Prashant Kishor predicts big changes in Modi 3.0: राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद देश में कैसी सरकार होगी, इसको लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। उन्होंने दावा किया पीएम मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। मोदी 3.0 मतलब थर्ड टर्म की मोदी सरकार 4 बड़े बदलाव कर सकती है। जिसमें पेट्रोलियम को माल और सेवा कर यानी जीएसटी के दायरे में लाना और राज्यों की वित्तीय स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण प्रतिबंध लागू करना दो अहम फैसले हैं। यानी शक्ति और संसाधनों दोनों पर बड़ा कदम उठाया जा सकता है।  

इंडिया टुडे के साथ इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने मोदी सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी दृष्टिकोण में  स्ट्रक्चरल और ऑपरेशनल बदलाव की भविष्यवाणियां कीं। प्रशांत किशोर ने कहा कि मुझे लगता है कि मोदी 3.0 सरकार धमाकेदार शुरुआत करेगी। केंद्र के पास शक्ति और संसाधन दोनों का अधिक कंसंट्रेशन होगा। राज्यों की फाइनेंशियल ऑटोनोमी में कटौती करने का भी एक महत्वपूर्ण प्रयास हो सकता है।

ये हो सकते हैं 4 बड़े बदलाव

  • पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स जीएसटी के दायरे में आएंगे।
  • राज्यों की केंद्र पर बढ़ जाएगी निर्भरता।
  • राज्यों की बजट से इतर उधारी सख्त होगी। 
  • भू राजनीतिक मुद्दों पर बढ़ेगी मुखरता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह। 

अब विस्तार से समझिए
प्रशांत किशोर ने कहा कि राज्यों के पास वर्तमान में राजस्व के तीन प्रमुख स्रोत हैं। पहला पेट्रोलियम, दूसरा शराब और तीसरा भूमि। प्रशांत किशोर ने कहा कि मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर पेट्रोलियम को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। वर्तमान में पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस जैसे पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी के दायरे में नहीं आते हैं। इसके बजाय, उन पर अभी वैट, सेंट्रल सेल्स टैक्स और सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी लगते हैं। 

पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए लंबे समय से इंडस्ट्री अनुरोध कर रही है। लेकिन राज्यों ने इंडस्ट्री की इस डिमांड का विरोध किया। क्योंकि इससे राज्यों के राजस्व को महत्वपूर्ण नुकसान होगा। यदि पेट्रोल को जीएसटी के तहत लाया जाता है तो राज्यों को टैक्स का नुकसान होगा और उन्हें अपना हिस्सा हासिल करने के लिए केंद्र पर ज्यादा निर्भर रहना होगा। मौजूदा समय में अधिकतम जीएसटी टैक्स स्लैब 28% है, जबकि पेट्रोल और डीजल पर 100% से ज्यादा टैक्स लगता है।

प्रशांत किशोर ने यह भी भविष्यवाणी की कि केंद्र सरकार राज्यों को संसाधनों के डिस्ट्रीब्यूशन में देरी कर सकती है। फिसकल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (FRBM) के नियमों को सख्त बनाया जा सकता है। 2003 में FRBM अधिनियम बना था। यह अधिनियम राज्यों के वार्षिक बजट घाटे पर एक सीमा लगाता है। किशोर ने भविष्यवाणी की कि केंद्र संसाधनों के डिस्ट्रीब्यूशन में देरी कर सकता है और राज्यों की बजट से इतर उधारी सख्त कर दी जाएगी।

किशोर ने यह भी भविष्यवाणी की कि भारत भू-राजनीतिक मुद्दों से निपटने में अधिक मुखर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि ग्लोबल लेवल पर देशों के साथ व्यवहार करते समय भारत की मुखरता बढ़ेगी। आक्रामक भारतीय कूटनीति के राजनयिकों के बीच अहंकार की सीमा तक चर्चा है।

भाजपा जीतेगी करीब 303 सीटें
प्रशांत किशोर ने 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान का प्रबंधन किया था। उन्होंने कहा कि लोग भाजपा से नाराज हो सकते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई व्यापक गुस्सा नहीं है। इसलिए सीटों का नुकसान होता दिख नहीं रहा है। उन्होंने भविष्यवाणी की कि भाजपा लगभग 303 सीटों के आसपास रह सकती है। 

कैसे मिलेंगी भाजपा को 300 से ज्यादा सीटें?
प्रशांत किशोर ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वोत्तर भारत और दक्षिण भारत में भाजपा के पास महज 50 सीटें हैं। जबकि उत्तर और पश्चिम भारत में करीब 250 सीटें हासिल हुईं। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर और पश्चिमी भारत में नुकसान कम होता दिख रहा है, क्योंकि विपक्ष मजबूत नहीं है। वहीं, भाजपा ने पूरब और दक्षिण में बढ़त हासिल की है। यहां 15 से 20 सीटें बढ़ती दिख रही हैं। इसलिए इस बार के चुनाव परिणाम 2019 जैसे रहने वाले हैं। हालांकि पीएम नरेंद्र मोदी ने जो नैरेटिव सेट किया है कि भाजपा 370 सीटें जीतेगी और एनडीए 400 पार होगा, यह कतई धरातल पर सच होता नहीं दिखता है।