Prashant Kishor PK Prediction: देश में 5 फेज का लोकसभा चुनाव हो चुका है। 25 राज्यों की 428 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। मतलब देश में अगली सरकार किसकी बनेगी? यह क्लियर हो चुका है, जनता का मूड और निर्णय EVM में कैद हो चुका है। 25 मई और 1 जून को मतदान होना बाकी है, नतीजे 2 जून को आएंगे। बावजूद इसके ऐसे में लोगों के भीतर एक उलझन है, सवाल है कि सरकार कौन बना रहा है? पीएम मोदी हैट्रिक लगाएंगे या सत्ता परिवर्तन होगा? फिलहाल, इन सभी सवालों का जवाब चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) ने दिया।   

रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने चल रहे 2024 लोकसभा चुनावों का विश्लेषण किया और एक साहसिक भविष्यवाणी की। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सत्ता में वापस आएगी।

भाजपा को कितना फायदा और कितना नुकसान?
प्रशांत किशोर ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कोई बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। किसी भी तरह का आंकलन कर लीजिए। बीजेपी या मोदी की अगुवाई वाली सरकार आ रही है। अभी जो सरकार के पास नंबर है, उससे बेहतर भी हो सकता है। क्योंकि लोग भाजपा के शासन से निराश हारे सकते हैं। यदि सरकार के मुखिया के प्रति गुस्सा है तो विकल्प बनता है कि उन्हें हटाना है। अभी तक किसी ने भी यह बात नहीं बताई कि मोदी के खिलाफ गुस्सा है, इसलिए हटाना है। भाजपा को चुनौती देने वालों का कोई शोर नहीं है। 

प्रशांत किशोर ने कहा कि इस समय पीएम मोदी का कोई प्रतिद्वंदी नहीं है। कुछ लोग जरूर कहते हैं कि राहुल गांधी आएं तो कुछ बेहतर हो सकता है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि चुनाव के परिणामों में बहुत आमूल चूल परिवर्तन होगा। 

PM Narendra Modi

ईस्ट और साउथ में बढ़ रहीं भाजपा की सीटें
प्रशांत किशोर ने कहा कि वेस्ट और नॉर्थ में भाजपा को कोई खास नुकसान होता नहीं दिख रहा है। वेस्ट और नार्थ में करीब 325 सीटें हैं, जहां 90 फीसदी जीतकर आए हैं। ईस्ट और साउथ में 225 में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। यहां भाजपा की 50 से कम सीटे हैं। क्या वेस्ट और नॉर्थ में भाजपा कोई डैमेज हो रहा है? मुझे नहीं लगता है। ईस्ट और साउथ में भाजपा की सीटें और वोट शेयर बढ़ रहा है। उड़ीसा, तेलंगाना, बिहार, बंगाल, केरल में 15 से 20 सीटें बढ़कर आएंगी। 

भाजपा ने चतुराई से चर्चा का सेंटर बदला
प्रशांत किशोर ने कहा कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे देखें तो चुनावी पंडितों ने भविष्यवाणी की थी कि बीजेपी को 272 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी। लेकिन 2019 के चुनाव में भाजपा को 303 सीटें मिलीं। एनडीए की सीटें मिला लें तो यह आंकड़ा 450 से पार चला जाता है। 

इस बार, भविष्यवाणियां आशावादी नोट पर शुरू हुईं। बीजेपी ने लक्ष्य को 272 सीटों से हटाकर 370 सीटों पर कर दिया है। उन्होंने चतुराई से चर्चा के केंद्र को बदल दिया है। इसलिए अधिकांश रणनीतिकार इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि भाजपा का नंबर क्या होगा। अगर भाजपा की 300 से कम आएगी तो विपक्ष कहेगा कि मोदी ने जो दावा किया था, वह उन्हें नहीं मिला। संवैधानिक नंबर 272 का है। यदि भाजपा को 275 सीट मिल गया तो भी सरकार वही बनाएंगे। यह नहीं कहेंगे कि हमारी सीटें 400 से कम आई हैं, इसलिए सरकार नहीं बनाएंगे।  

देश में विपक्ष हमेशा जिंदा रहेगा
देश में विपक्ष की मौजूदगी को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि इस समय देश में 60 फीसदी से ज्यादा लोग 100 रुपए से कम कमाते हैं। लोकतंत्र में 50 फीसदी वोट शेयर कोई भी पार्टी हासिल नहीं कर पाई है। यानी जो लोग वोट करने गए उसमें से सरकार के पक्ष में 50 फीसदी से कम रहे। विपक्ष हमेश जिंदा रहेगा। किसानों को बड़ा आंदोलन हुआ, पीएम मोदी को माफी मांगनी पड़ी। सीएए-एनआरसी पर आंदोलन हुए। प्रशांत किशोर ने कहा कि जो लोग जीतकर आ रहे हैं उन्हें ध्यान रखना होगा देश में महंगाई, बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है, जो धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है। 

INDI Bloc

विपक्ष ने गंवाए 4 बेहतरीन मौके
प्रशांत किशोर ने कहा कि विपक्ष के पास कई मौके आए जब वह आगे बढ़ सकता था। लेकिन उसने हर मौके गंवाए। 2014 में भाजपा जीतकर केंद्र में आई थी। इसके बाद 2015 में पहले दिल्ली और फिर बिहार में भाजपा को करारी हार मिली। करीब 18 महीने के बाद असम में गठबंधन की वजह से मदद मिली। शायद तब लोगों को मोदी पर उतना भरोसा नही था। यह पहला मौका था। दूसरा मौका तब आया जब नोटबंदी हुई। उत्तर प्रदेश में भाजपा को सफलता मिली। गुजरात में पटेलों का आंदालन हुआ। जब चुनाव नतीजे आए तो कांग्रेस को करीब 15 सीटों की बढ़त मिली। महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन खड़ा हुआ। यह मोदी जी के लिए आसान नहीं था। कर्नाटक में हार मिली। राजस्थान, छततीसगढ़ में हार मिली।

पीके ने कहा कि कोविड का जब दूसरी वेव आई तब सरकार बैकफुट पर थी। पहली बार मोदी की MOTN सर्वे में पर्सनल पॉपुलैरिटी में 2021 में गिरावट आई। यह दौर बंगाल चुनाव के वक्त का था। अंतिम मौका पिछले साल जून में आया, जब इंडिया गठबंधन बना। तब देश में एक चर्चा शुरू हुई कि कुछ लोग बीजेपी को चुनौती दे सकते हैं। अगर चुनौती देते तो भाजपा का नंबर 210 तक आ सकता था। लेकिन 4 महीने तक कोई प्रयास नहीं हुआ।

राम मंदिर उद्घाटन के बाद विपक्ष ने डाल दिए हथियार
पीके ने कहा कि राज्यों के चुनाव नवंबर-दिसंबर में हुए तो कांग्रेस सोच रही थी कि वह जीत जाएगी। इस चक्कर में उन्होंने गठबंधन को आगे बढ़ाने के फैसले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इस अवधि में पीएम मोदी ने अपनी पॉपुलैरिटी को फिर से गेन कर लिया। जब जनवरी में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ तो विपक्ष ने हथियार डाल दिए थे। विपक्ष को लोगों को समझाने में नाकाम रहा कि पीएम मोदी का विकल्प कौन है? जब फरवरी में विपक्ष जागा तो बहुत देर हो चुकी है। आम आदमी कहता है कि बहुत परेशान हूं, लेकिन विकल्प कौन है? यह सवाल खुद में एक बड़ा जवाब है।