S Jaishankar on Pakistan Diplomacy: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान से निपटने की रणनीति बदल दी है। पाकिस्तान सीमा पार से होने वाले आतंकवाद को कूटनीतक बातचीत के लिए एक टूल के तरह इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा था। हालांकि भारत ने इसे अप्रासंगिक बना दिया। अब आतंकवाद को हथियार बनाकर कूटनीतिक बातचीत करना संभव नहीं है। विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम अपने पड़ोसी से बातचीत नहीं करना चाहते। हालांकि यह ऐसी शर्तों में नहीं हो सकती जहां पर पाकिस्तान आतंकवाद को कूटनीतिक बातचीत का वैध आधार बनाना चाह रहा हो।

बाइडेन का दौरा टलने की बताई वजह
विदेश मंत्री ने गणतंत्र दिवस समारोह में आने पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से असमर्थता जाहिर करने को लेकर भी खुलासे किए। जयशंकर ने कहा कि बाइडेन की भारत यात्रा प्रस्तावित क्वाड शिखर सम्मेलन से भी जुड़ी थी। वे गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के साथ ही क्वाड शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेने वाले थे। लेकिन इस सम्मेलन के सभी भागीदार समय नहीं निकाल पा रहे थे। बता दें कि भारत 2024 में पहली बार क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है। पहले यह जनवरी में होने वाला था। अब इसकी तारीख आगे बढ़ा दी गई है। 

विदेशी मीडिया की खबरों को लेकर रखी राय
एस जयशंकर ने भारत में लोकतंत्र की स्थिति को लेकर विदेशी मीडिया में आने वाली खबरों पर भी राय रखी। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में आने वाली खबरों को गंभीरता से लिया जाए। उन्होंने भारत के लोकतांत्रिक प्रक्रिया का बचाव किया। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत लोकतंत्र के सभी मानकों को पूरा करता है। यहां निष्पक्ष ढंग से चुनाव हो रहे हैं। संस्थाएं पूरी आजादी के साथ काम कर रही हैं। हम ऐसा नहीं कहते कि हम परफेक्ट हैं। हमेशा सुधार की गुंजायश होती है। लेकिन, मैं यह भी कहूंगा कि भारत के लोकतंत्र के बारे में खबरें छापने वाली विदेशी मीडिया के एजेंडे और उनकी मंशा पर गौर करें।  

चीन ने आपसी समझौते का उल्लंघन किया
चीन के प्रति अपने नजरिए को लेकर  जयशंकर ने कहा कि वह सरदार पटेल और पीएम मोदी की नीतियों से प्रेरणा लेते हुए वास्तविक स्थिति के हिसाब से काम करते हैं। उन्होंने चीन के साथ नेहरू की रूमानियत की आलोचना की। विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों को आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और हितों को ध्यान रखने की जरूरत है।  हमने इस आधार पर चीन के साथ संबंध सुधारने की कोशिश। अब सब कुछ इस बार पर निर्भर है कि चीन की नीति क्या है।  2020 में चीन ने आपसी समझौते का उल्लंघन किया।