Sheena Bora Case: इंद्राणी मुखर्जी ने विदेश यात्रा की इजाजत के लिए किया सुप्रीम कोर्ट का रुख, जानें डिटेल

Sheena Bora Murder Case
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Sheena Bora Murder Case
Sheena Bora Case: विशेष अदालत ने इंद्राणी मुखर्जी को 19 जुलाई को अगले तीन महीने में 10 दिनों के लिए स्पेन और ब्रिटेन की यात्रा की याचिका को मंजूर किया था।

Sheena Bora Case: शीना बोरा हत्या मामले की आरोपी और पूर्व मीडिया कार्यकारी इंद्राणी मुखर्जी ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने उन्हें विदेश यात्रा की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। बता दें कि अप्रैल 2012 में सामने आए शीना बोरा हत्याकांड में गिरफ्तारी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में इंद्राणी मुखर्जी को जमानत दी थी।

क्या है मामला?

  • स्पेशल कोर्ट की अनुमति: 19 जुलाई को विशेष अदालत ने इंद्राणी मुखर्जी को तीन महीनों की अवधि में 10 दिनों के लिए स्पेन और यूके यात्रा की अनुमति दी थी। यह यात्रा उनके बैंक से जुड़े दस्तावेज और अन्य आधिकारिक कार्य पूरे करने के लिए थी।
  • सीबीआई की आपत्ति: सीबीआई ने इस आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी। 27 सितंबर को हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के आदेश को रद्द कर दिया।
  • हाईकोर्ट का क्या है तर्क: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि इंद्राणी मुखर्जी भारत में रहते हुए इन कार्यों को पूरा कर सकती हैं। उन्हें स्पेन और यूके दूतावास की मदद से आवश्यक सहयोग दिया जा सकता है। फैसले के खिलाफ इंद्राणी मुखर्जी ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

शीना बोरा मर्डर केस क्या है?
अप्रैल 2012 में मुंबई में शीना बोरा (24) की गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, इस हत्या को इंद्राणी मुखर्जी, उनके पूर्व पति संजीव खन्ना और ड्राइवर श्यामवर राय ने मिलकर अंजाम दिया। शव को रायगढ़ के जंगल में जलाकर फेंक दिया गया था। 2015 में श्यामवर राय को एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के दौरान उसने हत्या का खुलासा किया। इंद्राणी मुखर्जी के अलावा उनके पूर्व पति पीटर मुखर्जी को भी साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

इंद्राणी को मिली थी जमानत
मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इंद्राणी मुखर्जी को जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट अब यह तय करेगा कि इंद्राणी मुखर्जी की विदेश यात्रा के लिए दी गई दलीलें पर्याप्त हैं या नहीं। यह फैसला उनके जमानत की शर्तों और अंतरराष्ट्रीय यात्रा की स्वतंत्रता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

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