Logo
Satta King: सट्टा खेलने वाले सावधान...। सट्टे की लत जानलेवा हो सकती है। ये खेल दिल और दिमाग पर सीधे अटैक करता है। सोचने-समझने की शक्ति को खत्म कर देता है। एक्सपर्ट से जानें लक्षण और बचने का तरीका।

Satta King: सट्टा खेलने वाले सावधान...। सट्टे में पैसों के साथ आप अपनी जिंदगी भी दांव पर लगाते हैं। जीत पर खुशी का ठिकाना नहीं। हार पर चारों ओर सिर्फ मायूशी। जीत-हार के इस खेल में अंत आपके जीवन का ही होता है। लोग शौक से सट्टा (Satta) खेलना शुरू करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे आदी (addict) हो जाते हैं। सट्टे की लत (Addiction of gambling) की चपेट में आने से लोग बीमार होने लगते हैं। मानसिक और शारीरिक पीड़ा का शिकार हो जाते हैं। आपके सोचने-समझने की शक्ति खत्म होने लगती है। कई तो गहरे सदमे में चले जाते हैं। सट्टे की लत कितनी हानिकारक है? (How harmful is gambling addiction) कैसे आपके जीवन को प्रभावित करती है? किन-किन बीमारियों का शिकार होते हैं? इससे छुटकारा कैसे पाएं?  यहां जानें मनोचिकित्सक डॉ. तन्मय जोशी से लक्षण और बचाव के तरीके। 

आपको कैसे सट्टा-जुआ की लगती है लत?
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान(AIIMS) भोपाल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर तन्मय जोशी का कहना है कि किसी भी मूल्यवान वस्तु को ज्यादा मूल मिलने की आशा में दांव पर लगाना ही Gambling का फंडा है। 100 लोग सट्टा-जुआ खेलते हैं तो 10 को लत लगती है। लत कैसे लगती है? लक्षण क्या हैं? यह जानना जरूरी है। अगर पांच लक्षण भी मिल रहे हैं तो समझ लीजिए आपको सट्टा-जुआ की लत गई है। 

  • पहला लक्षण: डॉक्टर तन्मय ने बताया कि पहला लक्षण है दिनभर सट्टा-जुआ के बारे में सोचना। अगली बार सट्टा-जुआ खेलने के लिए पैसों का जुगाड़ करना। कहां-कहां से पैसा मिल सकता है, इसकी प्लानिंग करना। दिन का अधिकतम समय सट्टा-जुआ की प्लानिंग और उसके बारे में सोचना।
  • दूसरा लक्षण: धीरे-धीरे सट्टा में लगने वाले पैसे की मात्रा बढ़ाना। जितना EXCITEMENT कम पैसे लगाने पर मिल रहा था, उसका ज्यादा पैसे लगाने में मिलना।
  • तीसरा लक्षण: आदमी अंदर से सोचे कि अब मुझे कम करना है। अब मुझे नहीं लगाना है। या बंद ही कर देना है। पर नहीं कर पा रहा। चाहता है बंद करना पर बंद नहीं कर पा रहा। बंद करने की कोशिश करने पर बेचैनी और चिड़चिड़ापन आना। 
  • चौथा लक्षण: सट्टा-जुआ जिंदगी के गम और जिंदगी की परेशानियों से उभरने का तरीका बनने लगे। जैसे मूड अच्छा नहीं है। बेहतर फील करने के लिए सट्टा खेलना। बुरा लग रहा है तो सट्टा खेलना। आत्मग्लानि हो रही है तो सट्टा खेलना। घबराहट हो रही है तो सट्टा-जुआ खेलना। 
  • पांचवां लक्षण: हारे हुए पैसे को रिकवर करने की मंशा से सट्टा खेलना। सट्टा-जुआ की लत को छिपाने के लिए घर वालों और डॉक्टर से झूठ बोलना। फिर एक दिन बहुत महत्वपूर्ण रिश्ता कुर्बान कर देना। या तो उसे खतरे में डाल देना या फिर खो देना। जैसे शादी खो देना, जॉब खो देना। कहीं पर पढ़ाई कर रहे हैं तो वहां से निकाले जाने।
  • छठवां लक्षण: कंगाली होने के बाद भी सट्टा-जुआ खेलने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना।

100 में से 75 लोग अवसाद का शिकार
डॉक्टर तन्मय ने बताया कि सट्टा-जुआ खेलने वाले ज्यादातर लोग कोई न कोई नशा जरूर करते हैं। ज्यादातर शराब के आदी होते हैं। सट्टा-जुआ खेलने वाले 100 में से 75 लोग अवसाद का शिकार हो जाते हैं।  आम लोगों से तुलना करें तो सट्टा-जुआ खेलने वालों को तीन गुना ज्यादा रिस्क रहता है। सट्टा-जुआ वालों के अंदर आम लोगों के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा डर बैठ जाता है। नशावृत्ति का तीन गुना ज्यादा रिस्क होता है। 

सट्टा-जुआ खेलने से इन बीमारियों का होते हैं शिकार
डॉक्टर तन्मय ने बताया कि सट्टा-जुआ खेलते-खेलते लोग मानसिक रूप से गहरे असर में चले जाते हैं। मस्तिष्क में 'वेंट्रोमेडियल प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स' और 'ऑर्बिटल फ्रंटल कॉर्टेक्स' जैसे क्षेत्रों पर गहरा असर पड़ता है। तनाव, बेचैनी, घबराहट होने लगती है। सदमा बैठ जाता है। मस्तिष्क के साथ दिल की बीमारी भी हो जाती है। शरीर भी कमजोर होने लगता है। सोचने-समझने की शक्ति कम हो जाती है। लगातार डिप्रेशन के कारण लोग आत्मघाती कदम उठाते हैं। धीरे-धीरे यह स्थिति व्यक्ति को आक्रामक बना देती है, जिसका असर उनके परिवार और दोस्तों पर भी पड़ता है। 

खुद करें लाइव टेस्ट 
डॉक्टर तन्मय ने बताया कि आपको सट्टा-जुआ की लत लगी है तो खुद अपना टेस्ट कीजिए। इसे लाइव टेस्ट कहते हैं। दो सवाल खुद से करें...। पहला: क्या आपको अपने नजदीकी और करीबी लोगों से जुआ-सट्टा के बारे में झूठ बोलना पड़ा है क्या? दूसरा सवाल है कि कभी आपको अंदर से इच्छा हुई है कि जुआ-सट्टा में और ज्यादा लगाया जाए। दो सवाल आपके सट्टा-जुआ  की लत का राज खोलेंगे। 

ऐसे छुड़ाएं सट्टा-जुआ की लत 
डॉक्टर तन्मय ने बताया कि सट्टा-जुआ की लत को छुड़ाने के लिए कोई ठोस दवाई अभी तक नहीं बनी है। कुछ दवाइयां लत को कम करने में कारगार साबित हुई हैं। काउंसलिंग का सबसे ठोस इलाज है। परिवार के लोग नजर बनाकर रखें। अगर ऐसे कोई लक्षण मिलते हैं तो तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करें और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के साथ काउंसलिंग करवाएं। साइकोथेरेपी, वॉक और म्यूजिक थेरेपी से भी सट्टा-जुआ की लत को दूर किया जाता है। परिवार का भावनात्मक समर्थन बेहद महत्वपूर्ण है। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं से डोपामाइन को नियंत्रित किया जा सकता है।

5379487