Rahul Gandhi on Sonam Wangchuk: दिल्ली पुलिस ने मंगलवार(1 अक्टूबर)  को पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों को दिल्ली बॉर्डर से गिरफ्तार कर। इस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नाराजगी जाहिर की। राहुल गांधी ने कहा कि इस तरह का एक्शन नामंजूर है। राहुल गांधी ने कहा कि वांगचुक और उनके समर्थक शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों के लिए मार्च कर रहे थे। ऐसे मे सोनम वांगचुक को गिरफ्तार करना लोकतंत्र के खिलाफ है। यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब वांगचुक और उनके समर्थक लद्दाख के संवैधानिक अधिकारों और पर्यावरण की सुरक्षा की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। 

लद्दाख के लोगों की आवाज नहीं दबाई जा सकती
राहुल गांधी ने कि जैसे किसानों के आंदोलन में मोदी सरकार का अभिमान टूटा था, वैसे ही लद्दाख के लोगों की आवाज को भी दबाया नहीं जा सकता। गांधी ने सवाल उठाया कि बुजुर्ग नागरिकों को दिल्ली की सीमा पर क्यों रोका जा रहा है, जो लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े हो रहे हैं। (detention) का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने इसे ‘लोकतंत्र पर हमला’ बताया।

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दिल्ली सीमा पर 150 से ज्यादा समर्थक भी हिरासत में
सोनम वांगचुक और उनके साथ करीब 150 समर्थकों को भी दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया। इनमें कई बुजुर्ग और सेना के पूर्व सैनिक शामिल थे। वांगचुक ने सोशल मीडिया पर अपनी गिरफ्तारी की खबर साझा करते हुए बताया कि दिल्ली की सीमा पर सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने हमें और हमारे समर्थकों को रोक लिया। हम लोग शांतिपूर्ण ढंग से बापू की समाधि तक मार्च कर रहे थे। सोनम वांगचुक ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में लोकतंत्र की हत्या’ बताया।

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वांगचुक का लद्दाख के अधिकारों के लिए संघर्ष
सोनम वांगचुक लद्दाख के संवैधानिक अधिकारों और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काफी समय से संघर्ष कर रहे हैं। वांगचुक ने केंद्र सरकार से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की है, ताकि लद्दाख की सांस्कृतिक पहचान और संसाधनों की रक्षा हो सके। वांगचुक की पदयात्रा 1 सितंबर को लेह से शुरू हुई थी। वांगचुक ने पहले भी अपनी मांगों को लेकर नौ दिनों की हड़ताल की थी। 

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संविधान की छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करने की मांग
वांगचुक और उनके समर्थक चाहते हैं कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। यह अनुसूची स्थानीय जनजातियों को कानून बनाने के अधिकार देती है और उनकी भूमि व सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। वांगचुक का कहना है कि लद्दाख के विकास और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है। केंद्र सरकार ने पांच साल पहले लद्दाख को यह अधिकार देने का वादा किया था, लेकिन अब तक इसे पूरा नहीं किया गया है।