Tirupati Laddu Controversy SC order:तिरुपति लड्डू विवाद को लेकर आज शुक्रवार (6 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस बी.आर. गवई और के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट लड्डुओं में एनिमल फैट मिलाने के आरोपों पर स्वतंत्र जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन करने के निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि यह मामला करोड़ों भक्तों की आस्था से जुड़ा हुआ है। जांच टीम में दो CBI अधिकारियों, दो राज्य पुलिस अधिकारियों और FSSAI के एक वरिष्ठ अधिकारी को शामिल किया गया है।
न्यायालय ने राजनीतिक आरोपों को किया दरकिनार
सुनवाई के दौरान जस्टिस बी.आर. गवई और के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने साफ तौर पर कहा कि कोर्ट इस मामले में किसी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप को कोई अहमीयत नहीं देगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला जनता की आस्था से जुड़ा है और इसे राजनीतिक रंग नहीं दी जानी चाहिए। जस्टिस गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट किसी भी पक्ष को इस मामले को सियासी रंग देने की इजाजत नहीं देगा।
SIT करेगी आरोपों की पूरी जांच
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई SIT जल्द ही जांच शुरू करेगी। जांच टीम का मुख्य उद्देश्य यह होगा कि तिरुपति लड्डुओं में घी की मिलावट के आरोपों की सत्यता की पुष्टि की जा सके। इस टीम को केंद्रीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) से भी पूरी मदद मिलेगी, ताकि प्रसाद के रूप में बांटे जा रहे लड्डुओं की गुणवत्ता की जांच हो सके।
इस मामले को गंभीरता से लेना जरूरी: SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा है और इसे गंभीरता से लेना जरूरी है। अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह जांच निष्पक्ष होनी चाहिए और किसी भी राजनीतिक दबाव से मुक्त होनी चाहिए। अदालत ने यह भी साफ किया कि अभी तक उन्होंने आरोपों और प्रत्यारोपों की पुष्टि नहीं की है। SIT की जांच रिपोर्ट के बाद ही इस मामले में आगे की कार्रवाई तय होगी।
घी की गुणवत्ता पर सवाल
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें पिछले कुछ वर्षों से लड्डुओं की गुणवत्ता को लेकर तीर्थयात्रियों से कई शिकायतें मिली। अधिकारी जे. श्यामला राव ने बताया कि कई बार घी की गुणवत्ता में कमी पाई गई है। घी में सुगंध और स्वाद की कमी थी, जिससे यह संभावना बनी कि इसमें मिलावट हो सकती है। यह रिपोर्ट आंध्र प्रदेश सरकार को भी सौंपी गई थी।
राजनीतिक तकरार के बीच अदालत की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को भी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि नायडू ने बिना किसी पुख्ता सबूत के यह आरोप लगाया था कि तिरुपति लड्डुओं में पशु वसा मिलाई गई है। जबकि इस मामले में अभी तक कोई FIR भी दर्ज नहीं हुई थी। अदालत ने कहा कि इस तरह के बयानों से जांच प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
मामला धार्मिक आस्था से जुड़ा: सॉलिसिटर जनरल
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में तर्क दिया कि यह मामला केवल कानूनी नहीं, बल्कि आस्था से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि यदि लड्डुओं में घी की मिलावट की पुष्टि होती है, तो यह भक्तों की आस्था पर गंभीर चोट होगी। उन्होंने इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी से जांच की मांग की। इससे पहले भी अदालत ने राज्य सरकार से इस मुद्दे पर सफाई मांगी थी।
राजनीतिक विवाद से गर्माया मामला
यह मामला तब और गरमाया, जब चंद्रबाबू नायडू ने YS जगन मोहन रेड्डी की सरकार पर लड्डू में एनिमल फैट के साथ ही सूअर की चर्बी और मछली का तेज मिलाने का आरोप लगाया। इस आरोप के बाद YSR कांग्रेस पार्टी ने नायडू पर पलटवार करते हुए उन पर धर्म का राजनीतिक लाभ लेने का आरोप लगाया। इसके बाद से आंध्र प्रदेश में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। दोनों दलों के बीच यह मुद्दा एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है।