10 Key Issues for Lok Sabha Polls: लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बजने के साथ अब जुबानी समर में और तल्खी नजर आएगी। एक तरफ मोदी की गारंटी है तो दूसरी तरफ कांग्रेस की न्याय गारंटी। भाजपा राम मंदिर, अनुच्छेद 370, अमृतकाल, सुशासन, 5 ट्रिलियन इकॉनमी, 2047 तक विकसित भारत जैसा मुद्दा हवा में उछाल रही है तो वहीं कांग्रेस अडानी, OBC, रोजगार, इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे मुद्दों को लेकर मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल पर सवाल खड़े कर रही है। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में कई ऐसे मुद्दे हैं, जो हावी रहेंगे।
चुनाव आयोग ने शनिवार को लोकसभा चुनाव का ऐलान किया है। सात चरणों में होने वाली वोटिंग की शुरुआत 19 अप्रैल को पहले फेज से होगी। 1 जून को आखिरी फेज का मतदान होगा और 4 जून को नतीजे आ जाएंगे। वोटिंग से लेकर परिणाम आने तक 46 दिनों तक चुनावी शोर रहेगा। यह चुनाव उस महत्वपूर्ण चरण का भी प्रतीक है, जिसे कई लोग भाजपा और कांग्रेस के बीच विचारधारा की लड़ाई कहते हैं। यहां तक कि विपक्षी नेता भी मानते हैं कि राम मंदिर से बीजेपी को उत्तर भारत में फायदा हुआ है।
लोकसभा चुनाव के लिए जोर-शोर से प्रचार अभियान शुरू होने के साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों के ढेर सारे वादे और गारंटी में प्रतिस्पर्धा और टकराव होगा। जानिए कौन से वो मुद्दे हैं, जो हावी रहेंगे...
01- 'मोदी की गारंटी'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्वास से भरे हुए हैं कि उनके सिर पर जनता जीत का ताज लगातार तीसरी बार पहनाएगी। उन्होंने 'मोदी की गारंटी' को अपने चुनावी अभियान का मुख्य विषय बनाया है। खुद पीएम कहते हैं कि 'मोदी की गारंटी' मतलब युवाओं के विकास, महिलाओं के सशक्तिकरण, किसानों के कल्याण और उन सभी लोगों के लिए गारंटी है, जो हाशिए पर हैं और कमजोर हैं जिन्हें दशकों से नजरअंदाज किया गया है।
02- कांग्रेस की न्याय गारंटी
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में गारंटी का फायदा मिला। उसी तर्ज पर भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों के लिए अपनी 5 न्याय गारंटी सामने रखी है। जिसका उद्देश्य युवाओं, किसानों, महिलाओं, मजदूरों के लिए न्याय सुनिश्चित करना और साथ ही सहभागी न्याय सुनिश्चित करना है।
मणिपुर से मुंबई तक राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान लोगों के सामने 'न्याय' की गारंटी रखी गई। कांग्रेस का घोषणापत्र इन गारंटियों के इर्द-गिर्द तैयार किए जाने की संभावना है और पार्टी अपना अभियान इन्हीं गारंटियों के इर्द-गिर्द तैयार करेगी। हालांकि यह अभी भी देखा जाना बाकी है कि इसका कितना फायदा पार्टी को मिलेगा?
03- बेरोजगारी और महंगाई
पीएम मोदी को सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस की अगुवाई में INDI गठबंधन बनाया गया है। यह गठबंधन बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा लगातार उठाता रहा है। उन्होंने बार-बार कहा है कि नौकरियों की कमी सबसे बड़ा मुद्दा है और इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की है। बीजेपी ने रोजगार वृद्धि और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए पलटवार किया है। चुनावी मौसम में रोजी रोटी के मुद्दों पर बहस तेज होने की संभावना है।
04- सीएए और अनुच्छेद 370
नागरिकता संशोधन अधिनियम और अनुच्छेद 370 का मुद्दा भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा रहा है। भाजपा सरकार ने देश में सीएए लागू किया और जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 को रद्द किया। भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर समान नागरिक संहिता लागू करने से पहले इसे उत्तराखंड में लागू कर दिया है। मोदी सरकार अब इन मुद्दों को हवा में उछालकर दावा करेगी कि वह जो कहती है उसे पूरा करती है। चुनावी मौसम में इन मुद्दों पर बहस तेज़ और आक्रामक होने की संभावना है।
05- राम मंदिर की लहर
22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ। रामलला भव्य मंदिर में विराजमान हुए। प्राण प्रतिष्ठा खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने की। समारोह को भाजपा ने जबरदस्त उत्साह के साथ मनाया। पीएम मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समारोह में सबसे आगे रहे। बीजेपी नेताओं ने सदियों पुराने सपने को साकार करने का श्रेय प्रधानमंत्री को दिया है।
इस अवसर पर पूरे देश में दीपोत्सव मनाया गया। इसका सबसे ज्यादा असर हिंदी भाषी क्षेत्रों में नजर आया। विपक्षी नेता भी मानते हैं कि राम मंदिर से बीजेपी को उत्तर भारत में फायदा हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी को 370 सीटें मिलने भरोसा इसी राम मंदिर लहर से मिला है।
06- इलेक्टोरल बॉन्ड: विपक्ष का हथियार
चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बांड का डेटा सार्वजनिक कर दिया है। कांग्रेस ने बांड स्कीम में कथित भ्रष्टाचार के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से उच्च स्तरीय जांच और उसके बैंक खातों को फ्रीज करने की मांग की है। यह मुद्दा ठीक चुनाव से पहले सामने आया है और विपक्ष ने इसे लपक लिया है। लेकिन यह मुद्दा जमीनी स्तर पर काम करेगा या नहीं, यह अभी भी देखना बाकी है। हालांकि, यह निश्चित रूप से चुनावी अभियान के दौरान चर्चा के बिंदुओं में से एक होगा।
07- अमृतकाल बनाम अन्याय काल
द्यचुनावी मौसम के दौरान एक और संभावित मुद्दा अमृतकाल बनाम अन्याय काल रहेगा। भाजपा का यह दावा होगा कि मोदी सरकार ने सुशासन, तेज गति से विकास और भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण का आश्वासन दिया है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने मोदी सरकार के 10 वर्षों को 'अन्याय काल' करार दिया है, जिसमें बेरोजगारी, बढ़ती कीमतें, संस्थानों पर कब्जा, संविधान पर हमला और बढ़ती आर्थिक असमानताएं शामिल हैं।
जबकि विपक्षी INDI गुट यह दावा करने के लिए सरकार की विफलताओं को उजागर कर सकता है कि पिछले 10 साल दिखावे के रहे हैं। भाजपा इसका मुकाबला महामारी से निपटने, गरीबी कम करने, मुफ्त राशन योजना, गरीबों के लिए कल्याणकारी उपाय और अन्य तर्कों के साथ करेगी।
08- किसान आंदोलन: एमएसपी की मांग
चुनाव से ठीक पहले दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन भी चर्चा में रहने की संभावना है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने किसानों को धोखा दिया है और अपने गुट के सत्ता में आने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी प्रदान करने का वादा किया है।
भाजपा नेता किसान नेताओं की चिंताओं को दूर करने के लिए उनसे बातचीत कर रहे हैं और आरोप लगाते रहे हैं कि कई आंदोलनकारी राजनीति से प्रेरित थे। सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया है कि उसकी पीएम-किसान योजना सहायता ने किसानों के जीवन को बदल दिया है। अधिकांश चुनावों की तरह, किसान मुद्दे चर्चा के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
09- विचारधाराओं का टकराव
यह चुनाव उस महत्वपूर्ण चरण का भी प्रतीक है जिसे कई लोग भाजपा और कांग्रेस के बीच विचारधारा की लड़ाई कहते हैं। दोनों पार्टियां अपने वैचारिक सिद्धांत लोगों के सामने रखेंगी और उनसे किसी एक को चुनने के लिए कहेंगी।
10- विकसित भारत विजन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश का लक्ष्य विकसित राष्ट्र बनना है। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार 2047 तक लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। विकसित भारत का दृष्टिकोण भाजपा के अभियान पर हावी होने की संभावना है, जबकि विपक्ष इसे एक और जुमला करार दे रहा है। हालांकि, अभियान के दौरान यह एक प्रमुख विषय बना रहेगा।