RG Kar Doctors Protest: कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर ममता बनर्जी सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम दिया है। डॉक्टरों ने सरकार को 21 अक्टूबर तक अपनी सभी मांगों को पूरा करने के लिए कहा है। डॉक्टरों ने मांगे नहीं मानी जाने पर 22 अक्टूबर से राज्यव्यापी हड़ताल की चेतावनी दी है। डॉक्टर पिछले दो महीनों से अपने ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर के मामले में न्याय की मांग कर रहे हैं। डॉक्टरों ने साफ कहा है कि अगर सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर जा सकते हैं।

क्या है डॉक्टरों की प्रमुख मांगे
जूनियर डॉक्टर आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद से सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही डॉक्टर एक केंद्रीय रेफरल प्रणाली (centralised referral system) की भी मांग कर रहे हैं ताकि स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर ढंग से संचालित किया जा सके। डॉक्टरों का कहना है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो वे हड़ताल के लिए मजबूर हो जाएंगे।

ममता बनर्जी से सीधी बातचीत की मांग
डॉक्टरों की ओर से, देबाशीष हलदर ने कहा, "हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हमारे साथ बैठकर चर्चा करें और हमारी सभी मांगों को लागू करें।" उनका कहना है कि अगर यह नहीं हुआ, तो डॉक्टर मंगलवार से हड़ताल पर चले जाएंगे। डॉक्टरों ने सरकार से यह भी कहा कि वे केवल आश्वासन नहीं बल्कि ठोस कार्रवाई चाहते हैं।

भूख हड़ताल पर बैठे डॉक्टर
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों में से कुछ डॉक्टर भूख हड़ताल पर भी बैठे हुए हैं। डॉक्टर सायंतनी घोष हाजरा ने ममता बनर्जी पर सवाल उठाते हुए कहा, "मुख्यमंत्री ने अब तक हमारी मांगों पर ध्यान क्यों नहीं दिया? हम उनके राज्य के नागरिक हैं और हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी है।" सायंतनी 5 अक्टूबर से भूख हड़ताल पर हैं और उनकी तबीयत भी बिगड़ रही है, लेकिन उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

राज्य के स्वास्थ्य सचिव को हटाने की मांग
डॉक्टरों की मांगों में राज्य के स्वास्थ्य सचिव एन एस निगम को हटाने, अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे (CCTV cameras) लगाने, और बेहतर सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंध करना शामिल है। इसके अलावा, डॉक्टर अस्पतालों में मरीजों की देखभाल के लिए बेड की उपलब्धता की निगरानी प्रणाली (bed vacancy monitoring system) लागू करने की भी मांग कर रहे हैं ताकि अस्पतालों में भीड़भाड़ कम की जा सके और मरीजों को समय पर उपचार मिल सके।

पिछली बार डॉक्टरों ने 42 दिनों तक की थी हड़ताल
अगस्त में हुई घटना के बाद डॉक्टरों ने 42 दिनों तक काम बंद रखा था। हालांकि, 21 सितंबर को सरकार द्वारा आश्वासन मिलने पर उन्होंने हड़ताल वापस ले ली थी। लेकिन अब डॉक्टरों का कहना है कि सरकार ने किए गए वादे पूरे नहीं किए, जिसके चलते उन्हें फिर से विरोध करने पर मजबूर होना पड़ा है। यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो राज्यभर के डॉक्टर काम बंद कर देंगे।