Tax Devolution: केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार सरकार बनने के बाद सोमवार को कैबिनेट का गठन हुआ और मंत्रियों को उनके विभाग सौंपे गए। वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी एक बार फिर निर्मला सीतारमण को दी गई। विभागों के बंटवारे के तुरंत बाद वित्त मंत्रालय ने राज्यों को 1,39,750 करोड़ रुपए का टैक्स डिवोल्यूशन(Tax Devolution) जारी करने का फैसला किया। इस आवंटन में सबसे ज्यादा धनराशि उत्तर प्रदेश को मिली है।

बिहार को भी मिली मोटी रकम
उत्तर प्रदेश को 25,069.88 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जबकि गठबंधन के मजबूत सहयोगी नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला बिहार दूसरे स्थान पर है। बिहार को 14,056.12 करोड़ रुपए मिले हैं। मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर है, जिसे 10,970.44 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। इस लिस्ट में चौथे नंबर पर पश्चिम बंगाल है। बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मोदी सरकार की धुर विरोधी मानी जाती है। सबसे ज्यादा टैक्स डिवोल्यूशन पाने वाले वाले राज्यों में महाराष्ट्र पांचवें नंबर पर है।

राज्यों की ग्रोथ में होगा खर्च
अंतरिम बजट 2024-25 में राज्यों को टैक्स डिवोल्यूशन के लिए 12,19,783 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा कि जून 2024 के लिए डिवोल्यूशन राशि की नियमित रिलीज के अलावा एक अतिरिक्त इंस्टॉलमेंट भी जारी होगी। इसे राज्य सरकारें विकास और पूंजीगत खर्च में तेजी लाने के लिए इस्तेमाल कर सकेंगी। इस प्रकार, सोमवार को राज्यों को हस्तांतरित कुल राशि 2,79,500 करोड़ रुपए हो गई है।

अन्य राज्यों को भी मिला धन
वित्त मंत्रालय ने अन्य राज्यों को भी बड़ी धनराशि आवंटित की है:

  • पश्चिम बंगाल: 10,513.46 करोड़ रुपए
  • महाराष्ट्र: 8,828.08 करोड़ रुपए
  • राजस्थान: 8,421.38 करोड़ रुपए
  • ओडिशा: 6,327.92 करोड़ रुपए
  • तमिलनाडु: 5,700.44 करोड़ रुपए
  • आंध्र प्रदेश: 5,655.72 करोड़ रुपए
  • गुजरात: 4,860.56 करोड़ रुपए


छोटे राज्यों को भी मिली राशि
इसके अलावा, झारखंड को 4,621.58 करोड़ रुपए, कर्नाटक को 5,096.72 करोड़ रुपए, पंजाब को 2,525.32 करोड़ रुपए, हिमाचल प्रदेश को 1,159.92 करोड़ रुपए, केरल को 2,690.20 करोड़ रुपए, मणिपुर को 1,000.60 करोड़ रुपए और मेघालय को 1,071.90 करोड़ रुपए मिले हैं।

राज्यों की आर्थिक स्थिति में सुधार का प्रयास
इस आवंटन का उद्देश्य राज्य सरकारों को उनके विकास और पूंजीगत खर्च को तेज करने में सहायता प्रदान करना है। इससे राज्यों की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी और वे तेजी से विकास कर सकेंगे। वित्त मंत्रालय के इस फैसले से राज्यों को उनकी जरूरी परियोजनाओं और योजनाओं के लिए पर्याप्त धन मिलेगा, जिससे जनता को भी लाभ होगा।