Employment Report : सरकार ने बेरोजगारी को लेकर नई रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट में कई तरह के चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। इन आंकड़ों के बारे नं हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं, लेकिन सबसे पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि बेरोजगार कौन है। आखिर बेरोजगारी की परिभाषा क्या है? 'अगर कोई इंसान हफ्ते में कम से कम एक घंटे के लिए भी नौकरी, दिहाड़ी मजदूरी या फिर ऐसा काम करता है, जिससे उसको पैसे आते हैं तो वह बेरोजगार नहीं है। पूरी दुनियाभर में रोजगार की यही परिभाषा है। यह परिभाषा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने तय की है। दुनियाभर की ज्यादातर सरकारें इसी को आदर्श परिभाषा मानती हैं। 

बेरोजगारी चुनावी और आर्थिक मुद्दा
आईएलओ दवारा बनाई गई इसी रोजगार की परिभाषा के आधार पर बेरोजगारी के आंकड़े तैयार किए जाते हैं। इन्हीं के आधार पर पता चलता है कि कितने लोग बेरोजगार हैं और कितने लोगों के पास रोजगार है। भारत जैसे देश में बेरोजगारी हमेशा से चुनावी और सामाजिक-आर्थिक मुद्दा रहा है। विपक्ष नौकरियां न दे पाने पर सरकार को घेरता है तो सरकार जनता से खूब रोजगार देने का दावा करती है। लेकिन बेरोजगारी को लेकर आंकड़े क्या कहते हैं? सरकार के द्वारा जारी रिपोर्ट के हवाले से हम आपको बताते हैं। रोजगार के आंकड़ों पर पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) ने नई रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में जुलाई 2023 से जून 2024 तक के आंकड़े हैं। रिपोर्ट बताती है कि इस दौरान बेरोजगारी दर न तो बढ़ी है और न ही कम हुई है।

तो देश में कितनी बेरोजगारी है?
देश में बेरोजगारी को तीन आंकड़ों से समझा जाता है है। पहला- लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट यानी LFPR। दूसरा- वर्कर पॉपुलेशन रेशो यानी WPR और तीसरा- बेरोजगारी दर यानी UR। अब LFPR का मतलब होता है कुल आबादी में से ऐसे कितने लोग हैं, जो काम की तलाश में हैं या काम कर रहे हैं। वहीं  WPR का मतलब कि कुल आबादी में से कितनों के पास रोजगार है और UR का मतलब है कि लेबर फोर्स में शामिल कितने लोग बेरोजगार हैं।

लेबर फोर्स और वर्कर पॉपुलेशन का बढ़ना और बेरोजगारी दर का घटना अच्छा माना जाता है। LFPR के आंकड़े: 6 साल में लेबर फोर्स 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ी है। 2017-18 में ये करीब 50 फीसदी थी, जो 2023-24 में बढ़कर 60 फीसदी हो गई। हालांकि, लेबर फोर्स में पुरुषों की तुलना में अब भी महिलाएं कम हैं।

लेबर फोर्स में किसकी कितनी हिस्सेदारी?
लेबर फोर्स में 78.8% पुरुष और 41.7% महिलाएं हैं। - WPR के आंकड़े: देश की कुल आबादी में से 58.2% के पास रोजगार है। इनमें 76.3% पुरुष और 40.3% महिलाएं कामकाजी हैं। 2022-23 में 56 फीसदी आबादी के पास रोजगार था। एक साल में महिलाओं में ये दर 5 फीसदी बढ़ी है। - UR के आंकड़े: 2022-23 में भी बेरोजगारी दर 3.2% थी और 2023-24 में भी ये 3.2% ही रही। यानी, न बढ़ी और न घटी. सात साल में बेरोजगारी दर घटकर आधी हो गई है. 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर 6 फीसदी थी।

पढ़े- लिखें लोग ज्यादा बेरोजगार
रिपोर्ट में पता चलता है कि जिसने जितनी ज्यादा पढ़ाई की वह उतना अधिक बेरोजगार है। देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी पढ़े-लिखे युवा है। हाल में आई अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 2023 में भारत में जितने बेरोजगार थे, उनमें से 83% युवा थे। इतना ही नहीं, दो दशकों में बेरोजगारों में पढ़े-लिखों की हिस्सेदारी लगभग दोगुनी हो गई है। ILO की रिपोर्ट बताती है कि साल 2000 में बेरोजगारों में पढ़े-लिखों की हिस्सेदारी 35.2% थी, जो 2022 तक बढ़कर 65.7% हो गई। ILO ने कहा था कि इसके पीछे की वजह भारतीय युवाओं, खासकर ग्रेजुएट करने वालों में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है और ये समय के साथ लगातार बढ़ रही है। 

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