Satta King: ऑनलाइन सट्टेबाजी ने इस शख्स को किया कंगाल, पैसों के साथ जमीन भी गंवाई

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Satta king: क्रिकेट के ऑनलाइन सट्‌टे में उड़ाए लाखों। पुलिस के हत्थे चढ़ा तो खुला राज।
Satta King: जुए-सट्टे की लत आपको बर्बाद कर सकती है। कश्मीर में चौंकाने वाला केस सामने आया है। ऑनलाइन सट्टेबाजी ने शख्स को कंगाल कर दिया है। युवक ने ₹90 लाख और जमीन गंवा दी है।

Satta King: सट्टा खेलने वाले सावधान...। सट्टे में पैसों के साथ आप अपनी जिंदगी भी दांव पर लगाते हैं। जीत-हार के खेल में आप बुरी तरह फंसते चले जाते हैं। आखिर में आप बर्बाद हो जाते हैं। कश्मीर में ऐसा ही चौंकाने वाला केस सामने आया है। ऑनलाइन सट्टेबाजी (online betting) की लत में शख्स कंगाल हो गया। पहले जमा-पूंजी हारा। फिर जमीन भी दांव पर लगाकर गंवा दी। युवक का दावा है कि सट्टेबाजी के खेल में उसने 90 लाख रुपए और जमीन गंवाई है। युवक का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

युवक का दावा-6 माह में सबकुछ गंवा दिया
कश्मीरी व्यक्ति का दावा है कि उसने ऑनलाइन सट्टेबाजी गेम में 90 लाख गंवा दिए हैं। शख्स ने कहा कि उसने अपनी जमीन भी बेच दी। छह महीने के भीतर पैसे और रकम सबकुछ गंवा दिया है। युवक का वीडियो 'The Kashmiriyat' के सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर चल रहा है।

कैसे लगती है सट्टा-जुआ की लत
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIMS) भोपाल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर तन्मय जोशी कहते हैं कि किसी भी मूल्यवान वस्तु को ज्यादा मूल मिलने की आशा में दांव पर लगाना ही Gambling का फंडा है। 100 लोग सट्टा-जुआ खेलते हैं तो 10 को लत लगती है। लत कैसे लगती है? लक्षण क्या हैं? यह जानना जरूरी है। अगर पांच लक्षण भी मिल रहे हैं तो समझ लीजिए आपको सट्टा-जुआ की लत गई है।

  • पहला लक्षण: पहला लक्षण है दिनभर सट्टा-जुआ के बारे में सोचना। अगली बार सट्टा-जुआ खेलने के लिए पैसों का जुगाड़ करना। कहां-कहां से पैसा मिल सकता है, इसकी प्लानिंग करना। दिन का अधिकतम समय सट्टा-जुआ की प्लानिंग और उसके बारे में सोचना।
  • दूसरा लक्षण: धीरे-धीरे सट्टा में लगने वाले पैसे की मात्रा बढ़ाना। जितना EXCITEMENT कम पैसे लगाने पर मिल रहा था, उसका ज्यादा पैसे लगाने में मिलना।
  • तीसरा लक्षण: आदमी अंदर से सोचे कि अब मुझे कम करना है। अब मुझे नहीं लगाना है। या बंद ही कर देना है। पर नहीं कर पा रहा। चाहता है बंद करना पर बंद नहीं कर पा रहा। बंद करने की कोशिश करने पर बेचैनी और चिड़चिड़ापन आना।
  • चौथा लक्षण: सट्टा-जुआ जिंदगी के गम और जिंदगी की परेशानियों से उभरने का तरीका बनने लगे। जैसे मूड अच्छा नहीं है। बेहतर फील करने के लिए सट्टा खेलना। बुरा लग रहा है तो सट्टा खेलना। आत्मग्लानि हो रही है तो सट्टा खेलना। घबराहट हो रही है तो सट्टा-जुआ खेलना।
  • पांचवां लक्षण: हारे हुए पैसे को रिकवर करने की मंशा से सट्टा खेलना। सट्टा-जुआ की लत को छिपाने के लिए घर वालों और डॉक्टर से झूठ बोलना। फिर एक दिन बहुत महत्वपूर्ण रिश्ता कुर्बान कर देना। या तो उसे खतरे में डाल देना या फिर खो देना। जैसे शादी खो देना, जॉब खो देना। कहीं पर पढ़ाई कर रहे हैं तो वहां से निकाले जाने।
  • छठवां लक्षण: कंगाली होने के बाद भी सट्टा-जुआ खेलने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना।

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सट्टा-जुआ खेलने से इन बीमारियों का होते हैं शिकार
डॉक्टर तन्मय ने बताया कि सट्टा-जुआ खेलते-खेलते लोग मानसिक रूप से गहरे असर में चले जाते हैं। मस्तिष्क में 'वेंट्रोमेडियल प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स' और 'ऑर्बिटल फ्रंटल कॉर्टेक्स' जैसे क्षेत्रों पर गहरा असर पड़ता है। तनाव, बेचैनी, घबराहट होने लगती है। सदमा बैठ जाता है। मस्तिष्क के साथ दिल की बीमारी भी हो जाती है। शरीर भी कमजोर होने लगता है। सोचने-समझने की शक्ति कम हो जाती है। लगातार डिप्रेशन के कारण लोग आत्मघाती कदम उठाते हैं। धीरे-धीरे यह स्थिति व्यक्ति को आक्रामक बना देती है, जिसका असर उनके परिवार और दोस्तों पर भी पड़ता है।

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ऐसे छुड़ाएं सट्टा-जुआ की लत
डॉक्टर तन्मय ने बताया कि सट्टा-जुआ की लत को छुड़ाने के लिए कोई ठोस दवाई अभी तक नहीं बनी है। कुछ दवाइयां लत को कम करने में कारगार साबित हुई हैं। काउंसलिंग का सबसे ठोस इलाज है। परिवार के लोग नजर बनाकर रखें। अगर ऐसे कोई लक्षण मिलते हैं तो तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करें और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के साथ काउंसलिंग करवाएं। साइकोथेरेपी, वॉक और म्यूजिक थेरेपी से भी सट्टा-जुआ की लत को दूर किया जाता है। परिवार का भावनात्मक समर्थन बेहद महत्वपूर्ण है। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं से डोपामाइन को नियंत्रित किया जा सकता है।

(Disclaimer: देश में सट्टेबाजी गैर-कानूनी है। यह आर्थिक जोखिमों के आधीन है। इसमें लत लगना स्वाभाविक है। हरिभूमि डिजिटल किसी भी प्रकार की सट्टेबाजी और हार-जीत के दावों को प्रमोट नहीं करता है)

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