Special Status State:नई सरकार के गठन के साथ ही विशेष राज्य का दर्जा और विशेष श्रेणी का राज्य जैसी शब्द अचानक से सुर्खियों में है। ये दोनों शब्द सुनने में एक जैसे लग सकते हैं, लेकिन इनके मतलब और फायदे अलग-अलग हैं। आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि ये क्या हैं, इनके फायदे क्या हैं और इन्हें कब और कैसे लागू किया जाता है।

क्या है विशेष श्रेणी का दर्जा (Special Category Status - SCS)?
विशेष श्रेणी का दर्जा (SCS) एक ऐसा दर्जा है जो किसी राज्य को उसकी विकास दर और पिछड़ेपन के आधार पर दिया जाता है। अगर कोई राज्य भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा हो, तो उसे यह दर्जा दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य उन राज्यों को वित्तीय और अन्य सहायता प्रदान करना है ताकि वे भी राष्ट्रीय औसत के बराबर विकास कर सकें।

संविधान में नहीं है प्रावधान
संविधान में विशेष श्रेणी का दर्जा देने का कोई प्रावधान नहीं है। यह दर्जा 1969 में पांचवें वित्त आयोग की सिफारिश पर शुरू किया गया था।1969 में पांचवें वित्त आयोग ने विशेष श्रेणी का दर्जा (Special Category Status - SCS) पर महत्वपूर्ण सिफारिशें की थीं। इस आयोग का मकसद भारत के अलग-अलग राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना था। इसके बाद स्पेशल कैटेगरी का दर्जा एक अहम प्रावधान के रूप में सामने आया।

किन राज्यों को अब तक  मिला है SCS?
पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों के बाद, 1969 में असम, नागालैंड और जम्मू और कश्मीर को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया था। बाद में, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना जैसे राज्यों को भी यह दर्जा मिला। इसके बाद इन राज्यों का तेजी से विकास हुआ। इस दर्जे के बाद इन राज्यों के आर्थिक विकास के बाद कई दूसरे राज्य भी इसकी मांग करने लगे। 

विशेष राज्य का दर्जा (Special Status State)
विशेष राज्य का दर्जा किसी राज्य को विशेष विधायी और राजनीतिक अधिकार प्रदान करता है। यह दर्जा राज्य की विशेष स्थिति को मान्यता देता है और उसे विशेष सुविधाएं प्रदान करता है।

विशेष श्रेणी का दर्जा और विशेष राज्य का दर्जा में अंतर
विशेष श्रेणी का दर्जा (SCS) और विशेष राज्य का दर्जा (Special Status State) में मुख्य अंतर यह है कि SCS केवल आर्थिक और वित्तीय पहलुओं से संबंधित होता है, जबकि विशेष राज्य का दर्जा विधायी और राजनीतिक अधिकारों को बढ़ाता है।

विशेष श्रेणी का दर्जा मिलने के लाभ
1. केंद्र प्रायोजित योजनाएं: विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्र सरकार की प्रायोजित योजनाओं के लिए 90% अनुदान मिलता है, जबकि बाकी राज्यों को 60% या 75% अनुदान ही मिलता है।

2. करों में रियायतें: विशेष श्रेणी का दर्जा पाले वाले राज्यों को आयकर, सीमा शुल्क और कॉर्पोरेट कर में महत्वपूर्ण रियायतें मिलती हैं, जिससे वहां निवेश को बढ़ावा मिलता है।

3. वित्तीय सहायता का कैरी फॉरवर्ड: यदि आवंटित धनराशि खर्च नहीं की जाती है, तो उसे कैरी फॉरवर्ड कर दिया जाता है। यानी कि राज्य अगले वित्तीय वर्ष में उस रकम का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे काम

4. विशेष फोकस और प्राथमिकता: विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्र सरकार के बजट और विकास योजनाओं में विशेष प्राथमिकता मिलती है। पहले इन राज्यों को ही जरूरी राशि आवंटित की जाती है। 

किसी राज्य को SCS देने की क्या शर्ते हैं:

  • पहाड़ी राज्य हो
  • कम जनसंख्या घनत्व हो
  • जनजातीय आबादी का बड़ा हिस्सा हो
  • पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक महत्व हो
  • आर्थिक और बुनियादी ढांचे में पिछड़ापन हो
  • राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं हो

मौजूदा समय में क्यों रही है इसकी चर्चा
मौजूदा समय में NDA के सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड (JDU) और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) विशेष श्रेणी का दर्जा मांग रही हैं। इसके पीछे मकसद यह है कि इन राज्यों को आर्थिक मिले और इनका विकास हो सके। विशेष दर्जे का महत्व यह है कि इससे राज्यों को विकास की दौड़ में आगे बढ़ने का मौका मिलता है। इससे राज्यों को केंद्रीय योजनाओं में अधिक भागीदारी मिलती है और उन्हें वित्तीय सहायता भी मिलती है।

राजनीतिक तौर पर  कितना अहम है ये मुद्दा
राजनीतिक रूप से, विशेष श्रेणी का दर्जा राज्यों के लिए एक बहुत ही अहम मुद्दा है। यह उन्हें केंद्रीय सरकार से अधिक सहायता प्राप्त करने का मौका देता है और राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेष श्रेणी का दर्जा और विशेष राज्य का दर्जा दोनों ही महत्वपूर्ण टर्म्स हैं, जिनका राज्यों के विकास में अहम योगदान है। नई सरकार के गठन के साथ ही ये टर्म्स फिर से चर्चा में आ गए हैं, और इनका महत्व और भी बढ़ गया है। अब यह देखना होगा कि आने वाले समय में इन टर्म्स का कैसे और कितना इस्तेमाल किया जाता है और इससे राज्यों को क्या लाभ मिलते हैं।