Pune Porsche Accident: महाराष्ट्र के पुणे में हुए बहुचर्चित हिट एंड रन केस में आईटी इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई। अश्विनी कोष्टा मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली थी। जबकि अनीश अवधिया एमपी के उमरिया जिले का रहने वाला था। दोनों के शव मंगलवार तड़के जब उनके घरों में पहुंचे तो कोहराम मच गया। उनके रोने और चीखने की करुण आवाज ने सभी की आंखों को नम कर दिया। 

अश्विनी और अनीस के परिजनों ने आरोपी बिल्डर के नाबालिग बेटे को जमानत दिए जाने का विरोध किया है। साथ ही कड़ी कार्रवाई की मांग की है। अश्विनी कोष्टा के परिजनों का कहना है कि यह हादसा नहीं बल्कि हत्या है। हर स्तर की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। 

आरोपी नाबालिग का पिता। पुलिस ने इसे गिरफ्तार किया है।

आरोपी को मिली जमानत रद्द हो: अनीश के दादा
मंगलवार सुबह 3 बजे एक एम्बुलेंस मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के बिरसिंहपुर में पहुंची। इसके दरवाजे खुलते ही 24 वर्षीय अनीश अवधिया के परिजन फूट-फूट कर रोने लगे। अनीश पुणे में काम करता था। वह अश्विनी कोष्टा के साथ था, जब नशे में धुत किशोर द्वारा चलाई जा रही तेज रफ्तार पोर्शे कार ने रविवार तड़के उनकी बाइक को टक्कर मार दी। इससे दोनों की मौत हो गई। 

अनीश के दादा आत्माराम अवधिया ने कहा कि पुणे के एक प्रमुख रियल एस्टेट कारोबारी के बेटे किशोर ड्राइवर को जमानत नहीं दी जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई है। यह पूरी तरह से गलत है। हम कड़ी सजा चाहते हैं। आरोपियों को दी गई जमानत रद्द की जानी चाहिए।

ऐसे हुआ था हादसा
अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा एक आईटी इंजीनियर थे। पुणे में शनिवार देर रात एक समारोह से लौट रहे थे। रात करीब 2.15 बजे उनकी बाइक को पीछे से तेज रफ्तार पोर्शे ने टक्कर मार दी। अश्विनी और अनीश दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। 17 साल 8 महीने की उम्र के ड्राइवर को पुणे की एक अदालत ने कुछ शर्तों के साथ 15 घंटे के भीतर जमानत दे दी। हिट एंड रन केस और 15 घंटे के भीतर आरोपी को जमानत मिलने से लोगों में गुस्सा फैल गया। 

पुणे पुलिस ने कहा है कि उन्होंने अदालत से आरोपी पर बालिग की तरह मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन याचिका खारिज कर दी गई। उन्होंने अब सेशन कोर्ट जाने का फैसला किया है। किशोर के पिता को अब गिरफ्तार कर लिया गया है।

अनीश अवधिया के परिवारीजन टूट गए हैं। उनके चाचा अखिलेश अवधिया ने कहा कि नाबालिग आरोपी नशे में था और 240 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चला रहा था। उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। यह हत्या है, दुर्घटना नहीं।

अश्विनी के चाचा ने कहा- हम लड़ेंगे न्याय की लड़ाई
उधर, सोमवार की रात अश्विनी कोष्टा का पार्थिव शरीर उनके घर जबलपुर पहुंचा। उसका परिवार भी आरोपी को जमानत दिए जाने से नाराज है और उसने अंत तक न्याय के लिए लड़ने की कसम खाई है। अश्विनी कोष्टा के पिता सुरेश कोष्टा ने कहा कि नियमों के मुताबिक कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि लोगों को इससे सबक मिले। बेटी ने अपनी पढ़ाई पुणे में पूरी की और उसे वहीं नौकरी मिल गई थी। 

चाचा जुगल किशोर कोष्टा ने कहा कि हम सदमे में हैं। यह निंदनीय है कि उन्हें 15 घंटे में जमानत मिल गई। उनकी और उनके माता-पिता की जांच की जानी चाहिए। अश्विनी का अंतिम संस्कार होने के बाद हम इस मामले पर चर्चा करेंगे। उसके बहुत सारे सपने थे। वह जीवन में ऊंचाई हासिल करना चाहती थी और अपने माता-पिता को गौरवान्वित करना चाहती थी। हम अपना दुख व्यक्त नहीं कर सकते।

अश्विनी के चाचा सचिन बोकड़े ने कहा कि हम चाहते हैं कि उसकी जमानत रद्द की जाए। उसकी वजह से एक मासूम लड़की की मौत हो गई, जिसने जीवन में कुछ भी नहीं देखा था।