Narendra Modi Manipur Violance: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर में पिछले एक साल से जारी हिंसा का जिक्र किया। पीएम ने दावा किया है कि पूर्वोत्तरी राज्य अब शांति बहाली की ओर लौट रहा है। मणिपुर में हिंसक घटनाएं कम होती जा रही हैं। आम दिनों की तरह वहां स्कूल-कॉलेज और दफ्तर खुल रहे हैं। जो लोग नॉर्थ ईस्ट पर सवाल उठाते हैं, उन्हें इलाके को अपने हाल पर छोड़ दिया था। कांग्रेस के लोग ये न भूलें, इतने छोटे राज्य में 10 बार क्यों राष्ट्रपति शासन लगाया। आज नॉर्थ ईस्ट पूर्वी एशिया के साथ व्यापार और सांस्कृतिक गेटवे बन रहा है। पूर्वोत्तर में पिछले 10 साल में कनेक्टिविटी बढ़ी है। मणिपुर में हमें शांति स्थापित करना है।
विपक्ष ने चर्चा की मांग की, भागवत ने भी चिंता जताई
इससे पहले विपक्ष कई बार सदन में मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग कर चुका था। पिछले महीने ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी कहा था कि मणिपुर लंबे समय से शांति की राह देख रहा है। इस पर प्राथमिकता से विचार करना होगा। बता दें कि पिछले साल मई महीने में मणिपुर में मैतेयी और कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी। अब तक करीब 200 से ज्यादा लोग मारे गए, जबकि बड़े पैमाने पर आगजनी और संघर्ष के चलते हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
मोदी ने विपक्ष को चेताया- आग में घी डालना बंद करें
- पीएम मोदी ने राज्यसभा में कहा कि पूर्वोत्तर में स्थाई समाधान को लेकर काम कर रहे हैं, जो संगठन हथियार लेकर अंदरखाने लड़ाई लड़ते थे, वो आज सरेंडर कर रहे हैं। मणिपुर की स्थिति सामान्य करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत हैं। वहां जो घटनाएं हुईं, 11 हजार एफआईआर की गईं और 500 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए। मणिपुर में हिंसक घटनाएं कम होती जा रही हैं। आज मणिपुर में आम दिनों की तरह स्कूल चल रहे हैं, दफ्तर और बाजार खुल रहे हैं। मणिपुर में भी छात्रों ने पेपर दिए। केंद्र सरकार सभी से वार्ता कर शांति के लिए कोशिश कर रही है। पहले की सरकारों में ऐसा नहीं हुआ।
- हमारे गृहमंत्री और गृह राज्य मंत्री कई दिनों तक वहां रहे। आज केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही हैं। जो भी तत्व मणिपुर की आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं, वो ऐसा करना बंद करें। एक वक्त ऐसा आएगा कि मणिपुर ही उनको रिजेक्ट करेगा। कांग्रेस के लोग ये न भूलें, इतने छोटे राज्य में 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाया। हमारी सरकार में ऐसा नहीं हुआ। 1993 में ऐसी ही घटनाओं का क्रम चला था, जो 5 साल तक जारी रहा। हमें शांति स्थापित करना है।
आखिर मणिपुर में क्यों भड़की आग?
मणिपुर में भड़की हिंसा को सालभर से ज्यादा वक्त बीत चुका है। आज भी राज्य में कहीं-कहीं तनाव है। मुख्यमंत्री वीरेन सिंह पर जातीय संघर्ष में एक वर्ग समर्थन देने का आरोप लगा है। व्यापक हिंसा को लेकर केंद्र की ओर से अब तक हुई कार्रवाई पर भी सवाल उठते रहे हैं। संघ मानता है कि बाहरी तत्वों के जरिए मणिपुर में हिंसा का खेल खेला गया। मणिपुर में मैतेयी और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष में अब तक करीब 200 से ज्यादा लोग मारे गए।