EVM VVPAT Issue: लोकसभा चुनाव के बीच आज, बुधवार (24 अप्रैल) को देश की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं। सुप्रीम कोर्ट आज उन याचिकाओं पर अपना फैसला सुना सकता है, जिसमें चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के माध्यम से डाले गए वोटों के साथ वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों का मिलान करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने वीवीपैट से जुड़े कुछ सवालों के जवाब देने के लिए चुनाव आयोग के एक अधिकारी को दोपहर 2 बजे अदालत में बुलाया है। 

जैसे...

1. कंट्रोलिंग यूनिट या वीवीपैट में माइक्रोकंट्रोलर लगा होता है?
2. माइक्रोकंट्रोलर एक बार प्रोग्राम करने योग्य है?
3. सिंबल लोडिंग यूनिट चुनाव आयोग के पास कितने उपलब्ध हैं?
4. चुनाव याचिका दायर करने की सीमा अवधि आपके अनुसार 30 दिन है और इस प्रकार भंडारण और रिकॉर्ड 45 दिनों तक बनाए रखा जाता है। लेकिन लिमिटेशन डे 45 दिन है, आपको इसे सही करना होगा।

18 अप्रैल को अदालत ने रखा था फैसला सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन की सुनवाई के बाद 18 अप्रैल को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने ईवीएम की कार्यप्रणाली को समझने के लिए चुनाव आयोग (ECI) के एक अधिकारी के साथ सवाल-जवाब भी किए थे। 

चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने अदालत को बताया था कि ईवीएम स्टैंडअलोन मशीनें हैं। उनके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। हालांकि मानवीय त्रुटि की संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता है।

चुनाव आयोग से कहा- आशंकाओं को दूर करिए
जस्टिस दत्ता ने कहा था कि चुनाव प्रक्रिया में पवित्रता होनी चाहिए। जस्टिस ने वकील मनिंदर सिंह से कहा कि आपको अदालत में और अदालत के बाहर दोनों जगह आशंकाओं को दूर करना होगा। किसी को भी यह आशंका नहीं होनी चाहिए कि जो कुछ अपेक्षित है वह नहीं किया जा रहा है।

याचिकाकर्ताओं को सलाह- हर चीज में आलोचना ठीक नहीं
चुनाव आयोग की दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि हर चीज पर अत्यधिक संदेह करना एक समस्या है। पीठ ने एक के वकील से कहा कि हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता। आप हर चीज की आलोचना नहीं कर सकते। अगर उन्होंने (चुनाव आयोग) कुछ अच्छा किया है, तो आपको इसकी सराहना करनी होगी। आपको हर चीज की आलोचना नहीं करनी चाहिए।

16 अप्रैल को पहले दिन की सुनवाई में पीठ ने मैन्युअल गिनती प्रक्रिया के बारे में आपत्ति जताई थी। कहा था कि भारत में चुनावी प्रक्रिया एक बहुत बड़ा काम है और सिस्टम को खराब करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।

क्या है वीवीपैट?
वीवीपीएटी का पूरा नाम वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल है। इसके जरिए मतदाता देख सकता है कि वह वोट जिसे देना चाहता था, उसे गया है या नहीं। वीवीपीएटी एक कागज की पर्ची बनाता है, जिसे एक सीलबंद कवर में रखा जाता है। यदि कोई विवाद होता है तो इसे खोला जा सकता है।

वर्तमान में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच रैंडमली सेलेक्टेड ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन किया जाता है।

सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग
वोटिंग की ईवीएम प्रणाली को लेकर विपक्ष के सवालों और आशंकाओं के बीच याचिकाओं में हर वोट के क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई है। याचिकाएं एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दायर की गई हैं। अग्रवाल ने सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग की है। एडीआर की याचिका में अदालत से चुनाव आयोग और केंद्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है कि मतदाता वीवीपैट के माध्यम से यह सत्यापित कर सकें कि उनका वोट रिकॉर्ड के रूप में गिना गया है।