PM Narendra Modi Varanasi Nomination: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी तीसरी पारी के लिए आज, मंगलवार (14 मई) को वाराणसी में नामांकन किया। पीएम मोदी के प्रस्तावकों के नाम पर भी सोमवार, 13 मई को अंतिम मुहर लगी। भाजपा, पीएम मोदी के इन चार प्रस्तावकों के जरिए जातिगत समीकरणों को भी साधन में सफल होगी। इन प्रस्तावकों में एक ब्राह्मण, दो ओबीसी और एक दलित वर्ग से हैं।
50 लोगों की बनाई थी सूची
पिछले 15 दिनों से मोदी के प्रस्तावक को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग गया है। इसके लिए पहले 50 लोगों की सूची तैयार कर शीर्ष नेतृत्व को भेजी गई थी, जिसमें 18 नाम तय हुए। उन नामों पर गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने चर्चा की थी। दोनों नेताओं ने जो चार नाम तय किया, उन नामों पर सोमवार को प्रधानमंत्री ने मुहर लगा दी।
रामलला प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले आचार्य गणेश भी प्रस्तावक
जानकारी के मुताबिक, अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर शास्त्री ब्राह्मण समाज से, ओबीसी वर्ग से बैजनाथ पटेल और लालचंद कुशवाहा व दलित समाज से संजय सोनकर का नाम तय किया गया है। इस समीकरण से भाजपा ने वाराणसी लोकसभा का जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की है।
2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के 4 प्रस्तावक
बैजनाथ पटेल: जनसंघ के समय के कार्यकर्ता हैं। वर्तमान में वह सेवापुरी के हरसोस गांव में रहते हैं। सेवापुरी और रोहनिया विधानसभा में लगभग सवा दो लाख मतदाता हैं।
लालचंद कुशवाहा: ओबीसी समाज से आते हैं। वाराणसी कैंट विधानसभा में घर है। भाजपा के मंडल अध्यक्ष हैं। कुशवाहा समाज में अच्छी पैठ।
संजय सोनकर: दलित समाज में अच्छी पैठ है। भाजपा के जिला महामंत्री हैं। पीएम के भरोसेमंद लोगों में से एक हैं। जमीन से जुड़े कार्यकर्ता हैं।
गणेश्वर शास्त्री: दक्षिण भारत के रहने वाले पंडित गणेश्वर शास्त्री वाराणसी में रहते हैं। अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकाला था। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन का भी मुहूर्त गणेश्वर ने निकाला था। स्वतंत्रता सेनानी शहीद राजगुरु भी शिष्य रह चुके हैं।
वाराणसी लोकसभा की खास बात
वाराणसी लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां 3 लाख से अधिक ब्राह्मण, 2.5 लाख से अधिक गैर यादव ओबीसी, 2 लाख कुर्मी व सवा लाख अनुसूचित जातियों के वोटर हैं। भाजपा ने प्रस्तावकों के जरिए एक बड़े वर्ग को साधने की कोशिश की है।