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस समय देश को सांप्रदायिक नहीं, बल्कि धर्मनिरपेक्ष सिविल कोड (Secular Civil Code) की जरूरत है। इस दौरान समारोह में मौजूद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ के चेहरे पर हल्की सी मुस्कार नजर आई।
मौजूदा सिविल कोड सांप्रदायिक है: PM Modi
अपने ऐतिहासिक संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वर्तमान में जो सिविल कोड लागू है, वह सांप्रदायिक है। उन्होंने इसे समय की मांग बताते हुए कहा कि अब देश में एक धर्मनिरपेक्ष यानी सेक्यूलर सिविल कोड होना चाहिए, ताकि हम धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव से मुक्त हो सकें। इन कानूनों पर सभी लोग अपने विचार लेकर आएं और उन पर व्यापक चर्चा हो।
पीएम मोदी ने सिविल कोड को लेकर भाषण में क्या कहा?
प्रधानमंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार यूनिफॉर्म सिविल कोड पर चर्चा की है और इसे लेकर आदेश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं का जो सपना था, उसे पूरा करना हमारा कर्तव्य है। धर्म के आधार पर बांटने वाले कानूनों का समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। अब समय आ गया है कि हम 75 साल पुराने सांप्रदायिक सिविल कोड से आगे बढ़कर एक धर्मनिरपेक्ष सिविल कोड की ओर कदम बढ़ाएं ताकि देश में धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव को खत्म किया जा सके।
मिशन मोड में "ईज ऑफ लिविंग" को बढ़ावा देने पर जोर
अपने भाषण में पीएम मोदी ने आगे कहा कि 2047 के विजन के तहत मेरा मानना है कि सरकार का हस्तक्षेप आम नागरिकों के जीवन में न्यूनतम होना चाहिए। जहां जरूरी हो, वहां हस्तक्षेप हो, लेकिन गैरजरूरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि सरकार ने डेढ़ हजार से अधिक कानूनों को खत्म किया है और छोटे-मोटे कारणों से जेल भेजने वाले नियमों को भी हटा दिया है। उन्होंने मिशन मोड में "ईज ऑफ लिविंग" को बढ़ावा देने की बात कही और नागरिकों से अपील की कि वे सरकार को उन गैरजरूरी चीजों के बारे में बताएं जिन्हें खत्म किया जाना चाहिए।