देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश मात्र से बच्चे के पढ़ाई के सपने को साकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (30 सितंबर) को IIT धनबाद को गरीब छात्र को दाखिला देने का आदेश दिया है। गरीब छात्र के पास समय पर 17,500 रुपये फीस देने के लिए नहीं थे, जिसके चलते उसका दाखिला नहीं हो पा रहा था।
SC ने कहा कि प्रतिभाशाली छात्रों को निराश नहीं किया जाना चाहिए। CJI डी. वाई चंद्रचूड़ ने अदालत में मौजूद छात्र को कहा, 'ऑल द बेस्ट... अच्छा करिए'।
किसी ने नहीं की मदद
जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खतौली में रहने वाले एक दिहाड़ी मजदूर के बेटे ने कड़ी मेहनत करके JEE एडवांस्ड की परीक्षा पास की ली। इसके बाद छात्र को IIT धनबाद में दाखिला लेना था, लेकिन वह 17 हजार 500 रुपये नहीं जमा कर पाया, जिसके चलते उसका दाखिल नहीं हो सका और सीट भी उसके हाथ से चली गई। मजबूर छात्र और उसके पिता ने यूनिवर्सिटी से लेकर एससी-एसटी आयोग, झारखंड हाईकोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट के चक्कर काटे, लेकिन 3 महीने तक दौड़ने के बाद भी उनको कुछ हासिल नहीं हुआ, ऐसे में बच्चे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
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दस्तावेज समय पर नहीं हो पाए थे अपलोड
आईआईटी धनबाद में सीट मिलने के बाद फीस जमा करने की आखिरी तारीख में केवल 4 दिन का समय बचा था। 24 जून को शाम 5 बजे तक पिता को बेटे की फीस जमा करनी थी। राजेंद्र किसी तरह 24 जून को शाम करीब 4:45 बजे तक पैसे का इंतजाम कर पाए, चूंकि समय कम था, इसलिए उन्होंने पैसा अतुल के भाई के बैंक अकाउंट में जमा करवा दिया। अतुल ने वेबसाइट पर जरूरी दस्तावेज अपलोड कर दिए, लेकिन जब तक वो फीस जमा करता अंतिम तारीख के 5 बज चुके थे। उसका IIT में दाखिला लेने का सपना खत्म हो गया।
वहीं अब इस मामले में अतुल और उसके पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अतुल ने अपनी बात मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ के सामने रखी। CJI चंद्रचूड़ की पीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी, आईआईटी एडमिशन और आईआईटी मद्रास से जवाब मांगा था।
पिता कमाते हैं 450 रुपये दिहाड़ी
स्टूडेंट अतुल के वकील ने बताया कि उनके पिता 450 रुपये की दिहाड़ी कमाते हैं। ऐसे में "17,500 रुपये का बंदोबस्त करना उनके लिए बहुत बड़ा काम था। पिता ने यह रकम गांव वालों से जुटाई।" आईआईटी धनबाद के वकील ने दावा किया कि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने अतुल कुमार को एसएमएस भेजा और आईआईटी ने उन्हें दो व्हाट्सएप चैट के जरिए पेमेंट करने की जानकारी दी थी। वकील ने कहा, “वह हर दिन लॉगिन करता था।”
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