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Pune Porsche Crash: फर्जीवाड़े का खुलासा होने पर डॉक्टर हलनोर और डॉक्टर अजय तावड़े को गिरफ्तार कर लिया। जबकि शिवानी अग्रवाल दोनों डॉक्टरों के गिरफ्तार होने के बाद से फरार हैं। पुलिस उन्हें ढूंढ रही है। 

Pune Porsche Crash: महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार हादसे में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। अब पुलिस की जांच में सामने आया है कि शराब के नशे में धुत नाबालिग के ब्लड सैंपल को उसकी मां के ब्लड सैंपल से बदला गया था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि 17 वर्षीय लड़के की मां शिवानी अग्रवाल ने शहर के ससून जनरल अस्पताल में अपना ब्लड सैंपल दिया था, जिसे उसके बेटे के ब्लड सैंपल से बदल दिया गया।

पुलिस ने यह भी बताया कि जब आरोपी का ब्लड टेस्ट हो रहा था, तब शिवानी अग्रवाल अस्पताल में मौजूद थीं और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हलनोर और उनके स्टाफ ने ब्लड सैंपल में हेराफेरी की थी। इस फर्जीवाड़े का खुलासा होने पर डॉक्टर हलनोर और डॉक्टर अजय तावड़े को गिरफ्तार कर लिया। जबकि शिवानी अग्रवाल दोनों डॉक्टरों के गिरफ्तार होने के बाद से फरार हैं। पुलिस उन्हें ढूंढ रही है। 

2 इंजीनियरों की हुई थी मौत
पुणे के बिल्डर विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे ने 19 मई को पोर्श कार से बाइक सवार दो इंजीनियरों को टक्कर मार दी थी। इससे दोनों इंजीनियर अश्विनी कोष्टा और अनीश अवधिया की मौत हो गई थी। दोनों मध्य प्रदेश के रहने वाले थे। बाइक को टक्कर मारने से पहले आरोपी ने एक रेस्तरां और क्लब में शराब पी थी। 

Pune Porsche Accident
Pune Porsche Accident

तावड़े के कहने पर बदला गया सैंपल
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हलनोर को बर्खास्त किया जा चुका है। पुलिस के अनुसार, आरोपी का ब्लड सैंपल लेने वाले डॉ. हलनोर ने खुलासा किया कि उन्होंने डॉ. तावड़े के कहने पर सैंपल बदला था। अस्पताल के डीन विनायक काले ने दावा किया था कि डॉ. तावड़े को विधायक सुनील टिंगरे की सिफारिश और राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ की मंजूरी के बाद अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था।

काले ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट और ड्रग मामलों में आरोपी होने के बावजूद डॉ. तावड़े को फोरेंसिक मेडिकल विभाग का प्रमुख नियुक्त किया गया। अस्पताल के डीन डॉक्टर विनायक काले को छुट्टी पर भेज दिया गया है। 

इस तरह ब्लड सैंपल पर हुआ संदेह
पुलिस सूत्रों ने बताया कि नाबालिग का ब्लड सैंपल लिए जाने से पहले उसके पिता विशाल अग्रवाल ने व्हाट्सएप और फेसटाइम कॉल के साथ-साथ एक सामान्य कॉल के माध्यम से डॉ. तावड़े से बातचीत की थी। उन्होंने बताया कि कुल 14 ऐसे कॉल थे। ये कॉल 19 मई को सुबह 8.30 बजे से 10.40 बजे के बीच किए गए थे और ब्लड सैंपल सुबह 11 बजे लिए गए थे। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट में पहले ब्लड सैंपल में अल्कोहल नहीं पाया गया, जिससे संदेह पैदा हुआ।

बाद में एक अलग अस्पताल में किए गए दूसरे ब्लड सैंपल परीक्षण और डीएनए परीक्षणों से पुष्टि हुई कि नमूने दो अलग-अलग व्यक्तियों के थे। इससे जांचकर्ताओं को संदेह हुआ कि ससून जनरल अस्पताल के डॉक्टरों ने आरोपी किशोर को बचाने के लिए सबूतों के साथ छेड़छाड़ की थी।

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