भोपाल। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, पंजाब सहित तमाम राज्यों में दूसरे दिन मंगलवार को भी ट्रक-बस ड्राइवर्स की हड़ताल से जरूरी सेवाएं प्रभावित हुईं। दूध से लेकर सब्जी और किराना सप्लाई कम हुई। स्कूल-कॉलेज बसें बंद रहने से स्टूडेंट्स और पैरेंट्स परेशान हुए। कई स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई। कुछ स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेस लगी। यात्री बसें बंद होने से लोग परेशान हो रहे हैं। कई राज्यों में प्रशासन ने वाहन चालकों को पेट्रोल-डीजल देने की लिमिट तय कर दी है। आदेश का उल्लंघन करने पर पेट्रोल पंप संचालकों को कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
मध्यप्रदेश: कई शहरों में लंबा जाम, भटकते रहे यात्री
मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, देवास, सतना, रीवा सहित सभी जिलों में मंगलवार को भी बस, ट्रक सहित ऑटो के भी पहिए थमे रहे। बस बंद होने से स्टैंड पर यात्री भटकते रहे। उन्हें वापस लौटना पड़ा। ड्राइवर्स ने अपनी गाड़ियां सड़कों पर खड़ी कर दीं, जिससे कई जगह लंबा जाम भी लगा। स्कूल-कॉलेज बसें स्टूडेंट्स को लेने नहीं पहुंची। जिसके कारण बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पाए।
कई पंपों पर पेट्रोल नहीं, जहां है वहां लंबी कतार
इधर हड़ताल लंबी चलने और पेट्रोल की आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका की वजह से लोग वाहनों में पेट्रोल भरवाने पहुंचे, तो दे रात तक पेट्रोल पंपों पर कतार लगी रही। अधिकांश पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल ही खत्म हो गया। लोगों को निराश होकर वापस लौटना पड़ा। कई पेट्रोल पंप वालों ने महंगे दामों में पेट्रेाल बेचा। ऐसी तमाम परेशानियों से लोग जूझते रहे। देर रात तक डेयरियों पर भीड़ लगी रही।
एमपी में 6.50 लाख ट्रक हैं...दो लाख से अधिक स्कूली बसें-वैन चलती हैं
मध्यप्रदेश ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक, एमपी में करीब साढ़े छह लाख ट्रक हैं। 1.75 लाख ट्रक दो दिन से खड़े हैं। स्कूल बस सेवा संचालक समिति के अनुसार, एमपी में दो लाख से अधिक स्कूल बसें और वैन चलती हैं। हड़ताल के चलते कई जिलों के कुछ स्कूलों में 2 जनवरी की छुट्टी कर दी गई है।
10 जनवरी को होगी बैठक
बता दें कि AIMTC की अगली बैठक 10 जनवरी को होगी। इसमें फैसला लिया जाएगा कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती, तो किस तरह से सरकार के सामने अपना पक्ष रखा जाए। नए प्रावधान को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए AIMTC के अध्यक्ष अमृत मदान ने कहा कि हिट एंड रन के मामलों में कड़े कदम उठाने की जरूरत है। इस नए कानून के पीछे सरकार का इरादा अच्छा है, लेकिन प्रस्तावित कानून में कई खामियां हैं। इन पर दोबारा सोचने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान परिवहन क्षेत्र और ट्रक चालकों का है। भारत इस समय वाहन चालकों की कमी से जूझ रहा है, लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। ऐसे में 10 साल की सजा के प्रावधान के बाद अब ट्रक ड्राइवर नौकरी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
जानें किन राज्यों में कितना विरोध, कितने परेशान हैं लोग
- हरियाणा के पेट्रोल पंपों में हफ्ते का ही पेट्रोल-डीजल बचा हुआ है। मंगलवार को भी प्रदर्शनकारी कानून के खिलाफ नारेबाजी और चक्काजाम कर रहे हैं। पूरे प्रदेश में 3 हजार पंपों पर पेट्रोल डीजल की कमी हो गई है।
- गुजरात में ट्रक चालकों ने राजकोट-अहमदाबाद हाईवे बंद कराने की कोशिश की। लंबा जाम लग गया। भीड़ ने एक बस की खिड़की के कांच तोड़ दिए। पुलिस ने लाठीचार्ज किया। जिसमें कुछ लोग घायल हो गए।
- राजस्थान में मंगलवार को प्रदर्शन जारी है। अलवर, अजमेर, जयपुर, भीलवाड़ा समेत अलग-अलग जिलों में इस कानून को लेकर विरोध किया गया और चक्काजाम किया।
- पंजाब के कई जिलों में पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल खत्म होने लगा है। वहीं पेट्रोल पंपों पर ग्राहकों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई हैं। लोगों में पेट्रोल व डीजल को लेकर हाहाकार मचा हुआ है।
- यूपी में नए कानून के विरोध में चल रही हड़ताल का असर बढ़ने लगा है। मंगलवार को कई जरूरी सामान नहीं पहुंच पाए। परिवहन विभाग में संविदा और अनुबंध पर चल रहे बसों के चालक भी हड़ताल पर चले गए।
85 लाख ट्रक ड्राइवर तय करते हैं 100 अरब किमी की दूरी
बता दें कि भारत में 40 लाख से ज्यादा ट्रक हर साल 100 अरब किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करते हैं। देश में 85 लाख से ज्यादा ट्रक ड्राइवर हैं, जो हर दिन जरूरत का सामान एक शहर से दूसरे शहर ट्रांसपोर्ट करते हैं। हड़ताल के कारण इतनी बढ़ी संख्या में ट्रकों के रुकने से जरूरी चीजों की किल्लत हो गई है। लोग परेशान हैं।
क्या है हिट एंड रन का नया कानून
बता दें कि संसद से पारित और कानून बनी भारतीय न्याय संहिता में हिट एंड रन के मामलों में लापरवाही से मौत में विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसके अनुसार चालक के तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने मौत होती है और ड्राइवर पुलिस या मजिस्ट्रेट को सूचना दिए बिना भाग जाता है तो 10 साल तक की कैद और 7 लाख रुपए जुर्माना।
अब तक क्या कानून है?
आईपीसी की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना), ड्राइवर की पहचान के बाद 304ए (लापरवाही से मौत) और 338 (जान जोखिम में डालना) के तहत दर्ज किया जाता है। इसमें दो साल सजा का प्रावधान है। वाहन चालक दुर्घटना के बाद भाग जाते थे।