Mercy petition Rejected By President: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पाकिस्तानी नागरिक और लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य मोहम्मद आरिफ उर्फ ​​अशफाक की दया याचिका खारिज कर दी है। अशफाक 2000 में लाल किला पर हुए हमले का मुख्य आरोपी है। इस हमले में भारतीय सेना के तीन जवान मारे गए थे। राष्ट्रपति भवन के अनुसार, आरिफ की दया याचिका 15 मई 2023 को मिली थी और 27 मई 2023 को इसे खारिज कर दिया गया।

दूसरी बार राष्ट्रपति ने ठुकराई है दया याचिका
यह दूसरा ऐसा मौका है जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किसी मौत की सजा पाने वाले दोषी की दया याचिका खारिज की है। इससे पहले अप्रैल 2023 में राष्ट्रपति ने नागपुर में चार साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी वसंत संपत दुपारे की दया याचिका भी खारिज की थी।

लाल किले हमले में शहीद हुए थे तीन जवान
22 दिसंबर 2000 को, लाल किला परिसर में तैनात 7 राजपूताना राइफल्स यूनिट पर आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में तीन भारतीय सेना के जवान मारे गए थे। आरिफ को चार दिन बाद दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उस पर आरोप था कि उसने इस हमले की साजिश रची और उसे अंजाम दिया।ट्रायल कोर्ट ने अक्टूबर 2005 में आरिफ को मौत की सजा सुनाई। इसके बाद, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सितंबर 2007 में और सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2011 में मौत की सजा को बरकरार रखा।

सुप्रीम कोर्ट से खारिज हुई थी समीक्षा याचिका
अगस्त 2012 में अशफाक की समीक्षा याचिका और जनवरी 2014 में अशफाक की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी गई थी। 3 नवंबर 2022 को उसकी  आखिरी समीक्षा याचिका भी कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा बरकरार रखते हुए कहा कि उसके पक्ष में कोई राहत देने वाली परिस्थितियां नहीं थीं और यह हमला देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए सीधा खतरा था। 

श्रीनगर में रची गई थी हमले की साजिश
लाल किले पर हमले की साजिश श्रीनगर में रची गई थी। आरिफ ने 1999 में तीन अन्य लश्कर आतंकियों के साथ मिलकर अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया था। इस साजिश में अन्य तीन आतंकवादी अबू शाद, अबू बिलाल और अबू हैदर भी शामिल थे। हालांकि, दोनों दूसरे आतंकी अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए थे। लाल किला हमले में शामिल तीन आतंकियों में सिर्फ अशफाक ही जिंदा बचा था। राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज होने के बाद अब अशफाक की फांसी का रास्ता साफ हो गया है।