केजरीवाल की गिरफ्तारी मामले में SC की CBI को नसीहत: जस्टिस भुइयां ने कहा- 'सीबीआई को पिंजरे में कैद तोता नहीं होना चाहिए'

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सीबीआई मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अरविंद केजरीवाल
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 13 सितंबर को अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाला मामले में जमानत दी। कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी मामले में CBI से कहा कि एजेंसी का कामकाज पारदर्शिता के साथ निष्पक्ष भी होना चाहिए।

Arvind Kejriwal Bail: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। यह फैसला उनके लिए हरियाणा चुनाव से पहले बड़ी राहत साबित हुआ है। केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मार्च 21 को गिरफ्तार किया था और इसके बाद जून में CBI ने उन्हें हिरासत में लिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में CBI की गिरफ्तारी प्रक्रिया पर सख्त टिप्पणियां कीं और कहा कि एजेंसी को पिंजरे से आजाद तोते (Uncaged Parrot) की तरह काम करना चाहिए। इस बीच, अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने के साथ ही (Arvind Kejriwal Bail) राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।

CBI को दी 'आजाद तोता' बनने की सलाह
सुप्रीम कोर्ट ने CBI की जांच पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि CBI को पिंजरे में बंद तोते (Caged Parrot) की धारणा को खत्म करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि CBI को संदेह से परे होकर काम करना चाहिए। जस्टिस उज्जल भुइयां ने कहा कि CBI का समय पर गिरफ्तार न करना और फिर बाद में अचानक गिरफ्तार करना संदेहास्पद है। उन्होंने कहा कि अगर ED केस में जमानत मिल चुकी थी, तो CBI को उस समय गिरफ्तार करने की क्या जल्दी थी?

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गिरफ्तारी की टाइमिंग पर कोर्ट ने उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने कहा कि जब 22 महीनों तक CBI ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो अब अचानक गिरफ्तारी का क्या कारण था? कोर्ट ने कहा कि यह गिरफ्तारी केवल इसलिए की गई ताकि ED मामले में मिली जमानत का प्रभाव खत्म किया जा सके। जस्टिस भुइयां ने कहा कि CBI का यह एक्शन न्याय के खिलाफ है। जस्टिस भुइयां ने कहा कि इस तरह की देरी से हुई गिरफ्तारी सवाल उठाती है।

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CBI की कार्रवाई पर गंभीर टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि CBI ने अपनी गिरफ्तारी के फैसले को सही ठहराने के लिए कई तर्क दिए, लेकिन इसके बावजूद यह गिरफ्तारी न्यायोचित नहीं लगती। कोर्ट ने यह भी कहा कि CBI को 'Caesar’s Wife' की तरह शक से परे होना चाहिए। यानी कि एजेंसी का कामकाज पारदर्शिता के साथ होना चाहिए। CBI पर अदालत की इस सख्त टिप्पणी से यह स्पष्ट हो गया है कि अदालत जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर पूरा ध्यान दे रही है। जांच एजेंसियों को अपने काम में निष्पक्षता दिखानी चाहिए।

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केजरीवाल को जमानत, पर शर्तों के साथ
अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी कुछ सख्त शर्तें लगाई गई हैं। उन्हें किसी भी सार्वजनिक मंच पर इस मामले के बारे में टिप्पणी करने से मना किया गया है। इसके साथ ही, केजरीवाल को मुख्यमंत्री कार्यालय जाने या किसी सरकारी दस्तावेज पर साइन करने की भी इजाजत नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल को सभी सुनवाइयों में मौजूद रहना होगा, जब तक कि उन्हें छूट न दी जाए। कोर्ट की शर्तों के मुताबिक केजरीवाल को इस मामले में अनुशासन बनाए रखना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने CBI को सुधारने की नसीहत
सुप्रीम कोर्ट ने CBI को साफ संदेश दिया है कि उसे अपनी छवि सुधारनी होगी। कोर्ट ने कहा कि CBI को यह साबित करना होगा कि वह 'Uncaged Parrot' है और पूरी तरह से निष्पक्ष होकर काम करती है। कोर्ट ने CBI को सुझाव दिया कि वह अपने कामकाज में पारदर्शिता लाए और किसी भी प्रकार के राजनीतिक दबाव से मुक्त रहे। सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि CBI के कामकाज पर कोर्ट की पूरी नजर है।

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