Ratan Tata: देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का मुंबई के कैंडी अस्पताल में बुधवार (9 अक्टूबर 2024) की रात को निधन हो गया। रतन टाटा ने एक इंटरव्यू में मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए 26/11 हमले को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए थे। उन्होंने हमले वाले दिन ताज होटल पहुंच कर सुरक्षाकर्मियों से कहा, "एक भी आतंकी जिंदा नहीं बचना चाहिए और जरूरत पड़े तो पूरी प्रॉपर्टी को ही बम से उड़ा दो।"

हमले के समय होटल पहुंच गए थे रतन टाटा
बता दें कि साल 2008 में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते दक्षिण मुंबई में घुसकर ताज होटल और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस सहित मुंबई के कई प्रमुख स्थानों पर हमला किए, जिससे अफरा-तफरी का माहौल बन गया था। एक इंटरव्यू में रतन टाटा ने कहा कि उन्हें किसी ने फोन कर बताया कि होटल के भीतर गोलीबारी हो रही है, जिसके बाद उन्होंने ताज होटक के स्टाफ को कॉल किया, लेकिन किसी ने उनका कॉल रिसीव नहीं किया। रतन टाटा की एक तस्वीर भी वायरल हुए थी, जिसमें उनको गोलीबारी के समय ताज होटल के कोलाबा छोर पर खड़ा देखा गया था। 

रतन टाटा बोले- 'पूरी प्रॉपर्टी को ही बम से उड़ा दो'
रतन टाटा ने आगे बताया था कि इसके बाद उन्होंने कार निकाली और ताज होटल के लिए निकल पड़े, लेकिन उन्हें अंदर जाने से रोक दिया गया था। क्योंकि होटल के अंदर गोलीबारी हो रही थी। उन्होंने सुरक्षाकर्मियों से कहा, "एक भी आतंकी जिंदा नहीं बचना चाहिए और जरूरत पड़े तो पूरी प्रॉपर्टी को ही बम से उड़ा दो।"

टाटा ने इंटरव्यू के दौरान कहा, "कोई भी रात सबसे कठिन नहीं थी, लेकिन कई ऐसे मौके आए जब हमें खुद को मजबूत करने या स्थिति को संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार होना पड़ा।" उन्होंने कहा कि 26/11 हमले ने कंपनी के लिए पहले से ही मुश्किल दौर को और भी जटिल बना दिया था।

पहली बार बंद हुए थे होटल के दरवाजे
मुंबई के 26/11 हमले के सिर्फ़ एक महीने के अंदर होटल फिर से खुल गया। हालांकि, इसकी विरासत और भव्यता को बहाल करने में अधिक समय लगा। रतन टाटा ने 21 महीनों के भीतर इसे दोबारा शुरू करने के लिए 1 बिलियन डॉलर से अधिक खर्च किए थे। जमशेदजी टाटा द्वारा 1903 में स्थापित इस होटल ने एक सदी से भी अधिक समय में अपने दरवाजे कभी बंद नहीं किए थे, यहां तक ​​कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी नहीं, जब यह एक अस्थायी अस्पताल के रूप में काम करता था। हमले इसके इतिहास में पहली बार थे जब इसे बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

166 लोगों की गई थी जान
पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकियों ने मुंबई में 26/11 हमले को अंजाम दिया था, जिसमें 166 लोगों की जान चली गई। जिनमें 11 होटल कर्मचारी भी शामिल थे। जबकि 300 से अधिक लोग घायल हो गए थे। रतन टाटा ने इस हमले के बाद फिर से ताज होटल को खोलने की बात कहते हुए इस हमले में मारे गए या घायल हुए लोगों के परिवारों की देखभाल करने की बात कही थी।