2024 Lok Sabha Election: अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव प्रस्तावित है। अगले 15 दिन के भीतर चुनाव की तारीखों का ऐलान इलेक्शन कमीशन कर सकता है। समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अपने कई उम्मीदवार उतार दिए हैं। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच दिल्ली, गोवा, गुजरात समेत कई राज्यों में सीट बंटवारा हो चुका है। भाजपा भी चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची शुक्रवार को घोषित कर सकती है।
पब्लिक फीडबैक, आंतरिक मूल्यांकन और हाई लेवल स्ट्रैटजी
सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने चुनावी जंग में उम्मीदवारों का चयन करने के लिए पब्लिक फीडबैक, आंतरिक मूल्यांकन और हाई लेवल स्ट्रैटजी डिस्कशन के बाद एक मल्टीलेवल और विस्तृत प्रक्रिया अपनाई है। गुरुवार देर रात केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक करीब 6 घंटे चली। बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया। 543 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों पर व्यापक चर्चा की गई।
पीएम मोदी खुद उम्मीदवारों के चयन की बागडोर अपने हाथ संभाल रखी है। लेकिन सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या पुराने नेताओं के टिकट कटेंगे और नए चेहरों को मौका दिया जाएगा? या उम्मीदवारों के चयन में नया प्रयोग किया जाएगा?
क्या होगी भाजपा की प्लानिंग
- क्या कमजोर सीटों पर पहले उम्मीदवार उतारे जाएंगे?
- यूपी पर फोकस किस तरह रहेगा, क्योंकि केंद्र की सत्ता का रास्ता इसी राज्य से निकलता है?
- असम में क्या गठबंधन होगा या अकेली लड़ेगी भाजपा?
- कश्मीर में लोकसभा चुनाव में भाजपा क्या रणनीति अपनाएगी?
- शिवराज सिंह, धर्मेंद्र प्रधान जैसे दिग्गज क्या चुनाव लड़ेंगे?
अब जानिए किस रणनीति पर फोकस कर रही भाजपा?
भाजपा ने ग्राउंड लेवल से लोगों का फीडबैक जुटाया है। इसके लिए नमो ऐप का उपयोग किया गया। जनता को मौजूदा सांसदों के प्रदर्शन पर अपनी राय व्यक्त करने के लिए एक मंच दिया गया था। भाजपा ने तीन सबसे लोकप्रिय नेताओं के बारे में पूछताछ करके लोगों से उनकी राय ली।
मंत्रियों से सांसदों के जुटाई जानकारी
यह काम भाजपा बीते दो सालों से कर रही है। भाजपा ने लगातार अपने सांसदों से फीडबैक मांगा है, उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया और चिंताओं का समाधान किया है। निर्णय लेने के लिए भाजपा ने प्रत्येक संसदीय क्षेत्र पर विस्तृत रिपोर्ट जुटाने के लिए सर्वेक्षण एजेंसियों से संपर्क किया। मंत्रियों को लोकसभा सीटों का दौरा करने, रिपोर्ट जुटाने और मौजूदा सांसदों के प्रदर्शन के बारे में जानकारी देने का काम सौंपा गया था।
मंत्रियों और संगठन से एकत्रित जानकारी को राज्य-स्तरीय चुनाव समिति की बैठकों में एकत्रित किया गया। जिससे अंतिम चयन प्रक्रिया की नींव रखी गई।
करीब 70 सांसदों के कटेंगे टिकट
भाजपा अन्य दलों के उम्मीदवारों को अपने पाले में लाने की रणनीति बनाई है। भाजपा नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया कि खराब प्रदर्शन वाले सांसदों के टिकट बिना किसी हिचकिचाहट के रद्द कर दिए जाएंगे। नए चेहरों के लिए रास्ता बनाने के लिए कम से कम 60-70 मौजूदा सांसदों को टिकट रद्द करने का सामना करना पड़ सकता है।
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय से आने वाले कई सांसदों के दोबारा चुनाव लड़ने की उम्मीद है। 2019 का लोकसभा चुनाव इसका सबसे बढ़िया उदाहरण है। चुनावों में भाजपा के 85 ओबीसी सांसद जीतकर संसद पहुंचे थे।
क्या राज्यसभा सांसद लड़ेंगे चुनाव?
पार्टी सूत्रों के अनुसार, गुरुवार रात करीब 11 बजे शुरू हुई और चार घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में भाजपा ने 2019 के चुनावों में हारी सीटों पर कब्जा करने या अपनी स्थिति में सुधार करने को प्राथमिकता दी है।
अनुमान है कि भूपेन्द्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान और मनसुख मंडाविया सहित कई केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारा जा सकता है। विशेष रूप से पार्टी ने संसद के उच्च सदन के लिए हाल के चुनावों के दौरान इन मंत्रियों को एक और राज्यसभा कार्यकाल नहीं बढ़ाने का विकल्प चुना।