Rahul Gandhi youth brigade: कांग्रेस में कभी राहुल गांधी को युवा नेतृत्व के प्रतीक के तौर पर देखा जाता था। कभी यूथ कांग्रेस की टीम में शामिल नेता राहुल गांधी के सबसे भरोसेमंद सिपहसालार माने जाते थे। इनमें पांच ऐसे नेता तो ऐसे थे जो पार्टी के लिए हर मुश्किल समय में साथ रहते थे। यह पांच लोग राहुल गांधी की युवा कोर टीम का हिस्सा थे। लेकिन आज राहुल गांधी की यह यूथ टीम बिखर चुकी है। इसका सबसे ताजा उदाहरण है मिलिंद देवड़ा, जिन्होंने  14 जनवरी को कांग्रेस का दाम छोड़ कर शिवसेना का हाथ पकड़ लिया।

राहुल गांधी के चार सिपहसालार ने छोड़ा साथ
राहुल गांधी की इस यूथ टीम में शामिल पांच प्रमुख नेताओं में  सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह, मिलिंद देवड़ा और जितिन प्रसाद थे। कभी इन पांचों नेताओं को कांग्रेस में अगली पीढ़ी के खेवनहार के तौर पर देखा जाता था। इन पांचों नेताओं का अपने परिवार की वजह से कांग्रेस से जुड़ाव रहा। हालांकि, परिवारवाद का मुद्दा उठने और पार्टी में कुछ खास अहमीयत न मिलने के कारण एक-एक इनमें से चार नेताओं ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया। वहीं, एक की बगावत सामने आ चुकी है। आइए जानते हैं कब और कैसे बिखर गई राहुल गांधी की यूथ टीम।

कैसे रुसवा हुए ज्योतारित्य सिंधिया:
इस कड़ी में बात करें तो सबसे पहला नाम आता है ज्योतिरादित्य सिंधिया का। सिंधिया को हर खास मौके पर राहुल गांधी के साथ देखा जाता था। कांग्रेस में राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य की दोस्ती की मिसाल दी जाती थी। पूर्व प्रधानमंत्री मन मोहन सिंह की कैबिनेट में ज्योतिरादित्य मंत्री रहे। ज्योतिरादित्य की पार्टी से अदावत की बड़ी वजह मध्यप्रदेश की राजनीति से जुड़ी है। 2018 में कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य की अनदेखी कर कमलनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया। यह बात ज्योतिरादित्य को नागवार गुजरी और उन्होंने 28 विधायकों के साथ इस्तीफा दे दिया। इस तरह राहुल गांधी ने अपना एक भरोसेमंद साथी खो दिया। 

जितिन प्रसाद ने अलग की राहें:
उत्तर प्रदेश में बड़े ब्राह्मण चेहरा कहे जाने वाले जितिन प्रसाद ने जून 2021 में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा जॉइन कर ली थी। उनका राजनीतिक करियर यूथ कांग्रेस से शुरू हुआ था और वे यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे। सिंधिया की तरह ही जितिन प्रसाद भी पारिवारिक तौर पर कांग्रेस से जुड़े थे। उनके पिता जितेंद्र प्रसाद और बाबा ज्योति प्रसाद कांग्रेस का अहम चेहरा रहे थे। हालांकि, इस्तीफे से ठीक पहले जितिन प्रसाद को पार्टी हाईकमान से नाराज बताया जा रहा था। वह कांग्रेस में तवज्जो न मिलने और यूपी कांग्रेस के कुछ नेताओं से अपनी नाराजगी जाहिर भी कर चुके थे। जितिन प्रसाद की शिकायत को पार्टी हाईकमान ने नजरअंदाज किया, जिसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।

आरपीएन सिंह का भी हुआ मोहभंग
इस कड़ी में अगला नाम जुड़ा आरपीएन सिंह का । आरपीएन सिंह ने 2022 में  उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से का दामन छोड़ दिया था। वह भाजपा में शामिल हो गए। हालांकि कांग्रेस ने उन्हें अपने पाले में बनाए रखने की पूरी कोशिश की थी। उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक भी बनाया था लेकिन कांग्रेस की सभी कोशिशें बेकार साबित हुई। आरपीएन सिंह भी ज्योतरादित्स सिंधिया और जितिन प्रसाद की तरह आरपीएन सिंह भी केंद्रीय मंत्रीमंडल का हिस्सा रह चुके हैं। 

सचिन पायलट भी कर चुके हैं बगावत
सचिन पायलट तो फिलहाल कांग्रेस में ही है, लेकिन कब तक पार्टी के साथ रहेंगे इसे लेकर अटकलों को बाजार समय-समय पर गर्म होता रहा है। एक बार सचिन पायलट ने पार्टी से अक्टूबर 2020 में पार्टी से बगावत कर दी थी। वह 18 विधायकों को साथ लेकर अलग होने की राह पर थे। उस समय सचिन पायलट राजस्थान के उप मुख्यमंत्री थे लेकिन अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने से नाराज थे। हालांकि, बाद में अशोक गहलोत ने मामला संभाल लिया था। सचिन पायलट के समर्थक समय समय पर उन्हें पार्टी में बेहतर जिम्मेदारी देने की मांग करते रहे हैं।