SC hearing Waqf law Live: केंद्र सरकार के 'वक्फ संशोधन कानून' के विरोध में घमासान मचा है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार (16 अप्रैल) को नए 'वक्फ कानून' के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई पूरी हो गई। कोर्ट ने नए कानून को लेकर हो रही हिंसा पर चिंता जताई है। साथ ही दोनों पक्षों से धैर्य बनाए रखने का सुझाव दिया है। कल 17 अप्रैल को दोपहर 2 बजे फिर सुनवाई होगी।
CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच दोनों पक्षों की दलीलें सुन रही है। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं। कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी और सीयू सिंह कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाओं पर दलील रख रहे हैं।
#WATCH | Delhi | On SC hearing on Waqf Amendment Act, Advocate Barun Kumar Sinha says, "Hearing of all the plea challenging the Waqf Amendment Act has been done by the SC...Both parties were heard, and the Supreme Court is to continue its hearing tomorrow on a batch of petitions… pic.twitter.com/bRObivEpve
— ANI (@ANI) April 16, 2025
अधिवक्ता बरुण सिन्हा ने बताया
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। सीजेआई ने दोनों पक्षों को सुना और सुप्रीम कोर्ट कल भी कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखेगा। मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने इसे फंडमेंटल राइट्स का उल्लंघन बताया है। जबकि, सरकार की ओर से सॉलिलीटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर स्पष्टिकरण दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। pic.twitter.com/XzRr5KetWG
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 16, 2025
जमीनें सरकारी हैं तो क्या होगा?
सीजेआई ने एसजी तुषार मेहता से कहा कि वक्फ बाई यूजर क्यों हटाया। 14,15वीं सदी की अधिकांश मस्जिदों में बिक्री विलेख नहीं होगा। अधिकांश मस्जिदें वक्फ बाई यूजर होंगी। इस पर एसजी ने कहा कि उन्हें इसे पंजीकृत करवाने से किसने रोका? सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर सरकार कहने लगी कि ये जमीनें सरकारी हैं तो क्या होगा? इन्हें वक्फ बाई यूजर ही मान्य किया जाए।
कानून पूरी तरह सरकारी टेकओवर
कपिल सिब्बल ने वक्फ कानून के विरोध में तर्क देते हुए कहा है कि आर्टिकल 26 कहता है कि सभी सदस्य मुस्लिम होंगे। कानून लागू होने के बाद से बिना वक्फ डीड के कोई वक्फ नहीं बनाया जा सकता है। सरकार कह रही है कि विवाद की स्थिति में एक अधिकारी जांच करेगा, जो सरकार का होगा। यह असंवैधानिक है। ये पूरी तरह से सरकारी टेकओवर है। आप ये कहने वाले कौन होते हैं कि मैं वक्फ बाइ यूजर नहीं बना सकता। मुस्लिमों को अब वक्फ बनाने के लिए कागजात देना होगा।
मुझे रजिस्टर कराना क्यों जरूरी है
सिब्बल ने संशोधित कानून की खामियां गिनाते हुए कहा कि मान लीजिए मेरी एक संपत्ति है। मैं चाहता हूं वहां अनाथालय बने। इसमें क्या परेशानी है। मुझे रजिस्टर कराना क्यों जरूरी है? CJI खन्ना ने कहा कि वक्फ रजिस्टर कराएंगे तो ये रजिस्ट्रेशन आपकी मदद करेगा।
जो अल्लाह का है, वो वक्फ है
जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि जो अल्लाह का है, वो वक्फ है। कानून में झूठे दावों से बचने के लिए वक्फ डीड का प्रावधान है। सिब्बल ने यह इतना आसान नहीं है। वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब ये 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे। यहां समस्या है।
20 करोड़ लोगों के अधिकारों पर सवाल
कपिल सिब्बल ने कहा-अगर मुझे वक्फ बनाना है तो मुझे सबूत देना होगा कि मैं पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हूं। अगर मैंने मुस्लिम धर्म में जन्म लिया है तो मैं ऐसा क्यों करूंगा? मेरा पर्सनल लॉ यहां पर लागू होगा। यह 20 करोड़ लोगों के अधिकारों पर सवाल है। क्या अधिकारी तय करेंगे संपत्ति किसकी है। इससे सरकारी दखल बढ़ेगा।
आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष है
सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि हिंदुओं के मामले में भी सरकार ने कानून बनाया है। संसद ने मुस्लिमों के लिए भी कानून बनाया है। आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष है। यह सभी कम्युनिटी पर लागू होता है।
जानिए पूरा मामला
लोकसभा और राज्यसभा में लंबी बहस के बाद 4 अप्रैल को संसद से वक्फ संशोधन विधेयक पारित (Waqf Act) हुआ। 5 अप्रैल को वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। सरकार ने 8 अप्रैल से अधिनियम के लागू होने की अधिसूचना जारी की। तब से वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बंगाल के मुर्शिदाबाद सहित कई जिलों में हिंसा हुई।
कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिका
कांग्रेस, JDU, आम आदमी पार्टी, DMK और सीपीआई के नेताओं, धार्मिक संगठन, जमीयत उलेमा हिंद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ कानून को चुनौती दी है। वक्फ कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की। बीजेपी शासित मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, महाराष्ट्र और उत्तराखंड सहित 7 राज्यों ने वक्फ कानून के समर्थन में याचिकाएं दायर की हैं। इन राज्यों ने याचिका देकर तर्क दिया है कि वक्फ बोर्ड संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी जानी चाहिए।
इनकी याचिकाओं पर होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, दिल्ली के AAP विधायक अमानतुल्ला खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज कुमार झा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी बुधवार को सुनवाई करेगा। देश के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच दोपहर 2 बजे नए वक्फ कानून पर सुनवाई करेगी।
कानून को रद्द करने की मांग
सुप्रीम कोर्ट में दायर कुछ याचिकाओं में वक्फ कानून को असंवैधानिक बताया है। कानून को रद्द करने की मांग की है। कुछ याचिकाओं में इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए कानूर को मनमाना और मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण भी बताया है। आप विधायक अमानतुल्ला खान ने तर्क दिया है कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा-संशोधन अधिनियम मुसलमानों के खिलाफ शत्रुतापूर्ण भेदभाव है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है।
जानिए सरकार ने क्या कहा
सरकार का कहना है कि वक्फ विधेयक संपत्ति और उसके प्रबंधन के बारे में है, न कि धर्म के बारे में। सरकार ने कहा कि वक्फ कानून को लोगों के एक बड़े वर्ग की सलाह-मशविरा के बाद ही तैयार किया है। इसको गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों का भी समर्थन मिला है। सरकार ने कहा कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हैं और उसकी इनकम से गरीब मुसलमानों या महिलाओं और बच्चों को कोई मदद नहीं मिलती है, संशोधित कानून इसे ठीक कर देगा।