Justice Yashwant Varma Case: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। उनके सरकारी आवास पर कथित तौर पर अवैध नकदी मिलने के मामले में यह याचिका दायर की गई थी। आग लगने की घटना के बाद जस्टिस वर्मा के घर से बचाव टीम को भारी मात्रा में कैश बरामद हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि आंतरिक जांच पूरी होने दी जाए। अगर जांच में जस्टिस वर्मा दोषी पाए जाते हैं, तो CJI के पास FIR दर्ज कराने या सरकार को हटाने की सिफारिश करने का विकल्प होगा। कोर्ट ने कहा, 'आज हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। जांच रिपोर्ट आने के बाद कई विकल्प हो सकते हैं।'
जांच के लिए टीम गठीत
इस मामले की जांच के लिए 22 मार्च को CJI ने तीन सदस्यीय समिति गठित की, जिसमें पंजाब-हरियाणा HC के CJ शील नागू, हिमाचल HC के CJ जीएस संधवालिया और कर्नाटक HC की जस्टिस अनु सिवरमण शामिल हैं। इस समिति ने जस्टिस वर्मा के आवास (30, तुगलक क्रेसेंट) का दौरा किया और 30-35 मिनट तक पूछताछ की।
आगे क्या होगा?
फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट ने जस्टिस वर्मा को डी-रोस्टर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने की सिफारिश की है। जांच रिपोर्ट आने के बाद CJI आगे की कार्रवाई तय करेंगे।