कौन हैं साैमित्र खान: जिन्होंने पश्चिम बंगाल में भेदा CPM का मजबूत किला, अब पत्नी के खिलाफ लड़ रहे चुनाव

Soumitra Khan vs Sujata Mandal: लोकसभा चुनाव में 2024 में पश्चिम बंगाल की बिष्णुपुर सीट में दिल चस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। यह देश की इकलौती सीट होगी, जहां पति-पत्नी एक दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरे हैं। भाजपा ने विष्णुपुर सीट से मौजूदा सांसद सौमित्र खान को प्रत्याशी बनाया है, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सौमित्र के खिलाफ उनकी पूर्व पत्नी सुजाता मंडल को प्रत्याशी घाेषित किया है। चुनाव तक बदलाव न हुआ तो फिर बिष्णुपुर में पति पत्नी के बीच ही लोकसभा का मुख्य मुकाबला होगा।
कौन हैं सौमित्र खान?
सौमित्र खान पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले अंतर्गत आने वाले दुर्लभपुर गांव में 8 दिसंबर 1980 को जन्मे थे। पिता धनंजय खान और मां छाया रानी हैं। सौमित्र शुनरी जाति के बंगाली हिंदू परिवार से ताल्लुक रखते हैं। बंगाल में उनकी जाति अनुसूचित जाति (SC) वर्ग में आती है। सौमित्र हिंदू धर्म में बड़ी आस्था रखते हैं। माथे पर तिलक और हाथ में कलावा बांधते हैं। सरनेम का उच्चारण सौमित्र खा के रूप में होता है, लेकिन स्पेलिंग के चलते खान लिखा जाता है।
कांग्रेस से राजनीतिक की शुरूआत
सौमित्र खान ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत कांग्रेस से की थी। कांग्रेस के सिम्बल पर पहली बार वह विधायक निर्वाचित हुए, 2013 में कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस ज्वान कर ली थी। टीएमसी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बिष्णुपुर से टिकट दिया। सौमित्र कम्युनिस्ट पार्टी का किला भेदते हुए यहां सांसद भी निर्वाचित हुए, लेकिन 2019 में बीजेपी ज्वाइन कर ली। भाजपा की टिकट पर दोबारा सांसद बने। भाजपा ने 2024 के लिए भी प्रत्याशी बनाया है।
विष्णुपुर लोकसभा सीट का इतिहास
- पश्चिम बंगाल की बिष्णुपुर लोकसभा सीट 1962 में अस्तित्त में आई थी। शुरुआती दो चुनाव तो कांग्रेस प्रत्याशी ने जीते, लेकिन इसके बाद CPIM ने ऐसी पकड़ बनााई कि 40 साल किसी को मौका नहीं मिला। 2014 के लोकसभा चुनाव में 38 वर्षीय सौमित्र ने टीएमसी के टिकट पर न सिर्फ बड़ी जीत दर्ज की, बल्कि CPIM को एक तरह से विदा ही कर दिया।
- बिष्णुपुर लोकसभा सीट में सीपीआईएम ने 1971 से 2009 तक 11 बार लगातार जीत दर्ज की। 1989 तक अमित कुमार साहा सीपीएम के सिम्बल पर लगातार जीतते रहे। 2014 में सौमित्र खान ने टीमएसी को जीत दिलाई। इस चुनाव में सीपीएम को 33 फीसदी वोट मिला था। जबकि 2009 में उसे 52 फीसदी वोट मिला था। 2014 में टीएमसी को 45 प्रतिशत और भाजपा के डा. जयंत मोंडल का 14 प्रतिशत, कांग्रेस को 2 फीसदी वोट मिले थे। 2019 के चुनाव में सौमित्र ने भाजपा की टिकट पर चुनाव जीता था।
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