Sandeshkhali Victims Meet President Murmu: संदेशखाली की पांच महिलाओं सहित हिंसा के शिकार 11 पीड़ितों ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। उन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय की सुरक्षा के लिए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की।
सेंटर फॉर एससी/एसटी सपोर्ट एंड रिसर्च के निदेशक डॉ. पार्थ बिस्वास ने कहा कि पीड़ितों में 5 महिलाएं और 6 पुरुष शामिल थे। सभी ने संदेशखाली की समस्या को लेकर राष्ट्रपति मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा है। राष्ट्रपति ने पूरे मामले को बड़ी सहानुभूति के साथ सुना और इससे बहुत दुखी हुईं।
राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने की मांग
पार्थ ने बताया कि पीड़ितों ने संदेशखाली में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय की सुरक्षा के लिए राष्ट्रपति के हस्तक्षेप का आग्रह किया। ज्ञापन में कहा गया है कि पीड़ित परिवारों की स्थिति बेहद चिंताजनक है और इस पर तत्काल ध्यान देने और हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
पीड़ितों ने कहा कि हमारे देश में न्याय और समानता के संरक्षक के रूप में आपकी सम्मानित स्थिति को देखते हुए हमारा मानना है कि इस मामले को प्रभावी ढंग से संबोधित करने में आपका मार्गदर्शन और सहायता महत्वपूर्ण है। इसमें आगे कहा गया कि राष्ट्रपति मुर्मू का हस्तक्षेप संदेशखली में उत्पीड़ित लोगों को सांत्वना और राहत देगा और पूरे भारत में हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए आशा की किरण के रूप में काम करेगा। आपकी बुद्धिमत्ता और करुणा का हमारे देश भर में लाखों लोग सम्मान करते हैं।
शाहजहां शेख और उसके सहयोगियों पर यौन उत्पीड़न का आरोप
दरअसल, 5 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने राशन घोटाले को लेकर बंगाल के 24 नॉर्थ परगना जिले में आरोपी शाहजहां शेख के यहां छापा मारा था। लेकिन शाहजहां भाग निकला और उसने भीड़ को हमले के लिए उकसा दिया। नतीजा भीड़ ईडी टीम पर टूट पड़ी। कई अफसर घायल हो गए। इसके घटना के करीब 2 हफ्ते बाद संदेशखाली की महिलाएं सामने आईं, जिन्होंने शाहजहां और उसके सहयोगियों पर यौन उत्पीड़न, जमीन हड़पने आदि का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया।
फरारी के 55 दिन बाद शाहजहां पकड़ा गया। इसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर उसे पुलिस ने सीबीआई के हवाले किया है। टीएमसी ने भी शाहजहां को पार्टी से निकाल दिया है।