Sambhal Violence:सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मस्जिद पक्ष, सर्वे आदेश के खिलाफ लगाई याचिका; कल होगी सुनवाई

Supreme Court comment on Goonda Act
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Sambhal Violence: यूपी के संभल में स्थित जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर विवाद मामले में मस्जिद पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा गया है। मस्जिद पक्ष को ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।

Sambhal Violence: यूपी के संभल में स्थित जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर विवाद मामले में मस्जिद पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा गया है। मस्जिद पक्ष को ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में मस्जिद पक्ष ने स्थानीय अदालत द्वारा दिए गए 19 नवंबर को सर्वे के आदेश को चुनौती दी है। शुक्रवार 29 नवंबर को सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ याचिका पर सुनवाई करेगी।

इससे पहले संभल जिले की जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर होने के दावे पर स्थानीय अदालत ने 19 नवंबर को सर्वे का आदेश दिया था। पहले दिन सर्वे करने पहुंची टीम ने विरोध के कारण सर्वे कार्य को स्थगित कर दिया था। इसके बाद संभल में हिंसा हुई थी।

19 नवंबर को मस्जिद की इंतजामिया कमेटी के सदर जफर अली के अलावा वादी और प्रतिवादी पक्ष के लोगों की उपस्थिति में एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव को अपनी टीम के साथ सर्वे का कार्य करना था। जिला प्रशासन ने दोनों पक्षों के साथ बातचीत कर निश्चित संख्या में लोगों को मस्जिद के अंदर प्रवेश दिया।

इस दौरान डीएम और एसपी के अलावा प्रशासनिक सभी लोगों को बाहर रखा। इसी बीच कुछ जनप्रतिनिधि और उनके समर्थक आ गए और मस्जिद का गेट खुलवाकर अंदर घुस गए। लोग सर्वे पर आपत्ति और विरोध की बातें करने लगे, सवाल खड़े करने लगे। रात का समय और बढ़ती भीड़ को देख एडवोकेट कमिश्नर और जिला प्रशासन ने कार्य को स्थगित कर दिया था।

हाई कोर्ट में लगाई थी जनहित याचिका
संभल स्थित जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान 24 नवंबर को हुई हिंसा की सीबीआई जांच के लिए इलाहबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। घटना को षड्यंत्र बताते हुए गोली चलाने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग भी इस याचिका में है। वाराणसी निवासी डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी की तरफ से अधिवक्ता इमरान उल्ला व विनीत विक्रम ने यह याचिका दाखिल की है।

मांग की गई है कि हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एसआइटी बनाई जाए जो आयुक्त, डीएम, एसपी, एसडीएम, सीओ की भूमिका की जांच कर निर्धारित समय में रिपोर्ट दे। अधिकारियों की संलिप्तता और गलतियों के कारणों की भी जांच की मांग है।

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