भ्रष्टाचार पर SC की सख्त टिप्पणी: कहा-भ्रष्ट नेता और अफसर भाड़े के हत्यारों से भी ज्यादा खतरनाक, देश में आर्थिक अशांति के कारक

Supreme Court on Corruption: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (7 मार्च) को सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की कड़ी आलोचना की है। एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा, सरकार और राजनीतिक दलों के उच्च स्तरों पर बैठे भ्रष्ट तत्व समाज के लिए भाड़े के हत्यारों से भी ज्यादा खतरनाक हैं।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा, यदि विकासशील देश के समाज को कानून और व्यवस्था के लिए किराए के हत्यारों से भी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो वह सरकार और राजनीतिक दलों के उच्च पदों पर बैठे भ्रष्ट तत्वों से है।
सुप्रीम कोर्ट ने ब्रिटिश राजनेता एडमंड बर्क के शब्दों का हवाला देते हुए कहा, भ्रष्ट लोगों के बीच सामान्य: स्वतंत्रता लंबे समय तक नहीं टिक सकती। कोर्ट ने इस बात पर भी दुख जताया कि भ्रष्टाचार अपने सुपलेखित परिणामों के बावजूद भ्रष्टाचार अनियंत्रित बना हुआ है।
स्वतंत्रता से करें इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अभियुक्त की स्वतंत्रता के प्रति अत्यधिक आग्रहपूर्ण श्रद्धांजलि कभी कभी सार्वजनिक न्याय के उद्देश्य की पराजित कर सकती है। किसी अभियुक्त को यदि स्वतंत्रता से वंचित करने से भ्रष्टाचार मुक्त समाज सुनिश्चित होता है, तो अदालतों को ऐसी स्वतंत्रता से इनकार करने से संकोच नहीं करना चाहिए। उनकी याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, निर्दोषता की धारणा महत्वपूर्ण सिद्धत है।
कीमती सामना लेना भी दंडनीय
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोजन के लिए रिश्वत का वास्तविक आदान प्रदान आवश्यक नहीं है। फैसले में कहा, सरकारी कर्मचारी जो सीधे तौर पर रिश्वत नहीं लेते, लेकिन बिचौलियों और दलालों के माध्यम से लेते हैं और वह लोग जो रिश्वत के रूप में महंगी वस्तुएं लेते हैं, दंडनीय है।
आर्थिक अशांति और अविश्वास पैदा होता है
सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार की निंदा करते हुए कहा, यदि किस से यह पूछें कि समाज की समृद्धि और प्रगति रोकने का एकतात्र कारक बताएं तो नि:संदेह वह भ्रष्टाचार है। कोर्ट ने कहा, भ्रष्टाचार को अक्सर दंडमुक्त होकर पनपने ने दिया जाता है। इससे आर्थिक अशांति और जनता का विश्वास टूटता है।
सच से बहुत दूर नहीं होता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, भ्रष्टाचार के बारे में जो कुछ भी आम धारणा है, उसका एक अंश भी सच है। यह सच से बहुत दूर नहीं होता कि उच्च पदस्थ लोगों द्वारा दंड से मुक्त होकर किए जा रहे व्यापक भ्रष्टाचार के कारण ही इस देश में आर्थिक अशांति पैदा हुई है।
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