S Jaishankar Response to Terrorists Rule: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर शुक्रवार, 12 अप्रैल को कहा कि 2014 के बाद से भारत की विदेश नीति में बदलाव आया है। आतंकवादियों को अब इस बात की गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए कि बॉर्डर उस पर बैठे हैं कोई उन्हें छू नहीं सकता है। आतंकवादियों का कोई नियम नहीं है तो हम भी उनको जवाब देने के लिए कोई नियम का पालन कैसे कर सकते हैं। अब आतंकवाद से निपटने का यही तरीका है।
जयशंकर पुणे में 'भारत क्यों मायने रखता है: युवाओं के लिए अवसर और वैश्विक परिदृश्य में भागीदारी' नाम के एक कार्यक्रम में युवाओं के साथ बातचीत कर रहे थे। यह पूछे जाने पर कि ऐसे कौन से देश हैं, जिनके साथ भारत को संबंध बनाए रखना मुश्किल लगता है? उन्होंने कहा कि बिना नाम लिए पाकिस्तान की तरफ इशारा किया। उन्होंने एक हमारा पड़ासी है। इसके लिए केवल हम जिम्मेदार हैं।
आतंकवाद किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं
विदेश मंत्री ने बताया कि 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया और भारतीय सेना ने उनका मुकाबला किया और राज्य का एकीकरण हुआ। विदेश मंत्री ने कहा कि जब भारतीय सेना अपनी कार्रवाई कर रही थी, हम ठहर गए और संयुक्त राष्ट्र में चले गए। आतंकवाद (लश्कर) के बजाय कबायली आक्रमणकारियों के कृत्यों का उल्लेख किया। अगर हम शुरू से ही स्पष्ट होते कि पाकिस्तान आतंकवाद का उपयोग कर रहा है, तो बिल्कुल अलग नीति होती। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं हो सकता।
देश की विदेश नीति में निरंतरता के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि मेरा जवाब हां है। 50 प्रतिशत निरंतरता है और 50 प्रतिशत बदलाव है। वह एक बदलाव आतंकवाद पर है। उन्होंने कहा कि मुंबई अटैक के बाद एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जिसने महसूस किया हो कि हमें जवाब नहीं देना चाहिए था। लेकिन उस समय यह सोचा गया था कि पाकिस्तान पर हमला करने की कीमत पाकिस्तान पर हमला न करने से अधिक है।
आतंकवादी किसी भी नियम से नहीं खेलते
जयशंकर ने पूछा कि अगर अभी मुंबई (26/11) जैसा कुछ होता है और कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है तो कोई अगले हमले को कैसे रोक सकता है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को यह महसूस नहीं होना चाहिए कि वे सीमा पार हैं, इसलिए उन्हें कोई छू नहीं सकता। आतंकवादी किसी भी नियम से नहीं खेलते, इसलिए आतंकवादियों को जवाब देने के लिए कोई नियम नहीं हो सकता।